कभी सपा को मजबूत बनाने वाले शिवपाल आज उसकी जड़ें खोद रहे

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अजय कुमार । Sep 14 2018 12:44PM

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को अक्सर क्रिकेट की पिच पर हाथ अजमाते देखा गया है। वह बैटिंग और बाऊलिंग दोनों करते हैं, लेकिन सियासी पिच पर चाचा शिवपाल यादव ने साबित कर दिया है कि ''चाचा, चाचा ही रहता है और भतीजा, भतीजा ही है।''

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को अक्सर क्रिकेट की पिच पर हाथ अजमाते देखा गया है। वह बैटिंग और बाऊलिंग दोनों करते हैं, लेकिन सियासी पिच पर चाचा शिवपाल यादव ने साबित कर दिया है कि 'चाचा, चाचा ही रहता है और भतीजा, भतीजा ही है।' चाचा शिवपाल के फेंके गये 'बाउंसरों' से भतीजा अखिलेश न केवल हताहत हो रहा है, बल्कि चाचा उसे 'पैवेलियन' का रास्ता भी दिखा रहे हैं। चाचा के एक के बाद एक बाउंसर से भतीजा अखिलेश ही नहीं उनकी पूरी टीम हतप्रभ है।

दरअसल, घर की लड़ाई जब सड़क पर आती है तो ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है। समाजवादी पार्टी में रहते शिवपाल यादव बार−बार अपमान का घूंट पीते रहे तो भतीजा अखिलेश इसको चाचा पर अपनी सियासी जीत समझने की भूल करने लगा, लेकिन अपनी ही बनाई पार्टी को जब उन्होंने बेबस होकर छोड़ा और 'समाजवादी सेक्युलर मोर्चा' (ससेमो) बनाया तो उन्हें (शिवपाल यादव) पुराने रौ में वापस आने में देरी नहीं लगी। मोर्चा के साथ कई पुराने समाजवादी नेताओं का जुड़ना शिवपाल को नई ऊर्जा दे गया। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब उन्होंने अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं की पहली लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में दो प्रवक्ता ऐसे भी थे जो अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके थे।

शिवपाल यादव ने मोर्चा के नौ प्रवक्ता बनाये हैं। जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा अखिलेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ला और महिला कल्याण मंत्री रहीं श्रीमती सैयद शादाब फातिमा की हो रही है। इनके अलावा समाजवादी चिंतक सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र, नवाब अली अकबर, सुधीर सिंह, प्रो. दिलीप यादव, लखनऊ विवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अभिषेक सिंह आशू, मोहम्मद फरहत रईस खान और इं. अरविन्द यादव भी प्रवक्ता बने हैं। इनकी कभी समाजवादी पार्टी में अच्छी खासी पैठ हुआ करती थी। शिवपाल ने इन सभी प्रवक्ताओं को समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का पक्ष रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही शिवपाल सेक्युलर मोर्चा की राज्य इकाई का भी गठन करेंगे। शिवपाल ने बीती 29 अगस्त को ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा की घोषणा की थी। उन्होंने कहा भी कि मोर्चा का गठन समाजवादी पार्टी में बीते डेढ़ साल से खुद और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के हो रहे अपमान को देखते हुए किया है। यादव मोर्चा के बैनर तले आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की भी घोषणा कर चुके हैं।

बात अखिलेश यादव की कि जाये तो उनके ऊपर शिवपाल के एक 'बाउंसर' ने ऐसा असर किया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा−लखनऊ एक्सप्रेस−वे पर साइकिल चलाने की योजना को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। उन्होंने अपने इस कार्यक्रम को टाल दिया। अखिलेश अब कब साइकिल यात्रा शुरू करेंगे, इसकी पार्टी स्तर से कोई जानकारी नहीं दी गयी है। गौरतलब हो कि अखिलेश ने 16 सितम्बर को पत्नी डिम्पल यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज से साइकिल यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने आगरा−लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 50 किमी तक साइकिल चलाने का ऐलान किया था। इस यात्रा को नोटबंदी के दौरान जन्म लेने वाले ''खजांची' द्वारा हरी झंडी दिखायी जानी थी। उन्होंने कन्नौज से साइकिल यात्रा शुरू करने का फैसला आगामी लोकसभा चुनाव में यहां से लड़ने की घोषणा के मद्देनजर लिया था। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव के कार्यक्रम में बदलाव के पीछे लोकसभा चुनाव में अभी काफी समय होने के साथ ही चाचा शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन से उपजी राजनीतिक परिस्थितियां हैं। यहां याद दिलाना जरूरी है कि गत दिनों ही शिवपाल यादव ने एक कार्यक्रम के दौरान अखिलेश की साइकिल यात्रा पर तंज कसा था।

लब्बोलुआब यह है कि चाचा शिवपाल भतीजे को हर मोर्चे पर मात देना चाहते हैं। उनकी नजर मुस्लिम−यादव मतों पर भी हैं। अखिलेश मुस्लिम−यादव (एम−वाई) मतों के दम पर बसपा के साथ हाथ मिलाकर 2019 में मोदी को मात देने का ख्वाब संजोया थे, लेकिन लगता है कि यहां भी चाचा शिवपाल यादव उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद से शिवपाल समाजवादी पार्टी के ही मुस्लिम−यादव वोट बैंक में सेंधमारी में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश में करीब 20−22 फीसदी मुस्लिम और 12−14 फीसदी यादव मतदाता सपा का मजबूत वोट बैंक माना जाता है। इसी वोटबैंक के दम पर मुलायम सिंह यादव ने कई बार सत्ता का सुख भोगा था, परंतु लगता है कि मुलायम के हाशिये पर जाने के बाद अखिलेश यादव इस वोटबैंक को संभाल नहीं पा रहे हैं, जिस पर अब पर शिवपाल यादव की नजर है।

एक तरह से शिवपाल का समाजवादी सेक्युलर मोर्चा समाजवादी पार्टी में हाशिये पर पड़े नेताओं का नया पता−ठिकाना बनता जा रहा है। इसमें भी खासकर यादव और मुस्लिम नेताओं का शिवपाल के मोर्चे से जुड़ने का सिलसिला जारी है। सपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रहे फरहत मियां भी सेक्युलर मोर्चा से जुड़ गए हैं। इसी तरह से पूर्व सांसद रामसिंह, इटावा से दो बार के पूर्व सांसद रघुराज शाक्य, डुमरियागंज सीट से पांच बार के विधायक यूसुफ मलिक समाजवादी सेक्युलर मोर्चा में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा जिला और विधानसभा स्तर से सपा नेता अखिलेश का साथ छोड़कर शिवपाल के साथ जुड़ रहे हैं। शिवपाल ने अपने मोर्चा के नौ प्रवक्ताओं की लिस्ट में भी तीन मुस्लिम और दो यादव नेताओं को जगह दी है। यह कहना अतिशियोक्ति नहीं होगा की समाजवादी पार्टी के सियासी खजाने पर शिवपाल ने पूरी तरह से नजर गड़ा रखी है।

-अजय कुमार

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