लालू के लाल तेज को क्यों नहीं भा रहा तेजस्वी का प्रताप

Tejpratap Yadav And Tejasvi yadav News
अंकित कुमार । Jun 12 2018 11:39AM

समय-समय पर यह भी देखा गया है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए परिवारों में मनमुटाव की भी खबरें आती रही हैं, चाहे वह रामाराव-चंद्रबाबू नायडू विवाद हो या फिर हाल में ही घटित मुलायम परिवार के बीच का टकराव हो।

भारतीय राजनीति में परिवारवाद कोई नई चीज नहीं है। समय-समय पर यह भी देखा गया है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए परिवारों में मनमुटाव की भी खबरें आती रही हैं, चाहे वह रामाराव-चंद्रबाबू नायडू विवाद हो या फिर हाल में ही घटित मुलायम परिवार के बीच का टकराव हो। अब यह सिलसिला बिहार की राजनीति में भी जा पहुंचा है जहां लालू पुत्र (तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव) अप्रत्क्ष रूप से आमने-सामने हैं। हालांकि इस पटकथा की शुरूआत तभी हो गई थी जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बिहार में आई थी और लालू के छोटे बेटे को उपमुख्यमंत्री और बड़े बेटे को मजह स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था।

जाहिर सी बात है कि यह सब लालू के ही इशारें पर हुआ होगा और लालू ने ऐसा अपने बेटों की क्षमता को देखते हुए किया होगा। पर लालू के इस कदम से कार्यकर्ताओं में एक गलत संदेश यह गया कि 'Tejasvi is Real successor of laloo' अर्थात तेजस्वी ही लालू के असली उत्तराधिकारी हैं जो अब तेजप्रताप को नागवार गुजर रही है। यह सिर्फ और सिर्फ इसलिए हो रहा क्योंकि जमीनी स्तर पर RJD कार्यकर्ताओं में जो तेजस्वी यादव की कद्र है वो तेज प्रताप के लिए नहीं है...और यही बात तेजप्रताप को कचोट रही है।

खास बात यह है कि तेज प्रताप ने अपने बयान में पार्टी के कुछ बड़े नेताओं पर भी बिना नाम लिए उन्हे गंभीरता से नहीं लिए जाने का आरोप लगा रहे हैं। तेज़प्रताप ने कुछ चैनलों से बात करते हुए कहा कि उनकी बात पार्टी में नहीं सुनी जाती। फिर वो जब भी किसी को फ़ोन करते हैं तो उन्हें सही रिस्पॉन्स नहीं मिलता। तेजप्रताप की बातों से साफ़ है कि वो पार्टी में अपने छोटे क़द से परेशान हैं। पर सच तो यह है कि ऐसा होने के कई कारण और भी हैं। 

तेजस्वी का कद तेजप्रताप पर कैसे है भारी

तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में एक गंभीर नेता की छवि बना चुके हैं वहीं तेजप्रताप को लोग उनकी अनरगल बयानों के लिए जानते हैं। 

तेजस्वी में अपने पिता की विरासत को संभालने की क्षमता दिखतीं है जबकि तेजप्रताप भक्ति की दुनिया में खुद को रमाए रखते हैं। 

तेजस्वी में अपनी बातों को तर्क सहित शालीनता से रखने की क्षमता है तो तेजप्रताप आक्रामक हैं और कभी-कभी आक्रामकता में शिष्टाचार भूल जाते हैं। 

- जहां तेजस्वी आज अपना एक अलग अंदाज विकसित कर चुके हैं वहीं तेजप्रताप अपने भाषणों में अपने पिता की कॉपी करते हैं। 

तेजस्वी जहां अपने कामों को लेकर गंभीर रहते है वहीं तेजप्रताप थोड़े ढीले नजर आते हैं। 

- पिता के जेल जाने के बाद जहां तेजस्वी पार्टी को संभालने और उसके गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखते हैं तो तेजप्रताप ऐसे मौकों पर कम ही नजर आते हैं।

राष्ट्रीय राजनीति में तेजस्वी का बढ़ता कद

लालू यादव की अनुपस्थिति में जिस तरीकें से पार्टी आगे बढ़ी और उपचुनावों में RJD के पक्ष में नतीजे आए उससे तेजस्वी ने अपने राजनीतिक कौशल की छाप छोड़ दी है। इसके बाद तेजस्वी ने लगातार खुद को राष्ट्रीय स्तर पर उभारा है। सोनिया के घर पर डिनर पार्टी में शामिल होने की बात हो या फिर कर्नाटक में विपक्षी एकता को बढ़ाने के लिए मंच साझा करना हो, तेजस्वी ने हर जगह खुद को स्थापित किया है। विपक्ष के नेता होने के नाते तेजस्वी ने जिस तरीकें से केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतिश सरकार पर प्रहार जारी रखा है, उससे उनके अंदर की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी पता चलता है। धनशोधन मामलें में कई तरह के आरोप लगे होने के बाद भी तेजस्वी ने अपने अदम्य साहस के बदौलत हर चुनौतियों का डटकर सामना किया जिसके बाद विरोधी भी उनका लोहा मान रहे हैं। सोशल मी़डिया पर खुद को एक्टिव रखना भी उनका एक मजबूत पक्ष है। आखिर में हम यह जरूर कह सकते है कि कम समय में ही तेजस्वी आने वाले वक्त में बिहार की सत्ता में शीर्ष पद के लिए एक विकल्प बनकर उभरे हैं।

तेजप्रताप की कमजोर कड़ी

जैसा की तेज प्रताप के बयानों से हमें पता चलता रहा है कि वो राजनीतिक महत्वाकांक्षा बहुत कम रखते हैं पर अब उनकी शादी हो चुकी हैं और ऐसे में कहीं ना कहीं तेजप्रताप की यह चाहत अपनी पत्नी को राजनीति में स्थापित करने की होगी। तेज प्रताप का गंभीर ना रहना और उनके अंदर की आक्रामकता उन्हें राजनीति में कमजोर बनाती है। पार्टी गतिविधियों में दिलचस्पी ना लेना उन्हें कार्यकर्ताओं से दूर करता है। तेज प्रताप में उनकी पार्टी के लिए कोई विजन नजर नहीं आता है। वह सोशल मी़डिया पर भी दूसरे के पोस्ट को शेयर करते हैं खासकर के अपने भाई के।  

देखिए प्रभासाक्षी का विश्लेषण:-

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