बारामुला हुआ आतंकवाद मुक्त, 2019 में कश्मीर से मिट जायेगा आतंक का नामो निशां

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सुरेश डुग्गर । Jan 25 2019 1:31PM

राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि बीते 29 सालों में बारामुला आतंकियों से मुक्त कश्मीर का पहला जिला है। आज यहां कोई स्थानीय आतंकी नहीं है। जो तीन आतंकी थे, वह बुधवार को मारे गए हैं।

सेना ने साल के पहले दिन उम्मीद जताई थी कि 2019 में कश्मीर में फैले आतंकवाद का अंत हो जाएगा। उसी दिशा में कश्मीर का एलओसी से सटे बारामुला जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया गया है। इस संबंध में डीजीपी दिलबाग सिंह ने दावा किया कि बारामुला कश्मीर का पहला ऐसा जिला है जो आतंकवाद मुक्त हो गया है। अलगाववादियों और आतंकियों का गढ़ कहलाने वाला उत्तरी कश्मीर का जिला बारामुला अब आतंकियों से पूरी तरह आजाद हो गया है। बारामुला में अब कोई स्थानीय आतंकी जिंदा नहीं रहा है। यह दावा राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने किया है। गौरतलब है कि गत बुधवार को ही सुरक्षा बलों ने बारामुला से करीब सात किलोमीटर दूर लश्करे तौयबा के तीन स्थानीय आतंकियों को मार गिराया है।


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राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि बीते 29 सालों में बारामुला आतंकियों से मुक्त कश्मीर का पहला जिला है। आज यहां कोई स्थानीय आतंकी नहीं है। जो तीन आतंकी थे, वह बुधवार को मारे गए हैं। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि इसी तरह का दावा करीब 22 साल पहले सेना के तत्कालीन ब्रिगेडियर अहलावत ने दक्षिण कश्मीर के जिला कुलगाम के लिए किया था। करीब छह साल पहले जिला बडगाम के बारे में भी यही बात की गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के हवाले पर बडगाम व गंदरबल को आतंकवाद मुक्त बताते हुए अफ्सपा हटाने की बात की थी। लेकिन दो दिसंबर 2013 को आतंकियों ने चाडूरा में सरेआम एक थाना प्रभारी समेत तीन लोगों की हत्या कर, सभी के मुंह बंद कर दिए थे।

हालांकि एसएसपी बारामुला इम्तियाज हुसैन मीर ने कहा कि सुहैब अखून समेत तीन आतंकियों का मारा जाना हमारे लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। सुहैब बारामुल्ला में नया बुरहान बन सकता था। उसने अपने साथ कुछ और लड़कों को जोड़ना शुरू कर दिया था। इसके अलावा वह बारामुल्ला में लश्कर, जैश, अल-बदर व हिज्ब के आतंकियों के बीच भी कोआर्डिनेटर बन, उनकी विभिन्न प्रकार से मदद कर रहा था। मेरे लिए आज मेरे कार्याधिकार क्षेत्र में एक भी स्थानीय आतंकी सक्रिय नहीं रहा है। यह तीन थे, तीनों मारे गए हैं। यह एक तरह से बारामुला को आतंकवाद से आजाद कराने जैसा ही है। जानकारी के लिए बता दें कि आतंक प्रभावित बारामुला जिले में ही 2016 में आतंकियों ने उड़ी के सैन्य कैंप पर हमला किया था। इस हमले के बाद सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पीओके में कई आतंकी ठिकाने तथा लांचिंग पैड को तबाह कर दिया था।

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दूसरी ओर, इस तरह की रिपोर्टें है कि आने वाले दिनों में कश्मीर में फैले आतंकवाद में महत्वपूर्ण मोड़ आ सकता है क्योंकि घुसपैठ करने वाले आतंकियों को स्नाइपर राइफलें मुहैया करवाने के साथ ही इसका प्रशिक्षण देकर इस ओर भिजवाया जा रहा है। दो स्नाइपर मारे भी जा चुके हैं और चार राइफलें बरामद की जा चुकी हैं। एलओसी पर घुसपैठियों से भी ऐसी राइफलें मिली हैं जबकि एलओसी पर आतंकी तथा पाक सैनिक स्नाइपर राइफलों का खुलकर इस्तेमाल कर भारतीय सैनिकों की नींद हराम किए हुए हैं।

  

एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर पाकिस्तानी सैनिकों के साथ आतंकी भी भारतीय जवानों को स्नाइपर से निशाना बना रहे हैं। आतंकियों को पाकिस्तानी फौज के कैंपों में स्नाइपर चलाने की ट्रेनिंग तक दी जा रही है। हालांकि आतंकियों को स्नाइपर मुहैया कराने के लिए फंड पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई दे रही है। जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना के कैंपों में लश्करे तौयबा के आतंकियों को स्नाइपर की ट्रेनिंग दी जा रही है। आतंकियों के पास यूएसए और आस्ट्रिया निर्मित स्नाइपर हैं। पुंछ, राजोरी, कुपवाड़ा, बारामुला की एलओसी, जम्मू, सांबा और कठुआ के बॉर्डर पर आतंकी घुसपैठ नहीं कर पा रहे। खासकर जम्मू संभाग में आतंकियों की घुसपैठ बहुत कम हुई है। इसे देखते हुए आतंकी पाकिस्तान की फॉरवर्ड पोस्टों तक पहुंचे हैं। वह पाकिस्तानी सैनिकों के साथ मिलकर भारतीय जवानों को टारगेट कर रहे हैं।

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पीओके के कोटली में स्थित पाकिस्तानी सेना का कैंप हैं। यहां पर सबसे अधिक लश्करे तौयबा के आतंकी हैं। इन आतंकियों को स्नाइपर की ट्रेनिंग दी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि आईएसआई इसके लिए फंडिंग कर रही है। पाकिस्तानी सेना इनकी खरीद कर रही है और ट्रेनिंग देने के लिए आतंकियों को मुहैया करा रहे हैं। आतंकियों से फॉरवर्ड पोस्टों के अलावा अन्य हमले करने के लिए भी यह स्नाइपर दी जा रही है।

अमूमन आतंकी घुसपैठ करते वक्त अपने साथ एके 56 और एके 47 लेकर आते हैं। लेकिन ताजा ट्रेंड यह है कि आतंकी अपने साथ स्नाइपर राइफल लेकर भी आ रहे हैं। यह 60 इंच लंबी है। वजन भी काफी कम है। इसमें पांच राउंड होते हैं। आतंकी घुसपैठ करने के बाद कम वजन के चलते इनको अपने साथ ला रहे हैं। कश्मीर में दो महीने पहले लश्कर के मारे गए तीन आतंकियों के पास से स्नाइपर राइफल भी मिली थी। एलओसी पर भी ऐसी राइफलें बरामद की जा चुकी हैं।

-सुरेश डुग्गर

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