जब काले हिरण ने की ''आत्महत्या''... !! (व्यंग्य)
आप भी देखिये, वो कौन-कौन से कारण थे, जिनसे हमारे सुपरस्टार सलमान खान, जिन्हें कभी-कभी ''रेप'' वाली फीलिंग भी होने लगती है, उन्हें मुक्त कर दिया गया।
हमारे देश में आत्महत्या करने पर कानूनन प्रतिबन्ध है और उसके बावजूद राजस्थान के रेगिस्तान में 1998 में एक चिन्कारा ने आत्महत्या कर ली थी। राजस्थान के विश्नोई समाज को तो उस हिरण के परिवार वालों पर मामला दायर करना चाहिए था, जिनके दबाव में आकर उस मासूस हिरण ने यह जानलेवा कदम उठाया था। विश्नोई समाज को यह समझना चाहिए कि उस समय भारतीय संस्कृति के ऊपर बनी साफ़-सुथरी फिल्म 'हम साथ साथ हैं' के मासूम अभिनेता सलमान खान उर्फ़ 'प्रेम' उसे बचाने गए थे कि उसी समय पुलिस और गांववालों ने उन्हें घेर लिया था, ठीक 80 के दशक की फिल्मों की तरह! पर वह वास्तव में दोषी थे ही नहीं, उन्हें तो गलत फंसा दिया गया था।
सलमान के चिंकारा मामले में वकील महेश बोरा ने सलमान को बरी किये जाने के बाद राहत की सांस लेते हुए कहा कि उन्होंने मुकद्दमे के दौरान 'सलमान खान को कभी भी टेंशन में नहीं देखा, क्योंकि वह निर्दोष थे।' वकील साहब का मतलब था कि देश भर में जितने निर्दोष लोगों पर मुकद्दमे होते हैं, वह कभी टेंशन में नहीं होते हैं! ये बात सलमान खान के बरी हो जाने के बाद तो पूरी तरह साफ़ हो गयी है कि 'निर्दोष' व्यक्ति को किसी बात की टेंशन ही नहीं लेनी चाहिए। अब जब हिरण मर ही चुका था तो हमारी संस्कृति में महर्षि दाधीच का उदाहरण सलमान खान एन्ड पार्टी को भली-भांति याद था और इसलिए उन सहित 'हम साथ-साथ हैं' के दूसरे अभिनेता-अभिनेत्रियों ने उस हिरण की हड्डी और मांस का सदुपयोग भी किया। मतलब उसे पकाया और कथित तौर पर खाया भी। 'हम आपके हैं कौन' में उनकी सह-अभिनेत्री रही रेणुका शहाणे ने ऐसे में बेवजह सलमान को 'नैतिकता के कठघरे' में खड़ा करने की कोशिश की है। ऐसी स्थिति में 'प्रेम' जैसे चरित्रवान व्यक्ति को अदालत का 18 साल तक बेवजह चक्कर कटवाना कहाँ का इन्साफ है। अदालत में एक से बढ़कर एक सबूत पेश किये गए, जिनसे आखिर में इन्साफ की जीत हो ही गयी।
आप भी देखिये, वो कौन-कौन से कारण थे, जिनसे हमारे सुपरस्टार सलमान खान, जिन्हें कभी-कभी 'रेप' वाली फीलिंग भी होने लगती है, उन्हें मुक्त कर दिया गया। इनमें, हिरण का शिकार किस जगह हुआ उसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है इसलिए, हिरणों का कंकाल बरामद नहीं हो पाया इसलिए, आशीर्वाद होटल और जिप्सी से हिरण के खून के नमूने 12 और 13 अक्टूबर, 1998 को बरामद किए गए, जबकि हिरण का शिकार 26 सितंबर, 1998 को हुआ था। होटल और जिप्सी मालिक के मुताबिक जिप्सी की धुलाई रोज होती है, फिर इतने दिनों बाद खून के निशान कैसे मिल गए। आखिर, होटल मालिक झूठ तो बोल नहीं सकते हैं, इसलिए सलमान खान को छोड़ा जाना ही उचित था। इसके साथ, होटल और जिप्सी के खून के नमूनों को मिलाया नहीं गया, तो 26 सितंबर को शिकार हुआ, जबकि 2 अक्टूबर को खून की गंध आई, पहले क्यों नहीं आई, इसलिए सलमान को मुक्त होना ही था। और देखिये, सलमान के पक्ष में सबूत जिसमें, 7 अक्टूबर की वन विभाग की तलाशी में छर्रे नहीं मिले, फिर 10 अक्टूबर को पुलिस को जिप्सी में छर्रे कैसे मिले। वाकई, यह जबरदस्त पॉइंट है। ऐसे ही, 10 अक्टूबर को तलाशी के दौरान पुलिस को कोई हथियार नहीं मिला, तो 12 अक्टूबर को हथियार कैसे मिला...?
इतना ही नहीं, जांच अधिकारी तय नहीं कर पाए कि किस हथियार से शिकार हुआ था तो मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से तय नहीं हो पाया कि किस हथियार से चिंकारा को काटा गया था। मतलब, इस पूरे केस में कुछ भी तय ही नहीं हो पाया। और हाँ, एयर गन से हिरण को मारना नामुमकिन बताया गया। एक और पॉइंट सलमान के वकील ने नहीं बताया जो यहाँ लिख देते हैं कि एयर-गन से हिरण तो घायल होकर गिर भी नहीं सकता है... है न वकील साहब! आपकी बात बिलकुल दुरुस्त है। कहे देते हैं अगर सलमान को किसी ने दोषी कहा तो! भाई दोषी हो ही नहीं सकते, वह तो 'बीइंग ह्यूमन' के संदेशवाहक हैं। इसके अतिरिक्त, प्वॉइंट 177 के छर्रे बरामद हुए हैं, वे सलमान खान और सैफ अली खान के पास से बरामद हथियारों से मेल नहीं खाते। वाकई, मेल खाने और खिलाने के लिए पुलिस से बड़ी रिपोर्ट भला और कौन बना सकता है। हम तो कहते हैं, यह साजिश थी काले हिरणों के परिवार की।
वैसे अदालत में यह कहानी नहीं बताई गयी, किन्तु इस मामले में हुआ कुछ यूं होगा कि जो हिरण मरा, उसकी बहन यानी 'हिरनी' 'बॉलीवुड फिल्मों' में अपना कॅरियर बनाना चाहती होगी और इसके लिए उसने अपने भाई से कहा होगा कि सलमान खान शूटिंग के लिए राजस्थान आये हैं, इसलिए वह जाकर उनसे बात करे। पहले तो हिरण ने ना-नुकर किया होगा, किन्तु अपनी बहन का दुःख उस बिचारे चिंकारा से बर्दाश्त नहीं हुआ और वह सलमान के पास होटल चला गया होगा। अब बॉलीवुड में आदमी-औरतों को तो काम मिल नहीं रहा, बिचारे सलमान 'हिरणी' को हीरोइन कैसे बना देते। इसलिए वाद-विवाद में हिरण धमकी देने लगा होगा कि 'या तो सलमान उसकी बहन को सोलो हीरोइन वाली फिल्मों में लांच करें, नहीं तो वह आत्महत्या कर लेगा। सलमान भाई ने सोचा होगा कि हिरण मजाक कर रहा है और वह 'बिग-बॉस' जैसे हंसने लगे होंगे! पर 'चिंकारा' भी ज़िद्दी था और अपनी बहन को हीरोइन बनवाने के लिए कुछ भी कर सकता था। तो उसने वहीं पड़ी सलमान की बन्दूक उठाकर आत्महत्या की कोशिश की होगी। सलमान भाई, मामले को भांप कर उस पर यूं झपट्टा मारने ही वाले होंगे कि वह होटल की खिड़की से कूद कर जंगल में भागा होगा। चिंकारा आगे-आगे, सलमान भाई पीछे-पीछे... सल्लू जी को दौड़ता देख, सैफू और दूसरे लोग भी भागे... और जब तक वह पहुँचते हिरण के पास, तब तक...
वह खुद पर फायर कर चुका होगा। चूंकि, खरगोश और कबूतर मारने वाली गन थी, इसलिए वह घायल हो गया होगा और सलमान भाई से रिक्वेस्ट करने लगा होगा कि उसे इस 'घायल ज़िन्दगी' से मुक्त कर दें। सलमान भाई, उसका इलाज भी करवाने वाले होंगे, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने मुम्बई में फुटपाथ पर उनकी गाड़ी चढ़ जाने वालों का करवाया था उसी रात को, वह भी मुम्बई के लीलावती हॉस्पिटल में। किन्तु हिरण गिड़गिड़ाने लगा होगा और तब हमारे सुलतान ने पत्थर दिल पर रखा होगा और उसे चाकू, सॉरी... सॉरी... मुक्ति-यन्त्र से शनैः शनैः मुक्त कर दिया होगा। फिर उसका मांस 'ह्यूमन बीइंग' के काम आये, इसलिए.... !!!
इस फैसले की शाम को जब खाना खाने बैठा तो उदास चेहरा देखकर मेरी पत्नी सलमान खान पर मेरा मंतव्य समझ गयी, किन्तु उसने मेरे मुंह खोलने से पहले ही कहा...
क्या पहली बार ऐसा हुआ है या फिर आगे ऐसा नहीं होगा? इसलिए, आप भी औरों की तरह कहिये 'सत्यमेव जयते'!
वह पगली यह नहीं समझ पायी कि मैं बिचारे सलमान खान के लिए दुःखी था, जिसने कैसे तिल-तिल करके 18 साल का लंबा दर्द झेला, ठीक उसी कांस्टेबल रविंद्र पाटिल की तरह, जो 'हिट एंड रन' में 'झूठी गवाही' के चक्कर में तिल-तिल करके मर गया। मन ही मन सोच रहा था कि तब भी अपने सल्लू भाई सच्चाई पर खड़े थे, अन्यथा उन्हें 2 घंटे में ज़मानत थोड़े ही मिल जाती। इस बार भी बिचारा उस 'आत्मघाती हिरण और उसकी बहन' के चक्कर में कितना दुःखी हुआ...
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