बालाकोट एअर स्ट्राइक पर विवाद से साबित हुआ, राजनेता सेना को भी नहीं बख्शते

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भारतीय सेना के शौर्य पर राजनीतिक उठापटक चालू हो गयी। सबसे पहले एयर स्ट्राइक के दूसरे दिन ही उमर अब्दुल्ला ने वायुसेना पर सवाल उठाया था कि जो एयर स्ट्राइक की गयी है वह बालाकोट भारतीय हिस्से में है।

भारतीय सेना के पराक्रम पर जो लोग सवालिया निशान उठा रहे हैं उनको शर्म आनी चाहिये। सैनिकों ने जो पराक्रम पाकिस्तान में घुसकर दिखाया और आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया उस पर अब राजनीतिक लोग अपनी-अपनी रोटियां सेंकने पर लगे हैं कोई मारे गये आतंकियों की सख्या जानना चाहता है तो कोई उस पर सबूत चाहता है कि आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई या केवल जंगलों को ही नुकसान पहुँचाया गया। मानने की यह बात है कि यदि सेना ने आतंकियों को नुकसान नहीं पहुँचाया तो पाकिस्तान ने भारत में लड़ाकू विमान एफ-16 से भारतीय सीमा पर बमबारी क्यों की और सैन्य ठिकानों को क्यों निशाना बनना चाहता था।

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जब भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक की थी उसके दूसरे दिन ही पाकिस्तान ने एफ-16 लड़ाकू विमान से भारतीय सीमा में घुसकर बमबारी शुरू की थी तभी विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान का लड़ाकू विमान एफ-16 मार गिराया था और उनका विमान मिराज-2000 भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसके चलते पाकिस्तानी नागरिकों ने अभिनंदन को पकड़ लिया था और उनको काफी मारा-पीटा था। जिसका वीडियो भी बहुत तेजी से वायरल हुआ था। बाद में वहाँ की सेना ने अपने कब्जे में लेकर अभिनंदन से पूछताछ भी की थी जिसका भी वीडियो आया था। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया था तभी विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान सरकार रिहा करने पर मजबूर हुई थी।

इन सब के बीच भारतीय सेना के शौर्य पर राजनीतिक उठापटक चालू हो गयी। सबसे पहले एयर स्ट्राइक के दूसरे दिन ही उमर अब्दुल्ला ने वायुसेना पर सवाल उठाया था कि जो एयर स्ट्राइक की गयी है वह बालाकोट भारतीय हिस्से में है। जबकि भारतीय सीमा से सटा हुआ बालाकोटे है न कि पाकिस्तान वाला बालाकोट। यह सरकार को बताना पड़ा था कि यह बालाकोट पाकिस्तान वाला है। इसके बाद उनका कोई बयान नहीं आया। बिना जानकारी के ऐसी बयानबाजी नेताओं की आदत-सी हो गई है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार से एयर स्ट्राइक के सबूत मांग लिये और यह भी कहा कि एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई व इस ऑपरेशन की जानकारी विपक्ष को भी नहीं साझा की। मोदी सरकार से जवाब मांगा गया कि इस ऑपरेशन से कहाँ बम गिराए गए और कितने लोग उसमें मारे गए। वहीं नवजोत सिंह सिद्धू पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तान से वार्ता की बात कह रहे थे और जब प्रधानमंत्री ने पुलवामा हमले के बाद विपक्ष की सर्वदलीय बैठक में सभी से पाकिस्तान के खिलाफ सहमति मांगी तो सभी उनके पक्ष में रहे और सभी ने एक सुर में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की थी। तब सिद्धू भी सुर में सुर मिला रहे थे लेकिन जब भारतीय विंग कामंडर को पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर हो गया तब इमरान की दरियादिली की बात करने लगे। फिर वार्ता का सुर अलापना शुरू कर दिया। बाद में सिद्धू भी सेना की कार्रवाई का सुबूत मांगने लगे कि इस कार्रवाई में कितने आतंकी मरे उसकी जानकारी साझा की जाये।

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गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी भारतीय सेना के पराक्रम को न देखते हुए एयरस्ट्राइक का सुबूत मांगने लगे। उन्होंने अमेरिका का हवाला देते हुए कहा कि ओसामा बिन लादेन के खिलाफ जब अमेरिका ने कार्रवाई की थी तब उन्होंने सैटेलाइट के जरिये तस्वीरें साझा की थीं। उन्होंने यह भी कहा था कि यह तकनीकी का युग है ऐसे में सैटेलाइट के माध्यम से सारी तस्वीरें सामने आ जाती हैं। अगर देखा जाये तो जब कांग्रेस की केन्द्र में सरकार थी तब भी तो सैटेलाइट था तब भी तो आतंकी हमले होते थे तब क्यों सैटेलाइट का इस्तेमाल नहीं किया गया। आज जो लोग इन कार्रवाई पर सवालिया निशान उठाकर राजनीतिक फायदा लेना चाहते हैं उन्हें यह भी देखना चाहिये कि दूसरे देश क्यों भारत का साथ देने के लिए तैयार हैं। ईरान भी तो मुस्लिम देश है फिर पाकिस्तान के आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए क्यों कह रहा है और उसने भारतीय सेना जैसी कार्रवाई करने की चेतावनी तक दे डाली है।

बता दें 13 फरवरी को पाकिस्तान से सटी ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान सीमा में एक आत्मघाती हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के 27 जवान शहीद हो गए थे। इसी के चलते कुर्द सेना के कमांडर जनरल कासिम सोलेमानी ने कहा था कि अगर पाकिस्तान ने अपनी जमीन पर पनप रहे आतंकवाद को खत्म नहीं किया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं और पाकिस्तान से सवाल भी किया कि आप किस ओर जा रहे हैं ? आपने सभी पड़ोसी देशों की सीमा पर अशांति फैलाई हुई है ऐसा कोई पड़ोसी देश बचा नहीं जहाँ असुरक्षा न फैलाई गयी हो।

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वहीं राजनीतिक लोगों का निशाना बनने के कारण भारतीय वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ को आखिरकार प्रेस के सामने आना पड़ा। सभी सवालों को उन्होंने बहुत ही सटीक जवाब भी दिया। उन्होंने बहुत ही कम शब्दों में अच्छा जवाब दिया। उन्होंने कहा, वायुसेना मरने वालों की गिनती नहीं करती और बालाकोट आतंकी शिविर पर हवाई हमले में हताहत लोगों की संख्या की जानकारी सरकार देगी। मरने वालों की संख्या लक्षित ठिकाने में मौजूद लोगों की संख्या पर निर्भर करती है। वायु सेना प्रमुख ने यह भी बताया कि यदि जंगल में बम गिरते तो पाकिस्तान क्यों जवाबी हमला करता।

वहीं इसी खींचतान के बीच एनटीआरओ (नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने बड़ा खुलासा किया था कि सर्विलांस के मुताबिक बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैम्प में जब भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक की थी तब वहाँ करीब 300 मोबाइल फोन एक्टिव थे। अब इसको लेकर भी राजनीति हो सकती है। वहीं पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमान एफ-16 से तो घुसपैठ की ही थी साथ ही ड्रोन से भारतीय सीमा पर भी जानकारियां इकट्ठा करने में जुटा था। 26 फरवरी को भारतीय सेना ने पाक सीमा से सटे कच्छ के अबडासा के निकट घुसे एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था। जिसके दो टुकड़े वहाँ के ग्रामीणों को मिले थे। इतना ही नहीं 4 मार्च को सुखोई 30एमकेआई विमान ने पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया। पाकिस्तानी ड्रोन को भारतीय वायु सुरक्षा रडार प्रणाली के जरिए पकड़ा गया। इतना ही नहीं आये दिन पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन होता है। इसी सब से समझ आता है कि पाकिस्तान, भारत पर हमले की फिराक में है लेकिन उसको मौका नहीं मिल रहा है।

कुछ राजनीतिक लोगों को अपने देश के शहीदों और उनके परिवार वालों की नहीं बल्कि पड़ोसी देश की चिंता है। अपने ही देश की सेना पर सवालिया निशान उठाकर उनके पराक्रम पर संशय जता रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया विपक्षियों के सवालिया निशान उठाने को लेकर जमकर सुर्खियां चला रहे हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के सबूत मांगने पर पाकिस्तानी टीवी जियो न्यूज ने ब्रेकिंग खबर चलाई। चैनल ने कहा कि भारत के प्रमुख विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार से बालाकोट हमले का सबूत मांगा।

-रजनीश कुमार शुक्ल

सह संपादक (अवधनामा ग्रुप)

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