गांवों में गये तब योगी को पता चला कितना झूठ बोलते थे अफसर

Yogi adityanath ratri chaupal in villages
अजय कुमार । Apr 30 2018 5:55PM

योगी आदित्यनाथ स्वयं और उनकी सरकार के मंत्री आजकल गांवों में रात्रि विश्राम कर रहे हैं। वह वहां चौपाल लगाकर विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं, ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं और तत्काल कई समस्याओं का निराकरण भी करा देते हैं।

उत्तर प्रदेश के गांवों की हकीकत जानने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं और उनकी सरकार के मंत्री आजकल गांवों में रात्रि विश्राम कर रहे हैं। वह वहां चौपाल लगाकर विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं, ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं और तत्काल कई समस्याओं का निराकरण भी करा देते हैं। सरकार के सामने जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है, उससे तो यही लगता है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सरकार की आंखों में धूल झोंककर गांवों में विकास का जो डंका बजाया जा रहा है, वह हकीकत से कोसों दूर है। योगी सरकार को गठन के साल भर बाद गांवों की सुध आई है तो यह अच्छी बात है, लेकिन कुछ लोग योगी सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं जिसको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। कई मोर्चों पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं कि कहीं अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिये तो यह पूरी जद्दोजहद नहीं हो रही है।

खैर, राजनैतिक पहलू और आरोप−प्रत्यारोप की राजनीति से हटकर बात की जाये तो योगी सरकार के मंत्रियों के गांवों में रात्रि विश्राम ने सरकार की आंखें खोल दी हैं। जगह−जगह विकास के खोखले दावों के बीच अफसरों और कर्मचारियों की कारगुजारी उजागर हो रही है तो गांव वालों से काम के बदले रिश्वत मांगने तक की शिकायतें सामने आ रही हैं। कई अफसरों की कार्यशैली तो इतनी गई−गुजरी दिखी कि उन्हें मोदी और योगी सरकार के अति महत्वाकांक्षी और अहम योजनाओं को भी सुचारू ढंग से लागू करने की चिंता नही थी, लेकिन मंत्रियों के दौरों से हवा का रूख बदला है। जहां−जहां मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने रात्रि विश्राम किया, वहां के लोग इस बात से संतुष्ट दिखे कि उनकी सरकार उनके द्वार आकर समस्याएं सुन रही है, जिसका फायदा भी ग्रामीणों को मिल रहा है। कई जगह देखने में आया कि मंत्रियों के दौरे का कार्यक्रम बनते ही अफसर सक्रिय हो रहे हैं। जिससे लम्बे समय से रूके या कच्छप गति से चल रही कई योजनाओं को गति मिली है। इससे कई काम अपने आप ही हो गए जो वर्षों से नहीं हुए थे। मंत्रियों के रात्रि विश्राम की खबरों से उत्साहित ग्रामीण कहते हैं कि हर गांव में मंत्रियों के ऐसे ही दौरे हों तो काफी कुछ बदल सकता है।

यह सच है कि मुख्यमंत्री योगी और उनके मंत्री गांव में रात्रि विश्राम करके अपनी सरकार के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं तो इस बहाने वोट बैंक साधने की कोशिश भी खूब हो रही है। सीएम योगी दलितों के वहां खाना खा रहे हैं तो उनके मंत्रियों का दौरा भी वोट बैंक की सियासत से बचा नहीं रह पाया है लेकिन पार्टी के ही पूर्व प्रवक्ता और अब प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि पार्टी कार्यकर्ता और जन प्रतिनिधि जनता की मदद कर रहे हैं। इससे पहले की सरकारें तो अपनी समीक्षा करने का साहस भी नहीं करती थीं। सरकार जनता के लिए कई योजनाएं चला रही है तो उसकी समीक्षा भी जरूरी है। मौके पर जायजा लेने से अफसरों के कामकाज के तरीके पर प्रभाव पड़ता है और विकास का वातावरण बनता है।

मंत्रियों के दौरों से जो बात उभर कर समाने आ रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि ज्यादातर गांव वाले राशन कार्ड नहीं बन पाने या फिर राशन नहीं मिलने के चलते परेशान थे, किसानों की कर्ज माफी में अफसरों की मनमानी, प्राकृतिक आपदा में फसल चौपट होने पर कोई मदद नहीं मिलने जैसी समस्याओं के अलावा तंगहाली के चलते आत्महत्या को मजबूर किसान, प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार, कृषि उत्पादों की सही लागत नहीं मिलने, नालियों की दुर्दशा, सड़क नहीं होने या फिर उबड़−खाबड़ होने जैसी तमाम समस्याएं भस्मासुर बनी हुई हैं। अमरोहा के दौरे के दौरान तो मुख्यमंत्री योगी ने राशन कार्ड बनाने में धांधली पर जांच तक के आदेश दे दिये। उन्होंने यहां तक आशंका जताई कि कहीं ऐसा तो नहीं राशन डीलर ने अपने पास कार्ड रख लिए हों ? इससे पहले प्रतापगढ़ में भी चौपाल के दौरान प्रधानमंत्री आवास के लिए रिश्वत लेने की शिकायत ग्रामीणों ने की थी, इस पर भी मुख्यमंत्री ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। हालात यह थे कि जो गांव ओडीएफ घोषित हो चुके हैं, उनमें ज्यादातर घरों में शौचालय ही नहीं बने थे। गांव में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के रात्रि विश्राम से अफसरशाही का ऐसा ही सच खुलकर सामने आ रहा है। इससे यह भी साफ हो गया कि अफसर किस तरह कागजों पर सब दुरुस्त दिखाकर सरकार, मंत्रियों व मुख्यमंत्री तक को गुमराह कर रहे हैं और सरकार की अहम योजनाओं में पलीता लगा रहे हैं।

सरकारी अधिकारी सरकार को गुमराह करने का कोई भी मौका छोड़ते नहीं हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री, सरकार के सभी मंत्री और बीजेपी के बड़े पदाधिकारी गांवों में रात्रि विश्राम करके सरकारी योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं उससे जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है उससे तो यही लगता है कि उससे सरकारी अफसरों की नींद उड़ गई है, कई जगह तो अफसर गड़बड़ियां सामने आने पर गिड़गिड़ाते हुए भी दिखे। अधिकारियों की हठधर्मी की पराकाष्ठा तब दिखी जब उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने ही झूठ बोलकर सीएम को गुमराह करने का उदाहरण पेश कर दिया। अमरोहा में मुख्यमंत्री ने कलेक्ट्रेट में समीक्षा की तो चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई। यहां ओडीएफ घोषित गांवों के बारे में सीएम द्वारा पूछा गया तो उन्हें बताया गया कि 90 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। सच छुपाने पर खुद सरकार के ही मंत्री चेतन चौहान और विधायक महेंद्र सिंह ने कहा कि ओडीएफ जरूर हैं लेकिन आधे से ज्यादा घरों में शौचालय नहीं हैं। यह सच सामने आने के बाद योगी ने एडीओ और डीपीआरओ को सस्पेंड करने के आदेश दिये।

इसी प्रकार उप−मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने लखनऊ में ही सरोजनी नगर में रात्रि विश्राम किया। यहां चौपाल में लोगों ने सड़क और नालियों की समस्याएं बताईं। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दबंग लोगों द्वारा चकरोड के आगे का रास्ता बंद कर दिया गया है। इसके लिए प्रधान को भी जिम्मेदार ठहराया गया। मंत्रियों के दौरों से एक और बात भी उभर कर सामने आ रही है। यूपी में आवारा मवेशी किसानों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। गाय, बैल आदि पशु फसलों को चर रहे हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही अवैध बूचड़खाने बंद कराने के ऐलान के साथ ही गौवंश के वध पर सख्त कानून जारी किया। चूंकि योगी पहले से ही कट्टर हिन्दूवादी और फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं, लिहाजा नए सीएम के फरमान पर बिना दिमाग लगाए सरकारी मशीनरी ने गाय−बछड़ों के ट्रकों के पहिये जाम कर दिए। गौरक्षकों ने भी खूब तांडव मचाया। इसका खामियाजा अब सामने आ रहा है। लोगों के छुट्टा पशु अब हरे भरे खेतों में तांडव कर रहे हैं। इससे किसानों की फसल तबाह हो रही है। हालत ये है कि इस फरमान के एक साल बाद जितने रुपये किसानों के ऋण माफ किए गए थे उससे कहीं ज्यादा की फसल यह छुट्टा पशु चर गए। हर जगह यह जानवर नजर आने लगे हैं। झुंडों में घूम रहे छुट्टा पशु खेतों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं जिसकी चर्चा हर खेत खलिहान में होने लगी है।

इन छुट्टा जानवरों से परेशानी का आलम ये है कि कहीं गौवंश को भगाने को लेकर किसानों में आपस में मारपीट हो रही है तो कहीं किसान अपनी फसल बचाने के चक्कर में इन्हें दूसरों के खेतों में हांक दे रहे हैं। इतना ही नहीं रात में ये लोग अपने इलाके के पशु चोरी से किसी दूसरे इलाके में पहुंचा रहे हैं। इससे सामाजिक वैमनस्य बढ़ रहा है। सबसे बड़ी मुसीबत मुस्लिम खेतिहरों की है। वे अपने खेत में घुसे बछड़े और सांड को मार भी नहीं सकते क्योंकि अगर कहीं गौवंश को गंभीर चोट लग गई तो मामला कुछ और ही तूल पकड़ सकता है।

गौरतलब है कि 2012 में गोवंश की गणना आखिरी बार हुई तो उत्तर प्रदेश में कुल एक करोड़ 95 लाख 57 हजार 67 गोवंश हैं। इनमें एक करोड़ 46 लाख गाय और 49 लाख सांड और बछड़े हैं। ये गणना छह साल पुरानी है। पहले खेती में बैलों की मांग थी लेकिन अब ना के बराबर है। और एक साल से गौवंश वध पर सख्ती के बाद इनकी तादाद कितनी बढ़ी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। खेत से लेकर सड़कों तक हर ओर छुट्टा गौवंश दिख रहा है। लब्बोलुआब यह है कि कहीं अफसर योगी सरकार के कामकाज पर पलीता लगा रहे हैं तो कहीं योगी सरकार की हठधर्मी के चलते किसान परेशान हैं।

-अजय कुमार

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