03 जुलाई से शुरू होगा समुद्री तटों से कचरा हटाने का महा-अभियान

garbage beaches

समुद्री जीवन और समुद्री पारिस्थिकी तंत्र की रक्षा के लिए समुद्र तटों को साफ रखना आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के अनुसार, विभिन्न प्रकार के उपयोग के लिए हर साल 30 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अब तक का सबसे लंबा समुद्र तटीय स्वच्छता अभियान आगामी 03 जुलाई को शुरू होने जा रहा है। 75 दिन तक चलने वाला यह अब तक का सबसे लंबा तटीय स्वच्छता अभियान है, जिसका औपचारिक समापन 17 सितंबर, 2022 को आगामी ‘अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस’ के अवसर पर होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा हाल में जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी प्रदान की गई है। 

तटीय स्वच्छता अभियान का लक्ष्य समुद्री तटों से 1,500 टन कचरे को हटाना है। यह समुद्री जीवों और तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत होगी। यह अभियान 03 जुलाई, 2022 को विवरणिका (ब्रोशर) के विमोचन और पत्रकारों के साथ बातचीत से शुरू होगा। पूरे देश, विशेष रूप से तटीय राज्यों में इस अभियान की औपचारिक शुरुआत होगी।

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अनेक चर्चित हस्तियां इस अभियान के अंतर्गत आयोजित होने वाले स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगी। विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, एवं शोध संस्थानों के छात्रों/शोधार्थियों समेत अन्य विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थानों के प्रतिभागी और आम लोग भी इस अभियान में शामिल होंगे। 

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा हाल में "अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस-2022" की तैयारियों की समीक्षा की गई है। भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक के अलावा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और अन्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी इस समीक्षा बैठक में उपस्थित थे। 

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस साल यह आयोजन देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर मनाये जा रहे स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव से मेल खाता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया है कि तटीय क्षेत्रों के अलावा गैर-तटीय क्षेत्रों में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभागों/प्रभागों के माध्यम से ‘अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस’ पर स्थानीय लोगों तक संदेश पहुँचाने की योजना बनानी चाहिए। 

समुद्री जीवन और समुद्री पारिस्थिकी तंत्र की रक्षा के लिए समुद्र तटों को साफ रखना आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के अनुसार, विभिन्न प्रकार के उपयोग के लिए हर साल 30 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है। हर साल कम से कम 1.40 करोड़ टन प्लास्टिक समुद्र में बहा दिया जाता है।

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प्लास्टिक कचरा समुद्री सतह लेकर गहरे समुद्र की तलछट तक पाये जाने वाले सभी प्रकार के समुद्री मलबे के करीब 80 प्रतिशत हिस्से के बराबर होता है। समुद्री प्रजातियां प्लास्टिक कचरे  के कारण बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रही हैं। इससे समुद्री जीव गंभीर चोटों का शिकार बनते हैं, और उनकी मौत हो जाती है। प्लास्टिक प्रदूषण खाद्य सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता, मानव स्वास्थ्य, तटीय पर्यटन के लिए खतरा है, और जलवायु परिवर्तन में भी योगदान देता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अपनी तरह का पहला और सबसे लंबे समय तक चलने वाला तटीय स्वच्छता अभियान होगा, जिसमें सबसे अधिक संख्या में लोग हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि न केवल तटीय क्षेत्रों बल्कि देश के अन्य हिस्सों की समृद्धि को लेकर "स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर" का संदेश देने के लिए इसमें आम आदमी की भागीदारी जरूरी है।

केंद्रीय मंत्री ने ‘अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस’ के लिए लोगो, विज्ञापन, टैग लाइन और इससे संबंधित अन्य विषयगत पहलुओं का पूर्वावलोकन किया। इसके अलावा उन्होंने मुख्य समारोह की सफलता सुनिश्चित करने के लिए इसके पहले की गतिविधियों में शामिल अधिकारियों को भी निर्देश दिए हैं।

भारत की तटरेखा 7516.6 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 5,422.6 किलोमीटर मुख्यभूमि की तटरेखा है, और 2,094 किलोमीटर तटरेखा द्वीपीय क्षेत्रों की है। भारत में नौ तटीय राज्य हैं, जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। 

(इंडिया साइंस वायर)

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