विकसित हुई घर बैठे कोरोना संक्रमण के स्वयं परीक्षण की इलेक्ट्रॉनिक तकनीक

COVID TEST KIT

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संचालित कोरोना संक्रमण परीक्षण किट विकसित की है। यह परीक्षण किट भारत की पहली रैपिड इलेक्ट्रॉनिक कोविड टेस्ट किट है जो लक्षण और लक्षणरहित दोनों प्रकार के रोगियों के लिए 30 मिनट के भीतर परिणाम देने में सक्षम है।

देश में इस समय कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है और इस परिस्थति में प्रशासन द्वारा यह प्रयास किए जा रहे है कि किसी भी परिस्थिति में लोगों की भीड़ इकट्ठा न हो पाए। देश के वैज्ञानिकों द्वारा भी यह प्रयास किए जा रहे हैं कि लोग घर पर रहकर ही अपने कोरोना संक्रमण की जांच कर पाने में सक्षम हो सकें। इसके लिए देश के वैज्ञानिकों ने कई कोरोना संक्रमण जांच किट विकसित की है जिनके माध्यम आप स्वंय कोरोना संक्रमण की जांच कर सकते है। 

इसी क्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संचालित कोरोना संक्रमण परीक्षण किट विकसित की है। यह परीक्षण किट भारत की पहली रैपिड इलेक्ट्रॉनिक कोविड टेस्ट किट है जो लक्षण और लक्षणरहित दोनों प्रकार के रोगियों के लिए 30 मिनट के भीतर परिणाम देने में सक्षम है।

इसे भी पढ़ें: केवीपीवाई फेलोशिप के लिए 25 अगस्त तक छात्र कर सकते हैं आवेदन

'कोविहोम' नामक इस परीक्षण किट का प्रमुख लाभ यह है कि इसके माध्यम से कोरोना संक्रमण की जांच के लिए न तो आरटी-पीसीआर जैसे टेस्ट के लिए मशीन की जरूरत होगी और न ही किसी एक्सपर्ट सुपरविजन की जरूरत होगी। कोई भी व्यक्ति अपने घर पर इसकी मदद से कोरोना संक्रमण की जांच कर पाएगा। अभी इस किट के माध्यम से कोरोना संक्रमण की जांच में करीब 400 रुपये तक की लागत आएगी। हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की स्वीकृति के बाद जब इस किट का अधिक मात्रा में उत्पादन होगा तो इसकी कीमत में 100 रूपये तक कमी आने की संभावना है जिससे यह आम आदमी की पहुंच में आ सकेगी।  

  

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान (सीएसआईआर) की हैदराबाद स्थित लैब सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सलाह के अनुसार इन-हाउस नमूनों और अस्पताल के नमूनों के साथ स्वतंत्र रूप से स्वाब नमूनों में सार्स-कोव-2 वायरस का पता लगाने के लिए इस रैपिड आरएनए इलेक्ट्रॉनिक डायग्नोस्टिक डिवाइस का सत्यापन किया है। स्वाब नमूनों की आरटी-पीसीआर विधि द्वारा उनकी सकारात्मकता या नकारात्मकता के लिए पुष्टि की गई थी। जिसके अनुसार कोरोना संक्रमण की जांच में इस किट की एफिशिएंसी 94.2 प्रतिशत, सेंसिटिविटी 91.3 प्रतिशत और स्पेसिफीसिटी 98.2 प्रतिशत पायी गयी है।

आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी.एस.मूर्ति ने कहा है कि आईआईटी हैदराबाद ने कई अनूठी और नवीन सामाजिक-तकनीकी पहल की हैं और इस महामारी के दौरान उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं। "कोविहोम" ऐसा ही एक सराहनीय मील का पत्थर है। उन्होंने  विश्वास जताया है कि यह कोविड-19 के सुरक्षित और तेज निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसके प्रसार को भी कम करेगा।

इसे भी पढ़ें: तैयार हुआ ओरल कैंसर के जीन के प्रतिरूपों का डाटाबेस

आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर और इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर शिव गोवंद सिंह ने कहा कि ‘कोविहोम’ टेस्ट किट के विकास का एक प्रमुख उद्देश्य किफायती परीक्षण के माध्यम से कोरोना वायरस की संचरण श्रृंखला को तोड़ना है । उन्होंने बताया कि इस कीट के लिए पहले ही एक पेटेंट दायर किया जा चुका है और अब इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए औद्योगिक भागीदार की तलाश शुरू हो चुकी है।

‘कोविहोम’ टेस्ट किट को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं के दल में डॉ सूर्यस्नाता त्रिपाठी, सुप्रजा पट्टा, स्वाति मोहंती और शोध छात्र शामिल हैं जिनका नेतृत्व आईआईटी हैदराबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह ने किया है। डिवाइस का प्रारंभिक नैदानिक परीक्षण  हैदराबाद के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में किया गया था। डीन ईएसआईसी, प्रोफेसर श्रीनिवास एम और उनकी टीम में शामिल डॉ इमरान, डॉ स्वाति और डॉ राजीव ने भी इस किट के सफल विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई है। 

(इंडिया साइंस वायर) 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़