भारत में आधुनिक जीव-विज्ञान के जनक डॉ. पुष्‍पमित्र भार्गव

Dr. Pushpa Mittra Bhargava, father of modern biology in India

भारत में आधुनिक जीव-विज्ञान के पितामह कहे जाने वाले वैज्ञानिक डॉ. पीएम भार्गव का निधन वैज्ञानिक जगत के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक गंभीर क्षति है।

नवनीत कुमार गुप्ता। (इंडिया साइंस वायर): भारत में आधुनिक जीव-विज्ञान के पितामह कहे जाने वाले वैज्ञानिक डॉ. पीएम भार्गव का निधन वैज्ञानिक जगत के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक गंभीर क्षति है। डॉ. पुष्पमित्र भार्गव देश के उन गिने-चुने वैज्ञानिकों में से थे जो वैज्ञानिक शोध-कार्यों के साथ-साथ देश में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियों के गुण-दोषों पर भी अक्सर प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहते थे। 

22 फरवरी, 1928 को राजस्थान के अजमेर में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे पीएम भार्गव के पिता रामचंद्र भार्गव जन-स्वास्थ्यकर्मी थे। जब वह 10 वर्ष के थे तो उनका परिवार उत्तर प्रदेश आ गया और उनकी आगे की शिक्षा-दीक्षा वहीं पर हुई। वर्ष 1944 में उन्‍होंने उत्तर प्रदेश में रहकर गणित, भौतिकी और रसायन-विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1946 में लखनऊ विश्वविद्यालय से कार्बनिक रसायन में एमएससी की उपाधि प्राप्त की। यहीं से उन्होंने संश्लेशित रसायन विज्ञान में अपनी पीएचडी पूरी की। उसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय और उस्‍मानिया विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया। 23 वर्ष की उम्र में ही उनके कई शोधपत्र प्रकाशित हो चुके थे।

हैदराबाद की क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला में उन्‍होंने कॅरियर आरंभ किया। इस संस्थान को आज भारतीय रसायनिकी प्रौद्योगिकी संस्थान के नाम से जाना जाता है। इस संस्थान में उन्होंने 1953 तक कार्य किया। वर्ष 1953 में वे पोस्ट-डॉक्टरेट फैलोशिप पर अमेरिका चले गए। अमेरिका में रहकर उन्होंने कैंसर की दवा के विकास में महत्वपूर्ण शोध कार्य किया। वर्ष 1956 से 1957 के दौरान उन्होंने ब्रिटेन के राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में विशिष्ट वेलकम ट्रस्ट फैलो के रूप में कार्य किया, जहां उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया। यही वह समय था जब जीव-विज्ञान का क्षेत्र उन्हें आकर्षित करने लगा और उन्होंने जीव-विज्ञान में शोध कार्य आरंभ कर दिया। 

वर्ष 1977 में उन्‍होंने हैदराबाद में कोशिकीय एवं आण्विक जीव-विज्ञान केन्द्र (सीसीएमबी) की स्थापना की। वह इस संस्थान के संस्थापक निदेशक थे। उनके समय में इस संस्थान की एक विशेषता यह थी कि उस दौरान संस्थान की सभी प्रयोगशालाएं 24 घंटे खुली रहती थीं। शोधार्थी किसी भी समय वहां पर जाकर अपना शोध कार्य कर सकते थे। शोधार्थियों को सभी उपकरणों के उपयोग की छूट थी। ऐसे वातावरण में यह संस्थान उत्कृष्ट शोध कार्यों के कारण पूरी ​दुनिया में प्रसिद्ध हुआ। आज सीसीएमबी आधुनिक जीव-विज्ञान के विभिन्‍न क्षेत्रों में शोध करने वाला एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है। डॉ. भार्गव फरवरी, 1990 तक सीसीएमबी के निदेशक रहे। 

डॉ. भार्गव ने जैव-प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से स्वतंत्र एक जैव-प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना का सुझाव उन्‍होंने ही दिया था। उनके इस सुझाव पर तत्कालीन सरकार ने एक समिति का गठन किया और इस प्रकार वर्ष 1986 में जैव-प्रौद्योगिकी विभाग अस्तित्व में आया। आनुवांशिक अभियांत्रिकी, तंत्रिका-विज्ञान और जीवन की उत्पत्ति संबंधी वैज्ञानिक कार्यों में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। उनके अनेक शोधपत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध-‍पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। इसके अलावा उन्होंने विज्ञान पर आधारित कई लो​कप्रिय लेख भी लिखे।

उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोगों को अंधविश्वासों से दूर रहने के लिए कई व्याख्यान दिए। विज्ञान संचार के लिए कार्यरत राष्ट्रीय संस्था विज्ञान प्रसार के अनेक वैज्ञानिक कार्यक्रमों को भी उनका मार्गदर्शन मिला। वर्ष 2005 से 2007 तक वह राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। भार्गव सरकारी नीतियों पर समालोचक के रूप में प्रसिद्ध रहे। वह भारत सरकार द्वारा गठित जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नामित सदस्य भी रहे। (इंडिया साइंस वायर)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़