अनुवांशिक रूपांतरणों के लिए पर्यावरणीय कारक भी जिम्मेदार

environmental-factors-also-responsible-for-genetic-conversions

पर्यावरणीय बदलाव मनुष्यों के साथ-साथ वनस्पतियों और अन्य जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए रासायनिक एजेंटों का सुरक्षित उपयोग और निपटान सुनिश्चित करना जरूरी है। इस तरह के आनुवांशिक बदलावों के लिए जिम्मेदार इन एजेंट्स को म्यूटेजेन कहते हैं, जो कैंसर जैसे रोगों को जन्म देने के लिए जाने जाते हैं।

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारक मनुष्य के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षात्मक व्यवहार और पारिस्थितिक तंत्र के जीनोम को प्रभावित करते हैं। इस प्रक्रिया में कई भौतिक, रासायनिक या फिर जैविक एजेंट आनुवंशिक रूपांतरणों का कारण बनकर उभरते हैं। इस तरह के आनुवांशिक बदलावों के लिए जिम्मेदार इन एजेंट्स को म्यूटेजेन कहते हैं, जो कैंसर जैसे रोगों को जन्म देने के लिए जाने जाते हैं। 

रासायनिक तत्व, पराबैंगनी अथवा एक्स-रे विकिरण जैसे एजेंट्स म्यूटजेन के कुछेक उदाहरण हैं। “अधिकतर मामलों में इस तरह के परिवर्तनों के पीछे निहित कारणों को निर्धारित करना एक चुनौती के रूप में देखी गई है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि पर्यावरणीय बदलाव मनुष्यों के साथ-साथ वनस्पतियों और अन्य जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए, रासायनिक एजेंटों का सुरक्षित उपयोग और निपटान सुनिश्चित करना जरूरी है।” 

इसे भी पढ़ें: वैज्ञानिक अनुसंधान रैंकिंग में शीर्ष पर सीएसआईआर

मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की सचिव डॉ. बिराजालक्ष्मी दास ने ये बातें कही हैं। वह लखनऊ स्थित भारतीय विषविज्ञान संस्थान (आईआईटीआर) में आयोजित ईएमएसआई के 44वें वार्षिक सम्मेलन में बोल रही थीं। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं। 

इस मौके पर मौजूद भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक और एन्वायरमेंटल म्यूटजेन सोसाइटी ऑफ इंडिया (ईएमएसआई) के अध्यक्ष डॉ के.बी. सैनीस ने कहा कि “अनुवांशिक रूपांतरणों के लिए जिम्मेदार म्यूटेजेन्स की क्षमता का पता लगाने के लिए आनुवांशिक परीक्षण की प्रभावी हाई-थ्रूपुट तकनीक का विकास जरूरी है। हाई-थ्रूपुट वैज्ञानिक प्रयोग की एक विधि है जिसमें तत्वों के विस्तृत संग्रह का जैविक परीक्षण किया जाता है। इस विधि में ऑटोमेशन, लघु परीक्षण और बड़े पैमाने पर डेटा विश्लेषण की तकनीकों का उपयोग होता है।”

इसे भी पढ़ें: वैज्ञानिकों ने बनाया रासायनिक उद्योगों के लिए नया माइक्रो-रिएक्टर

आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने बताया कि “म्यूटजेन सोसाइटी के अतिरिक्त, ईरान एवं यूनाइटेड किंगडम के सोसाइटीज भी इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भाग ले रही हैं। इस संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा पर्यावरणीय सुरक्षा में दिए गए योगदान को देखते हुए यह ईएमएसआई के सम्मेलन के आयोजन की मेजबानी के लिए सबसे उपयुक्त जगह है।”

इस दौरान पर्यावरणीय बदलावों के कारण मानव स्वास्थ्य से जुड़े खतरों, जेनेटिक टॉक्सिकोलॉजी, नैनो-जीनोटॉक्सिसिटी और डीएनए क्षति एवं मरम्मत जैसे विषयों पर वैज्ञानिक प्रस्तुतीकरण भी किए गए। वैज्ञानिकों द्वारा इस मौके पर पोस्टर्स प्रस्तुतिकरण भी किया गया। 

(इंडिया साइंस वायर)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़