तैयार हुआ ओरल कैंसर के जीन के प्रतिरूपों का डाटाबेस

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डीबीजेनवोक की पहली रिलीज में 2.4 लाख सोमैटिक एवं जर्मलाइन वेरिएंट्स शामिल हैं जो 100 भारतीय ओरल कैंसर रोगियों के होल एक्सोम सीक्वेंस और भारत के 5 ओरल कैंसर रोगियों के होल जीनोम सीक्वेंस से प्राप्त हुए हैं।

मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) देश में एक बड़ी चुनौती है। मुंह का कैंसर, कैंसर का वह प्रकार है जिसमें कैंसर-युक्त ऊतक मुंह की गुहा में बढ़ते हैं। मुंह के कैंसर में आमतौर पर जीभ शामिल होती है। यह मुंह के तल, गाल की परत, मसूड़ो, होंठ या तालु पर भी हो सकता है। ओरल कैंसर भारत में पुरुषों में पाया जाने वाला कैंसर का सबसे प्रचलित रूप है जो मुख्य रूप से तंबाकू जैसे पदार्थ के सेवन करने से होता है। तंबाकू के सेवन से ओरल कैविटी में कोशिकाओं की आनुवंशिक सामग्री में परिवर्तन होता है। ये परिवर्तन (म्यूटेशन) ओरल कैंसर का कारण बनते हैं। इस से निपटने के लिए उससे संबंधित जानकारियों का होना बेहद अहम है।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी) ने मुंह के कैंसर में जीनोमिक बदलाव का एक डेटाबेस तैयार किया है जो दुनिया में इस प्रकार का पहला प्रयास है। ‘डीबीजेनवोक’, ओरल कैंसर के जीनोमिक वेरिएंट्स का ब्राउज करने योग्य एक ऑनलाइन डेटाबेस है और इसे मुफ्त उपलब्ध कराया गया है। 

डीबीजेनवोक की पहली रिलीज में 2.4 लाख सोमैटिक एवं जर्मलाइन वेरिएंट्स शामिल हैं जो 100 भारतीय ओरल कैंसर रोगियों के होल एक्सोम सीक्वेंस और भारत के 5 ओरल कैंसर रोगियों के होल जीनोम सीक्वेंस से प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही  220 रोगियों के नमूने से सोमैटिक वेरिएशन डेटा अमेरिका से एकत्र किए गए हैं। जिनका टीसीजीए-एचएनएससीसी प्रणाली द्वारा विश्लेषण भी किया गया है। हाल ही में प्रकाशित प्रामाणिक शोध-पत्रो से 118 रोगियों के वेरिएश्न डेटा को मैन्युअल तरीके से तैयार किया गया है। समुदाय द्वारा अनुमोदित सर्वोत्तम प्रोटोकॉल द्वारा वेरिएंट की पहचान की गई और कई विश्लेषणात्मक पाइपलाइन का उपयोग करके टिप्पणी सहित उसे नोट किया गया।

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डीबीजेनवोक ब्राउजर केवल जीनोमिक वेरिएंट्स की एक सूची मात्र नहीं है अपितु इसमें एक सर्च इंजन भी शामिल है। इसके माध्यम से सांख्यिकीय एवं जैव सूचना का ऑनलाइन विश्लेषण भी किया जा सकता है जिसमें ओरल कैंसर में संबद्ध परिवर्तित मार्ग में वेरिएंट की पहचान करना भी शामिल है। इस अहम सूचना रिपोजिटरी को भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के नए ओरल कैंसर रोगियों के डेटा को एकत्र कर प्रतिवर्ष अपडेट किया जाएगा। अध्ययन और विस्तृत डाटा के माध्यम से ओरल कैंसर के अनुसंधान में डीबीजेनवोक की अहम उपयोगिता हो सकती है। यह महज वेरिएंट्स का कैटलॉग नही अपितु उनके महत्व को समझने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।

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