History Revisited: डॉ होमी भाभा की मौत क्या CIA की साज़िश थी

Homi Bhabha
अभिनय आकाश । Sep 24 2021 4:37PM

मुंबई के पारसी परिवार में जन्म लेने वाले होमी भाभा के पिता होरमसजी भाभा पेशे से वकील थे। घरवालों ने उनको लेकर कुछ और प्लान बनाया था लेकिन भाभा ने अलग राह चुनी। इंजीनियरिंग की लाइन से इतर भाभा ने इंस्ट्रेस्ट थ्योरेटिकल फिजिक्स में कदम आगे बढ़ाया।

बीआर चोपड़ा के निर्देशन में बनी महाभारत का वो दृश्य जिसमें योद्धा अपना सधा हुआ बड़े से बड़ा अस्त्र छोड़ता था और सामने वाला योद्धा उसकी काट में अपना अस्त्र। दोनों आसमान में जाकर एक दूसरे से टकराते। ज्यादा मारक वाले अस्त्र सामने वाले के अस्त्र को नष्ट कर देता। देखने में तो कितना मनोरम लगता था ये दृश्य। लेकिन जब मानव युद्ध के इतिहास में पहली बार ऐसी किसी शक्ति का उपयोग हुआ था। जिसका जिक्र इससे पहले सिर्फ मिथकों में हुआ था। दुनिया को समझ आ गया कि इस नई महाभारत में ये एकलौता ब्रह्मास्त्र है। जिसके पास होगा वही शक्तिशाली होगा। ये 1945 की बात है 6 अगस्त की तारीख और जापान में सुबह आठ बज रहे थे। एक जोर का धमाका हुआ और कुछ ही मिनटों के अंदर एक हंसता-खेलता शहर एक राख के ढेर में तब्दील हो गया। हम दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान पर हुए परमाणु हमले की बात कर रहे हैं। इसके ठीक तीन दिन बाद यानी 9अगस्त को दूसरा परमाणु बम नागासाकी पर गिरा और दुनिया हमेशा के लिए बदल गई। भारत को आजाद होने में अभी दो साल बाकी थे लेकिन अंग्रेजों की वापसी तय हो गई थी। आगे की राह अब भारत को खुद ही तय करनी थी। ऐसे में सामने आए जॉ. होमी जहांगीर भाभा की जो कैंब्रिज से पढ़कर आए थे और न्यूक्लियर फिजिक्स के साथ उनका लगाव था। होमी जहांगीर भाभा यानी विज्ञान की दुनिया का ऐसा चमकदार सितारा जिसका नाम सुनते ही हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है बचपन से ही विज्ञान की दुनिया में गहरा लगाव रखने वाले भाभा न केवल एक महान वैज्ञानिक थे बल्कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह एक इंजीनियर, संगीतकार और बेहतरीन कलाकार भी थे। भाभा देश और दुनिया के लिए जाना-माना नाम है। दरअसलस भाभा ही वो शख्स थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की और भारत को परमाणु ऊर्जा संपन्न और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रसर बनाकर दुनिया के अग्रणी देशों की पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया। उनके देश प्रेम की भावना ऐसी थी कि उन्होंने विदेश में रह रहे वैज्ञानिकों से भारत लौटने का आह्वान किया था। उन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से मानद डिग्रियां प्राप्त थी। उनके इस तमाम अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए उनको 5 बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। साथी उन्हें ऐडम्स हॉकिंस पुरस्कार और भारत सरकार के पद भूषण से अलंकृत किया गया। वर्ष 1966 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन पिछले 56 सालों से सवाल उठ रहे हैं और कुछ एक्सपर्ट आज भी यह मानते हैं कि यह विमान दुर्घटना एक अंतरराष्ट्रीय साजिश थी। उस वक्त दुनिया के कई देश भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकना चाहते थे। इसलिए यह दुर्घटना नहीं थी, बल्कि डॉक्टर भाभा की हत्या करने की एक साज़िश थी।

इसे भी पढ़ें: History Revisited: सड़क हादसे में मौत या MI-6 का हाथ, कहानी लेडी डायना की

डॉक्टर होमी भाभा की मौत के पीछे विदेशी साजिश थी? 

एक सीआईए अधिकारी की बातचीत के आधार पर एक वेबसाइट ने दावा किया कि 1966 में डॉक्टर भाभा का प्लेन क्रैश नहीं हुआ था। बल्कि उसमें धमाका कर उड़ा दिया गया था। डॉक्टर भाभा के प्लेन हादसे में उस वक्त मौत हो गई थी जब वह मुंबई से ऑस्ट्रेलिया की राजधानी में कॉन्फ्रेंस में शामिल होने जा रहे थे। 

डॉ भाभा को सीआईए ने मरवा दिया? 

पीवीआर न्यूज़ ओआरजी नाम की वेबसाइट का दावा है कि डॉक्टर भाभा के हवाई जहाज को सीआईए ने क्रश करवाया था। वेबसाइट ने सीआईए यानी अमेरिका खुफिया एजेंसी के अधिकारी रॉबर्ट क्रॉउडी के कुछ बयानों को छापा। सीआईए अधिकारी रॉबर्ट ने कहा हमारे सामने समस्या थी। आप जानते हैं, भारत ने साठ के दशक में आगे बढ़ते हुए परमाणु बम पर काम करना शुरू कर दिया था। रूस इसमें उसकी मदद कर रहा था। मुझ पर भरोसा करो वह खतरनाक थे। उनके साथ एक दुर्भाग्यपूर्ण एक्सीडेंट हुआ। वह परेशानी को और अधिक बढ़ाने के लिए वियना की उड़ान में थे। तभी उनके बोइंग 707 के कार्गो में रखे बम में विस्फोट हो गया। यानी सीआईए को डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की मौत कैसे हुई इसकी पूरी जानकारी थी। जबकि आज भी डॉक्टर भाभा की मौत को रहस्मयी करार दिया जाता है।

भारत के एटॉमिक प्रोग्राम भाभा के कंधों पर 

मुंबई के पारसी परिवार में जन्म लेने वाले होमी भाभा के पिता होरमसजी भाभा पेशे से वकील थे। घरवालों ने उनको लेकर कुछ और प्लान बनाया था लेकिन भाभा ने अलग राह चुनी। इंजीनियरिंग की लाइन से इतर भाभा ने इंस्ट्रेस्ट थ्योरेटिकल फिजिक्स में कदम आगे बढ़ाया। 1939 में वो छुट्टियों के लिए इंग्लैंड से भारत आए हुए थे, तभी द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया, तो वो वापस नहीं जा सके। फिर यहीं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंसेज, बैंगलोर (अब बेंगलुरु) में रीडर का पद स्वीकार कर वहां पढ़ाना शुरू कर दिया। मार्च 1944 में डॉ. भाभा ने सर दोराब टाटा ट्रस्ट में एक प्रस्ताव दिया। ये एक न्यूक्लियर इंस्टिट्यूट बनाए जाने का प्रस्ताव था। प्रस्ताव को मंजूरी मिली और दिसंबर 1945 को इसमें टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) की स्थापना हुई। यहीं पर भारत में परमाणु ऊर्जा पर रिसर्च का काम शुरू हुआ। भारत जब आज़ाद हुआ, तब जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 15 अप्रैल 1948 को एटॉमिक एनर्जी एक्ट पास कर दिया। नेहरू सरकार ने भाभा कन्धों पर भारत के एटॉमिक प्रोग्राम का जिम्मा डाला। वो भारत के एटॉमिक एनर्जी कमीशन के पहले चेयरपर्सन बने। परमाणु ऊर्जा के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि ये डिपार्टमेंट तब भी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता था और अभी भी ऐसा ही होता है। 15 मार्च 1955 को एनर्जी कमीशन की मीटिंग में तय हुआ कि मुंबई के पास के ट्राम्बे में एक छोटा न्यूक्लिर रिएक्टर बनाया जाएगा। लेकिन इस तरह के रिएक्टर के लिए एनरिस्ट यूरेनियम की जरूरत थी और भारत में रिसर्च अभी इस स्थिति तक नहीं पहुंची थी कि यूरेनियम को बना सके। ऐसे में डॉ. भाभा को कैंब्रिज के एक दोस्त की याद आई। जिनकी मदद से अक्टूबर 1955 में यूनाइटेड किंगडम एटॉमिक एनर्जी एथारिटी और डीएई के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत यूके ने एनरिस्ट यूरेनियम की सप्लाई करना भारत को शुरू किया। ईंधन की सप्लाई के अलावा इस रिएक्टर का बाकी सारा काम भारत में ही हुआ। मसलन, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट को एसेंबल करना और रिक्टर के अलग-अलग हिस्सों का निर्माण। यूं तो अमेरिका और यूरोप को परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी गतिविधियों पर पैनी नजर रहती थी। लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि अभी-अभी आजाद हुआ एक देश परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कुछ खास कर पाएगा। 

होमी भाभा की मौत दुर्घटना या साजिश 

24 जनवरी 1966 होमी जहांगीर भाभा को ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में कांफ्रेंस में हिस्सा लेने जाना था। बाबा मुंबई एयरपोर्ट से नियर जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट पर सवार हुए। मैं मान ने मुंबई से उड़ान भरी। डॉक्टर भाभा के साथ इस विमान में 117 लोग सवार थे। जैसे ही विमान फ्रांस में एयरपोर्ट की पहाड़ियों मैं माउंट ब्लॉक के पास पहुंची। वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई डॉ बाबा सहित विमान में सवार सभी 117 यात्री की मौत हो गई। अमेरिका का रुख उस वक्त भारत के खिलाफ था जबकि पाकिस्तान के साथ उसकी नज़दीकियों खूब थी। आज से 4 साल पहले विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों के अवशेष खोज रहे डेनियल रोशनी को कुछ एम मानव अवशेष मिले उसके दावे के अनुसार यह मानव अवशेष उसी विमान हादसे के थे इसमें होमी भाभा की मौत हुई थी। डेनियल रोशन ने कहा कि मुझे इससे पहले कभी इतने अहम मानव अवशेष नहीं मिले। इस बार एक हाथ और एक पैर का ऊपरी हिस्सा मिला है। उन्होंने दावा किया कि जो अवशेष मिले हैं वह 966 में दुर्घटना का शिकार हुई एयर इंडिया में सवार किसी महिला यात्री के लगते हैं। अगर वेबसाइट के दावे को सही माना जाए तो अमेरिका भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर होमी भाभा से इतना डरा हुआ क्यों था कि उन्हें वह खतरनाक मान रहा था। इस सवाल का जवाब आपको एक बयान में मिल जाएगा। "भाभा ने 1965 में कहा था कि अगर उन्हें मौका मिले तो वो 18 महीने में परमाणु बम बना सकते हैं।" 

इसे भी पढ़ें: History Revisited: क्या नेताजी सुभाष चंद्र ही थे गुमनामी बाबा

जेनेवा में परमाणु ऊर्जा पर कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर भाभा 

डॉक्टर भाभा परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल हमेशा शांतिपूर्ण अभियानों के लिए करने के पक्ष में रहे। अपनी इस सोच के बारे में उन्होंने दुनिया को 965 में जिनेवा में एक कॉन्फ्रेंस में बताया था- हम जल्दी अपने इंधन के रिजल्ट को खत्म कर देंगे। आने वाले कुछ सदियों में अभी तक पहचाने गए सभी फॉसिल फ्यूल रिजर्व खत्म हो जाएंगे। इस के संदर्भ में परमाणु ऊर्जा एक समाधान हो सकता है। मैं भविष्यवाणी कर सकता हूं कि एक ऐसा तरीका खोज निकाला जाएगा जिसके जरिए परमाणु ऊर्जा को अगले दो दशकों में नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो ऊर्जा के लिए दुनिया की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। 

तो क्या डॉक्टर भाभा की इन्हीं बातों से अमेरिका को डर लग गया था खैर इसके पीछे जो भी सच्चाई हो लेकिन एक बात तो शाश्वत सत्य है कि अगर उस विमान हादसे में डॉ. भाभा की मौत न हुई होती तो भारत परमाणु उर्जा के क्षेत्र में बहुत पहले एक बड़ी शक्ती बन गया होता। बहरहाल, उनकी मौत को लेकर तमाम तरह की थ्योरी आज भी जिंदा हैं और अपने साथ कई सवालों को लिए इस गुत्थी के सुलझने के इंतजार में है।

- अभिनय आकाश

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़