आईआईटी गांधीनगर ने साझा किए कोविड-19 देखभाल से जुड़े अनुभव

covid 19 care

कोरोना के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए संस्थान ने अपने परिसर के अंदर हाल में कोविड-19 देखभाल केंद्र का निर्माण किया था। अब अपने अनुभवों को श्वेत पत्र के रूप में पेश किया है ताकि दूसरे संस्थान इससे सबक ले सकें, ताकि उन्हें इस तरह के केंद्र स्थापित करने में कम से कम मुश्किलों का सामना करना पड़े।

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए शैक्षणिक एवं अन्य संस्थानों में कोविड-19 देखभाल सुविधा बनाने में मदद करने के उद्देश्य से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर ने हाल में एक श्वेत पत्र जारी किया है। यह श्वेत पत्र संस्थान में स्थापित किए गए कोविड-19 देखभाल सुविधा केंद्र के उसके अनुभवों पर आधारित है।

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए संस्थान ने अपने परिसर के अंदर हाल में कोविड-19 देखभाल केंद्र का निर्माण किया था। अब अपने अनुभवों को श्वेत पत्र के रूप में पेश किया है ताकि दूसरे संस्थान इससे सबक ले सकें, ताकि उन्हें इस तरह के केंद्र स्थापित करने में कम से कम मुश्किलों का सामना करना पड़े। 

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आईआईटी गांधीनगर की इस पहल को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर भी आजमाने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि विगत 17 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूलों, सामुदायिक हॉल, पंचायत भवनों, शैक्षणिक संस्थानों, आवासीय सोसायटी एवं अन्य समुदायों के बीच 30 बिस्तरों वाले कोविड देखभाल केंद्र का निर्माण करने का सुझाव दिया है।

आईआईटी गांधीनगर के निदेशक प्रोफेसर सुधीर जैन कहते हैं कि “कोविड-19 देखभाल केंद्र के जरिये हमारी प्राथमिकता अपने छात्रों और आसपास के लोगों को संक्रमण से बचाने की थी। संस्थान के अतिथि गृह की नई बिल्डिंग को कोविड-19 केयर सेंटर में बदल दिया गया। एक अप्रैल से 15 मई के बीच यहाँ 240 से अधिक कोविड मरीजों का उपचार किया गया। हालांकि, अप्रैल के मध्य में जब मरीजों की संख्या 95 के स्तर पर जा पहुँची, तो चिंता जरूर बढ़ी थी, क्योंकि सेंटर की अधिकतम क्षमता 190 मरीजों की ही थी। तब हमें नहीं पता था कि महामारी का रुझान किस दिशा में जाएगा और हमें क्षमताएं बढ़ाने के लिए किस प्रकार कदम उठाने होंगे। इस दौरान दो लोगों की मौत हुई है।” 

प्रोफेसर जैन एवं संस्थान के रजिस्ट्रार अपनी पूरी टीम के साथ रोजाना सुबह ऑनलाइन मीटिंग में वस्तुस्थिति की समीक्षा करते। इस दौरान किसी आसन्न चुनौती से निपटने के लिए संसाधनों के जुटाने पर चर्चा होती थी। मरीजों की देखभाल के लिए उन्होंने निजी स्तर पर कार्य कर रहे चिकित्सकों का सहयोग लिया और उन चिकित्सकों ने भी हर संभव सहयोग किया।

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प्रोफेसर सुधीर जैन कहते हैं- ‘‘हम अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं, जिसमें एक-दूसरे की देखभाल और सहयोग की जरूरत है। जब हम यह पहल कर रहे थे, तो इसके लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया नहीं थी कि कैसे इस केंद्र की शुरुआत की जाए। हमने हर चुनौती का सामना किया और इस प्रक्रिया के दौरान जो सबक सीखे हैं, उन्हें इस श्वेत पत्र में पेश किया गया है।’’

आईआईटी गांधीनगर द्वारा जारी किया गया यह श्वेत पत्र संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है। संस्थान का मानना है कि उनके अनुभव से देशभर के अन्य संस्थान भी लाभ उठा सकते हैं, जिससे देश भर के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव को कम किया जा सकेगा। 

(इंडिया साइंस वायर)

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