भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने का सूत्रधार होंगे अभिनव स्टार्ट-अप

Jitendra Singh
ISW

डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत की प्रगतिशील यात्रा में सीएसआईआर, इसरो, डीएई, डीआरडीओ, आईसीएआर और दूसरी तरफ डीबीटी, डीएसटी और एमओईएस जैसे वैज्ञानिक संगठनों की भूमिका की सराहना की, और कहा कि प्रौद्योगिकियों को प्रयोगशालाओं से जमीन तक लाने की पेचीदगियों से उद्योग जगत परिचित है।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राज्य मंत्री पीएमओ और राज्य मंत्री कार्मिक और लोक शिकायत, डॉ जितेंद्र सिंह ने स्वदेशी नवाचार के साथ स्थायी स्टार्ट-अप के निर्माण पर जोर दिया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, 25 वर्षों के बाद भारत जब अपनी स्वाधीनता के 100 साल पूर्ण करेगा, तब तक देश को विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए युवा उद्यमियों द्वारा संचालित अभिनव स्टार्ट-अप्स को जिम्मेदारी लेनी होगी। असम के जोरहाट में ‘आइकॉनिक 75 इंडस्ट्री कनेक्ट (आई-कनेक्ट)’ के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है।

इसे भी पढ़ें: कचरा प्रबंधन प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता

इस मौके पर डॉ जितेंद्र सिंह ने विश्व स्तरीय उत्पाद बनाने से लेकर उन्हें बाजार तक पहुँचाने हेतु अनुसंधान एवं विकास में उद्योग जगत से सार्थक निवेश के लिए आग्रह किया। उन्होंने भारतीय और विश्व बाजारों में अपनी जगह बनाने के लिए उत्पादों के ब्रांड निर्माण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। गवर्नमेंट-इंडस्ट्री कनेक्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रतिष्ठित ‘आइकॉनिक 75 इंडस्ट्री कनेक्ट (आई-कनेक्ट)’ के आयोजन का उद्देश्य 10 विषयगत / फोकस क्षेत्रों में उद्योग के साथ साझेदारी बनाना है। ‘आइकॉनिक 75 इंडस्ट्री कनेक्ट (आई-कनेक्ट)’ उद्योगों तक पहुँचने के लिए भारत सरकार के डीएसआईआर/सीएसआईआर, डीबीटी, डीएसटी, एमओईएस और अन्य वैज्ञानिक विभागों का एक समेकित प्रयास है। 

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, असम के जोरहाट से आई-कनेक्ट श्रृंखला शुरू करने का कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए प्रधानमंत्री की उच्च प्राथमिकता है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2014 में ही प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार की प्राथमिकता उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर और अन्य पहाड़ी राज्यों और द्वीप क्षेत्रों के अविकसित क्षेत्रों को देश के विकसित क्षेत्र के बराबर लाना है। केंद्रीय मंत्री ने आशा व्यक्त की कि पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी समृद्ध जैव-विविधता और विशाल बाँस संसाधनों के कारण भविष्य के स्टार्ट-अप, उद्यमिता और नये निवेश का गंतव्य बनकर उभरने की क्षमता रखता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत की प्रगतिशील यात्रा में सीएसआईआर, इसरो, डीएई, डीआरडीओ, आईसीएआर और दूसरी तरफ डीबीटी, डीएसटी और एमओईएस जैसे वैज्ञानिक संगठनों की भूमिका की सराहना की, और कहा कि प्रौद्योगिकियों को प्रयोगशालाओं से जमीन तक लाने की पेचीदगियों से उद्योग जगत परिचित है। उन्होंने उद्योगों के साथ साझेदारी निर्माण पर जोर दिया है। उन्होंने शिक्षा जगत और उद्योगों के बीच संबंधों को मजबूत करने का भी आह्वान किया है, ताकि अत्याधुनिक तकनीकों और उत्पाद विकसित किये जा सकें, और उन्हें कम से कम समय में जमीन पर लाया जा सके।

इसे भी पढ़ें: ग्वालियर में बनेगा एरोपॉनिक आधारित आलू बीज उत्पादन केंद्र

'आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह के क्रम में विविध विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा रखे गए 75 उद्योग कनेक्ट (आई-कनेक्ट) कार्यक्रमों की यह श्रृंखला आयोजित की जा रही है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल वित्त पोषण, प्रौद्योगिकी विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर ध्यान देने के साथ-साथ समेकित तरीके से एमएसएमई और स्टार्ट-अप तक पहुँचने; फोकस क्षेत्रों के नेटवर्क (सरकारी योजना, आर एंड डी सेटअप, उद्योग, एमएसएमई, स्टार्टअप, अकादमिक) की पहचान और स्थापना; और अंत में उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने में कारगर भूमिका निभाएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे उद्योगों और अन्य हितधारकों के साथ बेहतर सहयोग एवं समन्वय का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

असम सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं आईटी मंत्री केशब महंत ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के लिए प्रासंगिक सीएसआईआर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों का संग्रह इस क्षेत्र में उद्यमिता विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि असम सरकार स्थानीय नवाचारों और स्टार्ट-अप को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में मदद करने के लिए वित्तीय रूप से समर्थन कर रही है। 

इसे भी पढ़ें: कोविड-19 उपचार में प्रभावी पायी गई इंडोमिथैसिन

नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के. सारस्वत ने कहा कि पिछले 7-8 वर्षों में, भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 85वें से 47वें स्थान पर पहुँच गया है, और इससे देश में स्टार्ट-अप संस्कृति में एक बड़ा सांस्कृतिक बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा, हम इनोवेशन इको-सिस्टम में अधिक से अधिक उद्योग लाकर इनोवेशन इंडेक्स में और छलांग लगा सकते हैं।

इस अवसर पर औषधीय एवं सुगंधित पौधों और फूलों की खेती से संबंधित क्षेत्रों में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों पर एक प्रस्तुति दी गई। इसके साथ ही, इन उत्पादों के मूल्य संवर्धन, खाद्य प्रौद्योगिकी और चमड़ा तथा चमड़े के उत्पादों को प्रस्तुत किया गया। डॉ जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर भारत के लिए प्रासंगिक सीएसआईआर की उद्यमीय प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित संग्रह का भी इस अवसर पर विमोचन किया। 

(इंडिया साइंस वायर)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़