वायुयान पर आकाशीय बिजली के खतरे से जुड़ा नया अध्ययन

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प्रोफेसर कुमार की प्रयोगशाला पिछले कुछ वर्षों से आकाशीय बिजली से बचाव के तरीके खोजने के लिए अध्ययन कर रही है। पिछले अध्ययनों में, उनकी टीम ने आँधी के दौरान ऊंची इमारतों की सुरक्षा में लाइटनिंग छड़ों की प्रभावशीलता का विश्लेषण किया है।

आकाशीय बिजली वायुयान के लिए खतरनाक हो सकती है। लेकिन, इस घटना का आकलन करना कठिन है। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने एक विशिष्ट कम्प्यूटेशनल मॉडल विकसित किया है, जिससे पता चलता है कि कैसे आकाशीय बिजली किसी विमान पर प्रहार कर सकती है। 

आआईएससी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित इस मॉडल से एक ऐसी अंतर्दृष्टि मिली है, जो आकाशीय बिजली से विमान के लिए बेहतर सुरक्षात्मक उपायों को डिजाइन करने में मदद कर सकती है।

आईआईएससी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर उदय कुमार, जिनकी प्रयोगशाला हाल के वर्षों में इस घटना पर अध्ययन कर रही है, कहते हैं – आकाशीय बिजली विमान की सतह को नुकसान पहुँचा सकती है, और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में अस्थायी व्यवधान पैदा कर सकती है, और यहाँ तक कि यह विमान को स्थायी क्षति भी पहुँचा सकती है।

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प्रोफेसर कुमार कहते हैं - “कुछ चरम स्थितियों में, इंजन के आसपास ईंधन एवं हवा के मिश्रण के कारण यह विस्फोट का कारण बन सकती है। आमतौर पर, कोई विमान हर 1,000 घंटे में एक बार आकाशीय बिजली की चपेट में आ जाता है। पिछली शताब्दी में बहुत सारी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो विनाशकारी रही हैं।"

वायुयान को आकाशीय बिजली से बचाने के लिए पहला कदम वायुयान के उन सामान्य क्षेत्रों की पहचान करना है, जहाँ तड़ित गिर सकती है, या टकरा सकती है। प्रोफेसर कुमार और उनकी टीम ने पाया कि इसके लिए मौजूदा दृष्टिकोण अत्यधिक सरलीकृत हैं, और उन्होंने अधिक व्यापक कम्प्यूटेशनल मॉडल विकसित करने की आवश्यकता को अनुभव किया। इस अध्ययन में विकसित मॉडल और उससे प्राप्त डेटा को शोध पत्रिका एटमॉस्फियर में प्रकाशित किया गया है।

प्रोफेसर कुमार की प्रयोगशाला पिछले कुछ वर्षों से आकाशीय बिजली से बचाव के तरीके खोजने के लिए अध्ययन कर रही है। पिछले अध्ययनों में, उनकी टीम ने आँधी के दौरान ऊंची इमारतों की सुरक्षा में लाइटनिंग छड़ों की प्रभावशीलता का विश्लेषण किया है। उन्होंने विशिष्ट मॉडल विकसित किए हैं, जो आकाशीय बिजली से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को संबोधित करते हैं। वह भारतीय उपग्रह लॉन्चपैड्स के लिए लाइटनिंग प्रोटेक्टिव सिस्टम को डिजाइन करने में भी शामिल रहे हैं। 

आईआईएससी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित मॉडल दो अलग-अलग विमान ज्यामिति पर लागू किये गए, जिनमें DC10 यात्री विमान और SDM लड़ाकू विमान मॉडल शामिल हैं। इसमें विमान के चारों ओर विद्युत क्षेत्र की व्यापक गणना और विद्युत निर्वहन के उपयुक्त मॉडलिंग शामिल हैं।

प्रोफेसर कुमार और उनकी टीम का सुझाव है कि इस तरह के अध्ययन बिजली के खतरे की विश्वसनीय मात्रा का निर्धारण करने में सहायता कर सकते हैं, और आकाशीय बिजली को लेकर सुरक्षात्मक उपायों के अनुकूलित वायुयान डिजाइन विकसित करने में मदद कर सकते हैं। 

(इंडिया साइंस वायर)

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