हवा से पेयजल उत्पादन की अक्षय ऊर्जा आधारित तकनीक

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वैसे तो हवा की नमी से जल प्राप्त करने की अवधारणा नई नहीं है। लेकिन, वायुमंडलीय नमी से जल प्राप्त करने की परंपरागत पद्धति में काफी बिजली खर्च होती है। जबकि, हम यह जानते हैं कि बिजली हमेशा स्वच्छ तथा नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न नहीं होती।

लगातार बढ़ता पेयजल संकट पूरी दुनिया में एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। बेंगलुरु स्थित नवोन्मेषी स्टार्टअप- उरावु लैब्स ने इस चुनौती के बीच स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक नई एवं टिकाऊ तकनीक पेश की है। हवा की नमी से जल उत्पादन के लिए यह तकनीक शत प्रतिशित अक्षय ऊर्जा पर आधारित है, जो पेयजल के संकट से जूझ रहे इलाकों में परिवर्तनकारी साबित हो सकती है।

उरावु लैब्स की अवधारणा नवोन्मेषी युवाओं की टीम द्वारा विकसित की गई है, जिसमें वैज्ञानिक, इंजीनियर और डिजाइनर शामिल हैं। उनके द्वारा विकसित स्वच्छ पेयजल उत्पादन की यह तकनीक वायुमंडलीय नमी एवं शत प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित है। भूमिगत जल की कमी, खारे पानी और प्रदूषित पेयजल की समस्या से जूझ रहे इलाकों के लिए यह तकनीक विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है। 

इस प्रौद्योगिकी में विशिष्ट जल-अवशोषक से लैस अभिनव डिजाइन का उपयोग किया गया है और इसका बड़े पैमाने पर विस्तार भी किया जा सकता है। शत प्रतिशत नवीकरणीय रूप से स्वच्छ पेयजल प्राप्त करने के लिए इसे सौर ऊर्जा, अपशिष्ट-ताप अथवा बायोमास जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से जोड़ा जा सकता है। निजी उपयोग से लेकर व्यावसायिक, सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थानों में इसका उपयोग किया जा सकता है।

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वैसे तो हवा की नमी से जल प्राप्त करने की अवधारणा नई नहीं है। लेकिन, वायुमंडलीय नमी से जल प्राप्त करने की परंपरागत पद्धति में काफी बिजली खर्च होती है। जबकि, हम यह जानते हैं कि बिजली हमेशा स्वच्छ तथा नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न नहीं होती। इसके विपरीत, उरावु लैब्स ने अपनी जल-अवशोषक मशीनों में जलशुष्कक (desiccant) सामग्री पर आधारित विशिष्ट तकनीकी रूपरेखा का उपयोग किया है। जलशुष्कक-आधारित प्रौद्योगिकी में स्थानांतरित होने का लाभ यह है कि इससे वायुमंडलीय नमी से जल प्राप्त करने की पद्धति को 100% नवीकरणीय बनाया जा सकता है।

वर्ष 2019 में, यह स्टार्टअप नवोन्मेषी विचार के कुछ उत्साही युवाओं की टीम द्वारा शुरू किया गया है, जिसमें प्रदीप गर्ग, स्वप्निल श्रीवास्तव, वेंकटेश आर, और गोविंदा बालाजी शामिल हैं। इस स्टार्टअप का प्रयास सभी के लिए सुलभ पेयजल एवं उसके वितरण के नवोन्मेषी तरीकों के उपयोग से पर्यावरणीय एवं उसके सामाजिक घटकों में प्रभावी बदलाव लाना है।

प्रदीप गर्ग और स्वप्निल श्रीवास्तव बताते हैं कि "अपनी शत प्रतिशत नवीकरणीय पद्धति आधारित पेयजल मशीनों के जरिये हमारी योजना विविध आवश्यकताओं के अनुसार स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की है। प्रतिदिन 20-100 लीटर की कम क्षमता वाली मशीनें सामुदायिक स्थानों (शहरी और ग्रामीण), कार्यालय परिसरों और अपार्टमेंट भवनों में उपयोग की जा सकती हैं। वहीं, प्रतिदिन 10 हजार लीटर वाली अधिक क्षमता की मशीनें भी एक नये बदलाव के लिए तैयार हैं।”

इस स्टार्टअप के कुछ प्रमुख निवेशकों में स्पेशल इन्वेस्टमेंट, पीटर योल्स (इकोरिवर कैपिटल, अमेरिका), सोरेन श्रोडर (अमेरिका), शिगेरू सुमिमोटो (कॉनसेलक्स कॉर्पोरेशन, जापान) और टॉमोकी कानेको (कानेको कॉर्ड, जापान) शामिल हैं। 

(इंडिया साइंस वायर)

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