जी20 में भारत की अध्यक्षता के साथ शुरू होगा साइंस-20

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जी20 के एजेंडा को आगे बढ़ाने में एस20 की भूमिका महत्वपूर्ण है। समावेशी और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करते हुए लाखों लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने के लिए आवश्यक आर्थिक सशक्तीकरण के लिए विज्ञान को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

बीस देशों के अंतर-सरकारी और अंतरराष्ट्रीय मंच जी20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। औद्योगिक और विकासशील दोनों देशों के इस संघ का मुख्य फोकस वैश्विक अर्थव्यवस्था के गवर्नेंस पर रहा है। हालाँकि, पिछले कई वर्षों से जी20 देशों का समूह जलवायु परिवर्तन के शमन और सतत् विकास जैसी अन्य वैश्विक चुनौतियों के समाधान की दिशा में काम कर रहा है। इस कड़ी में, जी20 के कई कार्यकारी समूहों की स्थापना की गई है, जिनमें साइंस-20 (एस20) शामिल है। 

  

जी20, एस20 और इसके जैसे अन्य कार्यसमूहों की अध्यक्षता वर्ष 2023 में भारत के पास रहेगी। वर्ष 2023 के लिए एस20 का विषय "अभिनव और सतत् विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान" होगा। इस व्यापक विषय पर भारत के विभिन्न हिस्सों (अगरतला, लक्षद्वीप और भोपाल) में साल भर विमर्श आयोजित किये जाएंगे। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलूरु एस20 के लिए सचिवालय होगा। विमर्श के मुद्दों में मुख्य रूप से सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य, विज्ञान को समाज एवं संस्कृति से जोड़ना और हरित भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा शामिल हैं। विज्ञान की भूमिका पर केंद्रित विमर्श की इस श्रृंखला में पुदुच्चेरी में एक इंसेप्शन बैठक और कोयम्बटूर में एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

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जी20 के एजेंडा को आगे बढ़ाने में एस20 की भूमिका महत्वपूर्ण है। समावेशी और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करते हुए लाखों लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने के लिए आवश्यक आर्थिक सशक्तीकरण के लिए विज्ञान को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। हालाँकि, केवल वैज्ञानिक प्रगति ही काफी नहीं है। सार्थक विकास के लिए सदस्य राष्ट्रों के सहयोग की आवश्यकता होगी। तभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुभव एवं सफलताओं को एक दूसरे के साथ साझा किया जा सकेगा। इसलिए, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एस20 एक आदर्श मंच माना जा रहा है।

आईआईएससी के वक्तव्य में कहा गया है कि एस20 के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए भारत एक विशिष्ट स्थिति में है। राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक क्षेत्र सहित मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विचारों के लिए भारत ने ऐतिहासिक रूप से एक इनक्यूबेटर के रूप में कार्य किया है। वास्तुकला, खगोल विज्ञान, गणित, चिकित्सा, धातु विज्ञान, वस्त्र, जहाज निर्माण, नगर नियोजन, वस्त्र के क्षेत्र में सदियों से की गई खोजों और नवाचारों की लंबी सूची भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों की समृद्ध विरासत को प्रकट करती है। उदाहरण के लिए, कई शताब्दियों पहले रासायनिक विज्ञान में हुई प्रगति ने हमें दुनिया में उच्चतम ग्रेड की धातुओं और मिश्र धातुओं के उत्पादन में सक्षम बनाया है।

आईआईएससी के वक्तव्य में कहा गया है कि अपनी बौद्धिक विरासत तथा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में वर्तमान कौशल और स्थिरता एवं नवाचार की परंपरा के साथ, भारत के पास अब विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनने का अवसर है। एस20 शिखर सम्मेलन उन्नति के लिए एक नया रास्ता बनाने में भारत की यात्रा का द्योतक है। 

(इंडिया साइंस वायर)

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