भौतिकी में लैंगिक समानता के लिए वैज्ञानिक समूह की सिफारिशें

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वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि पारिवारिक जिम्मेदारियां विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक अंतर में योगदान कर सकती हैं, लेकिन भौतिक-विज्ञान में महिलाओं की कम भागीदारी की एक प्रमुख वजह चयन प्रक्रियाओं में पूर्वाग्रह भी हो सकता है।

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): वैज्ञानिकों के एक समूह ने भौतिक-विज्ञान अनुसंधान में ‘लैंगिक अंतर’ को कम करने के लिए 29 सूत्रीय सिफारिशों की सूची तैयार की है। भौतिकी में लैंगिक समानता लाने पर केंद्रित ये सिफारिशें हैदराबाद घोषणा-पत्र का हिस्सा हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को सौंपा गया है।

देशभर के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के 62 भौतिकविदों द्वारा हस्ताक्षरित इस घोषणा-पत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए लैंगिक रूप से तटस्थ वातावरण विकसित करने पर जोर दिया गया है। भौतिकी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ये सिफारिशें अनुसंधान संस्थानों, भौतिक-विज्ञान विभागों, भौतिकी शिक्षण, सम्मेलनों और राष्ट्रीय एजेंसियों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं।

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इन सिफारिशों में महिलाओं के अनुकूल लचीली नीतियों को बढ़ावा देने की बात कही गई है, ताकि उन्हें घर और कार्यस्थल की जिम्मेदारियों में संतुलन बनाए रखने के लिए पर्याप्त अवसर मिल सकें। बच्चों की देखभाल के लिए अवकाश, संस्थानों में चाइल्ड-केयर सुविधाओं के विकास, मोबिलिटी स्कीम्स, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और भर्ती के लिए आयु सीमा हटाने जैसी सिफारिशें इस सूची में प्रमुखता से शामिल हैं।

इस वैज्ञानिक समूह में आईआईटी-बॉम्बे, आईआईटी-दिल्ली, भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, हैदराबाद विश्वविद्यालय, टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र, रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईआईटी-मद्रास, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान और भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे देश के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के भौतिक-विज्ञानी शामिल हैं। 

वैज्ञानिक समूह में शामिल इंडियन फिजिक्स एसोसिएशन के ‘जेंडर इन फिजिक्स वर्किंग ग्रुप’ की प्रमुख प्रज्ज्वल शास्त्री ने बताया कि “भौतिक-विज्ञान में लैंगिक अंतराल विज्ञान के अन्य विषयों की अपेक्षा सबसे अधिक है। उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान में कार्यरत भौतिकी में पीएचडी धारक महिलाओं की संख्या सिर्फ 20 प्रतिशत है जो जीव-विज्ञान जैसे विषयों की तुलना में बेहद कम है। कुछ प्रमुख शोध संस्थानों और उच्च पदों पर तो यह संख्या 10 प्रतिशत या फिर उससे भी कम है।” 

वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि पारिवारिक जिम्मेदारियां विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक अंतर में योगदान कर सकती हैं, लेकिन भौतिक-विज्ञान में महिलाओं की कम भागीदारी की एक प्रमुख वजह चयन प्रक्रियाओं में पूर्वाग्रह भी हो सकता है। 

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इंडियन फिजिक्स एसोसिएशन के ‘जेंडर इन फिजिक्स वर्किंग ग्रुप’ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “सरकार भी मानती है कि विज्ञान में लैंगिक असमानता वैज्ञानिक उत्पादकता और उत्कृष्टता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और इसीलिए इस समस्या को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। कई मौजूदा अध्ययनों में अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में न तो महिलाओं की  वैज्ञानिक क्षमता में कमी पायी गई है और न ही उनकी उत्पादकता को कमतर पाया गया है।” 

प्रज्ज्वल शास्त्री ने कहा कि "ये सिफारिशें वैज्ञानिक समूह द्वारा तीन साल से अधिक समय तक किए गए प्रयासों के साथ-साथ पिछले वर्ष हैदराबाद विश्वविद्यालय में इसी विषय पर आयोजित सम्मेलन का परिणाम हैं। भौतिकी में लैंगिक संवेदनशीलता पर आधारित यह अपनी तरह पहला अंतर-विषयक सम्मेलन था।" 

(इंडिया साइंस वायर)

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