“बच्चों की साइकोमोटर क्षमताओं को प्रभावित करते हैं खिलौने”

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कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण, इस ग्रैंड फिनाले में डिजिटल खिलौने के विचार प्रस्तुत करने वाली टीमें होंगी, जबकि गैर-डिजिटल खिलौनों से संबंधित आइडिया प्रस्तुत करने के लिए अलग से वास्तविक रूप से प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

“खिलौने बच्चों की साइकोमोटर क्षमताओं को प्रभावित करते हैं, स्मृति-कौशल पर प्रभाव डालते हैं, और बच्चे की भविष्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने की दिशा में उत्तरदायित्व की भावना जगाते हैं।” केंद्रीय कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री, श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने ये बातें कही हैं। वह भारत को खिलौना निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने वाले अभियान ‘टॉयकैथॉन-2021’ के ग्रैंड फिनाले के वर्चुअल उद्घाटन के अवसर पर बोल रही थीं। 

श्रीमती ईरानी ने सुझाव दिया है कि शिक्षा मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस) के सहयोग से बच्चों के न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) विकास में खिलौनों के प्रभाव पर शोध-पत्र तैयार कर सकते हैं। विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की चुनौतियों के समाधान की दिशा में खिलौनों को एक प्रभावी पद्धति के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

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उल्लेखनीय है कि पूरे देश से लगभग 1.2 लाख प्रतिभागियों ने टॉयकैथॉन-2021 के लिए 17000 से अधिक आइडिया को पंजीकृत और प्रस्तुत किया है, जिनमें से 1567 आइडिया को 22 जून से 24 जून तक आयोजित होने वाले तीन दिनों के ऑनलाइन टॉयकैथॉन ग्रैंड फिनाले के लिए चुना गया था।

कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण, इस ग्रैंड फिनाले में डिजिटल खिलौने के विचार प्रस्तुत करने वाली टीमें होंगी, जबकि गैर-डिजिटल खिलौनों से संबंधित आइडिया प्रस्तुत करने के लिए अलग से वास्तविक रूप से प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। भारत के घरेलू बाजार के साथ-साथ वैश्विक खिलौना बाजार हमारे विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। टॉयकैथॉन-2021 का उद्देश्य भारत में खिलौना उद्योग को बढ़ावा देना है।

टॉयकैथॉन-2021 को शिक्षा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, डीपीआईआईटी, कपड़ा मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एआईसीटीई द्वारा संयुक्त रूप से 05 जनवरी 2021 को जन-भागीदारी द्वारा अभिनव खिलौनों एवं गेम्स से जुड़े आइडिया प्रस्तुत करने के लिए शुरू किया गया था। 

श्रीमती ईरानी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि हमारे बच्चे जिन 85 प्रतिशत खिलौनों के साथ खेल रहे हैं, वे आयातित हैं, और मुख्य रूप से प्लास्टिक से बने हैं। उन्होंने सलाह दी कि भारत अपनी अभियांत्रिकी क्षमता के लिए जाना जाता है, इसीलिए प्रौद्योगिकीविदों को इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के लिए खिलौना क्षेत्र को नयी तकनीकों से लैस करना चाहिए।

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शिक्षा राज्य मंत्री, संजय धोत्रे ने इस अवसर पर कहा कि यह टॉयकैथॉन हमारे युवा नवोन्मेषी लोगों को दुनिया के लिए भारत में खिलौने बनाने का मार्ग प्रशस्त करने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि खिलौनों के उपयोग से विज्ञान और अन्य जटिल विषयों को अपेक्षाकृत आसानी से सीखा जा सकता है।

कपड़ा मंत्रालय के सचिव यू.पी.सिंह ने बताया कि कपड़ा मंत्रालय 12 स्थानों पर वास्तविक रूप में क्षेत्रीय खिलौना मेला आयोजित करने की योजना बना रहा है। 

शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरे ने कहा कि वर्ष 2020 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 5+3+3+4 प्रणाली की वकालत करती है, और यह खिलौनों और खेलों के माध्यम से बच्चों के लिए गतिविधि-आधारित सीखने की जरूरत पर बल देती है। 

(इंडिया साइंस वायर)

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