अनुच्छेद 35-ए पर क्यों हो रहा है विवाद? आखिर क्या है पूरा मामला?

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शुभा दुबे । Aug 7 2018 11:47AM

तत्कालीन सरकार के प्रस्ताव पर 14 मई, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिये भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया था। यही आज लाखों लोगों के लिए अभिशाप बन चुका है। आइए जानें क्या है पूरा मामला।

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि तीन सदस्यीय पीठ के सदस्य एक न्यायाधीश उपलब्ध नहीं थे। इस अनुच्छेद को लेकर विवाद हो रहा है और सभी की नजरें उच्चतम न्यायालय पर लगी हुई हैं। आइए जानते हैं कि आखिर अनुच्छेद 35ए है क्या और क्यों इसकी जरूरत जम्मू-कश्मीर में पड़ गयी।

दरअसल तत्कालीन सरकार के प्रस्ताव पर 14 मई, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिये भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया था। यही आज लाखों लोगों के लिए अभिशाप बन चुका है। अनुच्छेद 35-ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके और उन्हें चिन्हित कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके। इसी अनुच्छेद से जम्मू और कश्मीर की विधानसभा ने कानून बनाकर लाखों लोगों को शरणार्थी मानकर हाशिये पर धकेल रखा है ताकि उनकी राजनीति पर कोई आंच न आये।

भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है। 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35-ए को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था। इसे मुख्य संविधान में नहीं बल्कि परिशिष्ट (अपेंडेक्स) में जोड़ा गया है ताकि इसकी संवैधानिक स्थिति का पता ही न चल सके। भारतीय संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ देना सीधे-सीधे संविधान को संशोधित करना है। अनुच्छेद 35-ए दरअसल अनुच्छेद 370 से ही जुड़ा है और इस पर सुप्रीम कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला देने ही वाला है। भारत एक है और इसका संविधान भी एक है तो फिर जम्मू-कश्मीर में ही नागरिकों से भेदभाव क्यों हो? आइए जानते हैं इस अनुच्छेद से जुड़ी कुछ बड़ी बातें-

जम्मू-कश्मीर में अशांति का सबसे बड़ा कारण है धारा 370 एवं अनुच्छेद 35-ए।

इन्हीं दोनों के कारण जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है।

अनुच्छेद 35A से जम्मू-कश्मीर को ये अधिकार मिला है कि वो किसे अपना स्थाई निवासी माने और किसे नहीं।

जम्मू-कश्मीर सरकार उन लोगों को अपना स्थाई निवासी मानती है जो 14 मई 1954 के पहले यहां बसे थे।

जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी ही यहां जमीन खरीद सकते हैं, रोजगार पा सकते हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

अनुच्छेद 35A के चलते देश के किसी दूसरे राज्य का रहने वाला व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी नहीं बन सकता

अनुच्छेद 35A के चलते यदि जम्मू-कश्मीर की कोई महिला किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके अधिकार छीन लिये जाते हैं

अनुच्छेद 35-ए की आड़ में विभाजन के बाद पाकिस्तान से आये शरणार्थियों से भी भेदभाव किया जाता रहा है।

कोई भी कानून या संविधान संशोधन संसद में पारित किये बिना लागू नहीं किया जा सकता लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने राष्ट्रपति के विशेष आदेश से इसे जम्मू-कश्मीर में लागू करवा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में वी द सिटिजंस नाम के NGO ने अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी गई है कि संविधान बनाते वक्त कश्मीर के ऐसे विशेष दर्जे की कोई बात नहीं थी।

- शुभा दुबे

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