अमेरिका के लोकतंत्र को शर्मसार कर गया कैपिटोल परिसर का हंगामा, ट्रंप की बढ़ेंगी मुश्किलें

Donald trump
अंकित सिंह । Jan 9 2021 10:26AM

अमेरिका के कैपिटोल परिसर में हुई हिंसा इस सप्ताह की सबसे बड़ी खबर रही। अमेरिका जहां एक ओर दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है, वहीं वर्तमान में हुई घटना दुनिया में उसके साख को कम करने के लिए काफी है। प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने इसी विषय पर चर्चा की।

अमेरिका में कैपिटोल परिसर के बाहर निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसके बाद परिसर को ‘‘लॉक्ड डाउन’’ (प्रवेश एवं निकास बंद) कर दिया गया। कैपिटोल के भीतर यह घोषणा की गई कि ‘‘बाहरी सुरक्षा खतरे’’ के कारण कोई व्यक्ति कैपिटोल परिसर से बाहर या उसके भीतर नहीं जा सकता। जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत को प्रमाणित करने के लिए सांसद संसद के संयुक्त सत्र के लिए कैपिटोल के भीतर बैठे थे, तभी यूएस (अमेरिका) कैपिटोल पुलिस ने इसके भीतर सुरक्षा के उल्लंघन की घोषणा की। कैपिटोल के बाहर पुलिस और ट्रंप समर्थकों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों ने कैपिटोल की सीढ़ियों के नीचे लगे अवरोधक तोड़ दिए। कैपिटोल पुलिस ने बताया कि इलाके में एक संदिग्ध पैकेट भी मिला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संसद का संयुक्त सत्र शुरू होने से ठीक पहले कहा कि वह चुनाव में हार को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें धांधली हुई है और यह धांधली उनके डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन के लिए की गई, जो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं। ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी में अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जब धांधली हुई हो तब आपको अपनी हार स्वीकार नहीं करनी चाहिए।’’ ट्रंप ने एक घंटे से अधिक के अपने भाषण में दावा किया कि उन्होंने इस चुनाव में शानदार जीत हासिल की है।

कैपिटल हिल में हिंसा अमेरिका के लिए ‘बेहद अपमान और शर्मिंदगी’ का पल: ओबामा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा नेकैपिटल बिल्डिंग में हिंसा भड़काने के लिए निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह देश के लिए ‘‘बेहद अपमान और शर्मिंदगी’’ का पल है। ओबामा ने एक बयान में कहा, ‘‘इतिहास कैपिटल में हुई आज की हिंसा की घटना को याद रखेगा जिसे वैध चुनावी नतीजे के बारे में लगातार निराधार झूठ बोलने वाले एक निवर्तमान राष्ट्रपति ने भड़काया। यह अमेरिका के लिए बेहद अपमान और शर्म की बात है।’’ पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने कहा, ‘‘लेकिन, अगर हम ऐसा कहेंगे कि यह एकदम अचानक हुई घटना है तो हम खुद से मजाक कर रहे होंगे।’’ 

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अमेरिकी कांग्रेस ने बाइडन की जीत सत्यापित की, ट्रंप ने सत्ता का ‘सुव्यवस्थित’ हस्तांतरण की बात कही

अमेरिकी कांग्रेस ने एक संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए क्रमश: जो बाइडन तथा कमला हैरिस के निर्वाचन की औपचारिक रूप से पुष्टि कर दी। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए तीन नवंबर को चुनाव हुआ था। पेंसिल्वेनिया और एरिजोना राज्यों में वोटों पर रिपब्लिकनों की आपत्तियों को सीनेट और प्रतिनिधि सभा दोनों द्वारा खारिज किए जाने के बाद ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ मतों को मंजूरी दे दी गई। बाइडन और हैरिस को 306 ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ वोट मिले, वहीं ट्रंप और पेंस के खाते में 232 ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ वोट आए। वर्मोंट के तीन ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ वोटों की गिनती ने इन दोनों को राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत के लिए आवश्यक 270 से अधिक के जादुई आंकड़े के पार पहुंचा दिया। डेमोक्रेटिक पार्टी के 78 वर्षीय नेता बाइडन और पार्टी की भारतीय मूल की नेता 56 वर्षीय हैरिस दोनों 20 जनवरी को क्रमश: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद की कमान संभालेंगे। चुनाव नतीजों के संसद से सत्यापन पर टिप्पणी करते हुए ट्रंप ने कहा, ‘‘यह फैसला राष्ट्रपति पद के इतिहास में उनके पहले महान कार्यकाल की समाप्ति को प्रकट करता है।’’ उन्होंने कहा कि वह 20 जनवरी को ‘‘सुव्यवस्थित’’ तरीके से सत्ता का हस्तांतरण करेंगे। ट्रंप ने एक बयान मेंकहा, ‘‘चूंकि चुनाव के नतीजों से मैं पूरी तरह से असहमत हूं और इस तथ्य पर कायम हूं, इसके बावजूद 20 जनवरी को सुव्यवस्थित तरीके से सत्ता का हस्तांतरण होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका को फिर से महान बनाने की लड़ाई की यह महज शुरुआत है।’’ 

संसद पर ट्रंप समर्थकों के कब्जे के दौरान अफरा-तफरी, हिंसा का मंजर

“वो कहां हैं?” कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद) के हॉल में घूमते एक ट्रंप समर्थक ने वहां मौजूद अन्य समर्थकों से जानना चाहा। हाथों में निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का झंडा लिये ये लोग हर दरवाजे को धक्का देते जा रहे थे। ‘वो’ – सांसद, स्टाफ के सदस्य और अन्य कर्मी- इस दौरान मेज के नीचे छिपे हुए थे, घुटनों के बल बैठे हुए खुद को छिपा रहे थे, प्रार्थना कर रहे थे और देश में वैचारिक विभाजन से उपजी तस्वीर और हिंसा को बेहद करीब से महसूस कर रहे थे। अमेरिका ने अपने लंबे लोकतांत्रिक इतिहास में इन दृश्यों का सामना कभी नहीं किया था। लोगों ने बंदूक ले रखी थी। एक महिला पुलिस की गोली से मारी गई जबकि तीन अन्य लोग भी इस दौरान आपात चिकित्सा स्थितियों में मारे गए। कैपिटल बिल्डिंग से ट्रंप का झंडा लटक रहा था। इमारत की शोभा बढ़ाने वाला गरिमापूर्ण गोल गुंबद आंसूगैस के धुएं से भरा हुआ था। जगह-जगह टूटे कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे। ट्रंप समर्थकों की भीड़ ने सीनेट के पीठासीन अधिकारी के आसन पर कब्जा जमा लिया, सदन की स्पीकर के कार्यालय और सीनेट के मंच पर भी उत्पात मचाया। वहीं उनमें से एक ने चिल्लाकर कहा, “ट्रंप उस चुनाव में जीत गए।” उन्होंने सदन के नेताओं का मजाक उड़ाया, निचले सदन प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के दफ्तर में तस्वीरें खिंचवाईं और उनमें से एक ने तो उनकी मेज पर पैर भी रखा हुआ था। 

कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा करने वाले घरेलू आतंकवादी: बाइडन

नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में घुसकर हिंसा करने वालों में कुछ ठगों, श्वेत लोगों को सर्वोच्च समझने वाले लोगों और घरेलू आतंकवादियों का एक झुंड था जिन पर मुकदमा चलना चाहिए। बाइडन ने कहा कि इस पूरी घटना को संभालने में नाकाम रहने वाले अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और सुनिश्चित होना चाहिए कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो। उन्होंने डेलवेयर के विल्मिंगटन में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘उन्हें कुछ अपराधियों, देशद्रोहियों, श्वेत लोगों को सर्वोपरि मानने वाले लोगों और यहूदी विरोधियों का एक झुंड माना जाना चाहिए। और इतना ही काफी नहीं है। ये लोग घरेलू आतंकवादी थे।’’ बाइडन ने कहा, ‘‘और न्याय विभाग को ये आरोप दर्ज करने चाहिए।’’ एक प्रश्न के उत्तर में नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उन पर मुकदमा चलना चाहिए।’’ बाइडन ने प्रदर्शनकारियों के साथ सेल्फी लेते कैपिटल पुलिस कर्मियों की कुछ तस्वीरें आने के मामले में भी जांच की मांग की है। उन्होंने रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज और कई अन्य सांसदों की भी निंदा की। बाइडन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अमेरिकी जनता के मन में साफ है कि ये लोग कौन हैं। वे बड़े झूठ का हिस्सा हैं। इसे अमेरिका के इतिहास का ‘काला दिन’ बताते हुए नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि ट्रंप द्वारा ‘‘लोकतंत्र की अवहेलना’’ के कारण हिंसा की घटना हुई। 

कैपिटल बिल्डिंग 220 वर्ष के इतिहास में पहले भी बना हिंसक घटनाओं बना गवाह

अमेरिकी संसद भवन ‘कैपिटल बिल्डिंग’ के 220 साल के इतिहास में बुधवार जैसी घटना पहले कभी नहीं हुई जब निर्वतमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थक हजारों दंगाई यहां घुस आए और संवैधानिक दायित्वों के निर्वाह में बाधा पहुंचाने की हर संभव कोशिश की। अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में इसे काला दिन बताया जा रहा है। बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है जब कैपिटल हिंसा का साक्षी बना। 1814 में भी यह इसी तरह की एक हिंसा का साक्षी बना था। तब इस इमारत में काम-काज की शुरूआत के सिर्फ 14 साल ही साल हुए थे। युद्ध में ब्रितानी बलों ने इमारत को जला कर बर्बाद करने की कोशिश की थी। ब्रितानी आक्रमणकारियों ने पहले इमारत को लूटा और फिर इसके दक्षिणी और उत्तरी हिस्से में आग लगा दी। इस आग में संसद का पुस्तकालय जल गया। लेकिन कुदरत की मेहरबानी से अचानक यहां आंधी-पानी शुरू हो गया और यह इमारत तबाह होने से बच गई। तब से अब तक काफी कुछ हो चुका है और कई घटनाओं ने हाउस चैम्बर के मंच पर लिखे ‘संघ, न्याय, सहिष्णुता, आजादी, अमन’ जैसे बेहतरीन शब्दों के मायने का मजाक बना दिया है। इस इमारत पर कई बार बम से भी हमला हुआ। कई बार गोलीबारी हुई। एक बार तो एक सांसद ने दूसरे सांसद की लगभग हत्या ही कर दी थी। 1950 में पोर्तो रिको के चार राष्ट्रवादियों ने द्वीप का झंडा लहराया था और ‘पोर्तो रिको की आजादी’ के नारे लगाते हुए सदन की दर्शक दीर्घा से ताबड़-तोड़ 30 गोलियां चलाईं थी। इसमें पांच सांसद जख्मी हुए थे। उनमें से एक गंभीर रूप से घायल हुआ था। पोर्तो रिको के इन राष्ट्रवादियो को जब गिरफ्तार किया गया तो उनकी नेता लोलिता लेबरॉन ने चिल्लाकर कहा,, ‘‘ मैं यहां किसी की हत्या करने नहीं आई हूं, मैं यहां पोर्तो रिको के लिए मरने आई हूं।’’ वहीं इस घटना से पहले 1915 में जर्मनी के एक व्यक्ति ने सीनेट के स्वागत कक्ष में डायनामाइट की तीन छड़ियां लगा दी थी। मध्यरात्रि से पहले उनमें विस्फोट भी हुआ। तब कोई आसपास नहीं था। चरम वामपंथी संगठन वेदर अंडरग्राउंड ने लाओस में अमेरिका की बमबारी का विरोध करने के लिए यहां 1971 में विस्फोट किए। वहीं मई 19 कम्युनिस्ट मुवमेंट ने 1983 में ग्रेनेडा पर अमेरिकी आक्रमण के विरोध में सीनेट में विस्फोट किया था। दोनों घटनाओं में किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई लेकिन हजारों डॉलर का नुकसान हुआ तथा सुरक्षा मानक कड़े हुए। वहीं 1998 में यहां मानसिक रूप से बीमार एक व्यक्ति ने जांच चौकी पर गोलीबारी की जिसमें दो अधिकारियों की मौत हो गई। उनमें से एक अधिकारी बंदूकधारी को जख्मी करने में कामयाब रहा था और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना का निशान अब भी यहां लगी पूर्व उप राष्ट्रपति जॉन सी कालहाउन की प्रतिमा पर देखा जा सकता है। प्रतिमा पर गोली का एक निशान है। इसके अलावा 1835 में इस इमारत के बाहर राष्ट्रपति एंड्रियु जैकसन पर एक व्यक्ति ने पिस्तौल चलाने की कोशिश की थी लेकिन पिस्तौल नहीं चल पाई और जैक्सन उसे दबोचने में सफल रहे। एक अन्य घटना में 1856 में सांसद प्रेस्टन ब्रुक्स ने सीनेटर चार्ल्स समर पर डंडे से हमला कर दिया क्योंकि सीनेटर ने अपने भाषण में दास प्रथा की आलोचना की थी। समर को इतनी बुरी तरह से पीटा गया था कि वह अस्वस्थता के चलते तीन साल तक संसद नहीं आ सके। सदन से ब्रुक्स को बर्खास्त नहीं किया गया लेकिन उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया। जल्द ही वह फिर निर्वाचित हो गए।

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अमेरिका के सांसद ट्रंप को हटाने, महाभियोग लाने पर कर रहे हैं विचार

अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के सांसद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हटाने की मांग कर रहे हैं। प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि अगर ट्रंप को नहीं हटाया गया तो प्रतिनिधि सभा उनके खिलाफ दूसरा महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार करेगी। ट्रंप का कार्यकाल पूरा होने में दो सप्ताह से भी कम समय रह गया है, फिर भी सांसद और यहां तक कि उनके प्रशासन के कुछ लोग भी बुधवार की हिंसा को लेकर यह चर्चा कर रहे हैं क्योंकि पहले तो ट्रंप ने यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) में अपने समर्थकों के हिंसक हंगामे की निंदा करने से इनकार किया और बाद में इस पर सफाई देते दिखे। ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी 25वें संशोधन की धारा चार के तहत अपनी ही कैबिनेट से उन्हें जबरन हटाने की संभावना पर गौर कर रहे हैं। पेलोसी ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह उपराष्ट्रपति माइक पेंस और कैबिनेट के अन्य अधिकारियों के फैसले का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और वित्त मंत्री स्टीव मनुचिन को चुनौती दी। 

ट्रंप के उपद्रवी समर्थकों के खिलाफ आरोप तय करने की तैयारी, राजद्रोह का आरोप भी लग सकता है

अमेरिका के कोलंबिया जिले के एक शीर्ष संघीय अभियोजक ने कहा है कि कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में हिंसा करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए ‘‘सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है’’। वाशिंगटन डीसी के कार्यवाहक अटॉर्नी माइकल शेरविन ने कहा कि अभियोजक उपद्रवियों पर अनाधिकृत प्रवेश, संपदा की चोरी समेत 15 मामले दर्ज करने की योजना बना रहे हैं तथा कई अन्य आरोप तय करने के लिए जांचकर्ता अभी और सबूत जुटा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ उन सभी आरोपों पर विचार किया जा रहा है.... हम अधिक से अधिक आरोप तय करने की कोशिश करेंगे।’’ 

अमेरिका के कैपिटल परिसर में हिंसा की विश्व नेताओं ने की निंदा

अमेरिका में कैपिटल बिल्डिंग में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हंगामे और हिंसा की दुनिया भर के नेताओं ने निंदा की है और इसकी वजह से देश में उपजे हालात पर क्षोभ जताया है। विभिन्न देशों के नेताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण का आह्वान किया है।

- अंकित सिंह

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