कोरोना संकट के बीच फेल नजर आ रहा देश का स्वास्थ्य सिस्टम, EC ने बंगाल में देर से क्यों दिखाई सख्ती ?

health system of country
अंकित सिंह । Apr 24 2021 4:00PM

कोरोना संकट को देखते हुए चुनाव आयोग ने बंगाल चुनाव के लिए प्रचार पर कई तरह की पाबंदियों का ऐलान किया है। लेकिन विपक्ष की ओर से सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर आयोग इतनी देर से क्यों जगा? इस सवाल के जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि सवाल उठाना विपक्ष का अधिकार है।

देश में हालात वाकई विकट हैं। मरीज अस्पतालों के बाहर ही नहीं अंदर भी दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। कहीं ऑक्सीजन की कमी के चलते सांस बंद हो जाने से मरीज मर रहे हैं तो कहीं आईसीयू वार्ड में आग लग जाने से असमय मौत के शिकार हो रहे हैं। महामारी के आगे सारा सिस्टम लाचार नजर आ रहा है। जिस भारत को मेडिकल टूरिज्म के केंद्र के रूप में देखा जाने लगा था उस भारत के चरमराते स्वास्थ्य ढाँचे की खबरें दुनियाभर के समाचार-पत्रों के मुख-पृष्ठों पर छायी हुई हैं। देखा जाये तो भारत में रक्षा से भी ज्यादा स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट रखने की जरूरत है। आर्थिक स्थिति चाहे जितनी भी खराब हो, जैसे सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया नहीं रुकती उसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र को भी लगातार मजबूत बनाते रहने की जरूरत है। हमें प्रभासाक्षी की सप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इसी बात पर चर्चा की। क्या कोरोना संकट के समय हमारा स्वास्थ्य सिस्टम खुद वेंटिलेटर पर चला गया है? आखिर सरकारें इतनी मजबूर क्यों नजर आ रही हैं?  इन सवालों का जवाब देते हुए प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि वाकई स्थितियां बेहद ही गंभीर है। देश में मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। हर तरफ ऑक्सीजन और दवाइयों को लेकर मारामारी है। राज्य सरकारें पूरी तरह से लाचार नजर आ रही हैं। राज्य केंद्र को पत्र लिखकर बेड से लेकर ऑक्सीजन और दवाइयां तक उपलब्ध कराने का आग्रह कर रहा है। नीरज दुबे ने इस बात पर जोर दिया कि कहीं ना कहीं कोरोना वायरस का यह संकट यह दिखा रहा है कि हमने कभी अपने स्वास्थ्य सिस्टम को मजबूत करने के लिए काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की बात कौन करे, पहले की सरकारों ने भी स्वास्थ्य सिस्टम को मजबूत करने के लिए वैसा काम नहीं किया जैसा होना चाहिए था।

इसे भी पढ़ें: अस्पतालों में सांसों के लिए तरसते मरीज! सरकार धीरे-धीरे चला रही है ऑक्सीजन की गाड़ी

कोरोना संकट को देखते हुए चुनाव आयोग ने बंगाल चुनाव के लिए प्रचार पर कई तरह की पाबंदियों का ऐलान किया है। लेकिन विपक्ष की ओर से सवाल यह उठाया जा रहा है कि आखिर आयोग इतनी देर से क्यों जगा? इस सवाल के जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि सवाल उठाना विपक्ष का अधिकार है। लेकिन चुनाव कैसे हो, किस तरह से हो, इसका निर्णय चुनाव आयोग को ही लेता है। वह किसी राजनीतिक दल से इसको लेकर सलाह नहीं लेता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पर सवाल उठाना आसान है लेकिन आयोग की ओर से जो कोरोना प्रोटोकॉल जारी किया गया था उसका किसी भी राजनीतिक दलों ने पालन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि भले ही चुनाव आयोग में देरी से निर्णय लिया हो लेकिन जब उसे लगा कि परिस्थितियां अब अनुकूल नहीं है तब ऐसे में उसका यह निर्णय सराहनीय है। बंगाल के वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर बातचीत करते हुए नीरज दुबे ने कहा कि कहीं ना कहीं बंगाल में ममता बनर्जी को लेकर नाराजगी है। जबकि वाम दल और कांग्रेस गठबंधन के समर्थक अंदर ही अंदर भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। उन्हें यह बात लगता है कि वर्तमान में टीएमसी का मुकाबला सिर्फ भाजपा ही कर सकती है। ऐसे में वह भाजपा को समर्थन देते नजर आ रहे हैं।

कोविड-19: देश में एक दिन में रिकॉर्ड 3,46,786 नए मामले; 2,624 संक्रमितों की मौत

देश में एक दिन में कोविड-19 के 3,46,786 नए मामले सामने आने के साथ संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 1,66,10,481 पर पहुंच गए जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या 25 लाख से अधिक हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को सुबह आठ बजे जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। इन आंकड़ों के मुताबिक एक दिन में 2,624 संक्रमितों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 1,89,544 हो गई है। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और फिलहाल यह आंकड़ा 25,52,940 है जो संक्रमण के कुल मामलों का 15.37 फीसदी है। संक्रमण से उबरने वाले लोगों की दर और गिर गई है और यह 83.49 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक अब तक 1,38,67,997 लोग संक्रमणमुक्त हो चुके हैं। संक्रमण के कारण मरने वालों की दर भी गिर गई है और यह 1.14 फीसदी है। भारत में कोविड-19 के मामले सात अगस्त को 20 लाख के पार, 23 अगस्त को 30 लाख, पांच सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के पार चले गए थे। 

इसे भी पढ़ें: देश में कोरोना वायरस के नए मामलों में से 74.15 मामले दस राज्यों से हैं: स्वास्थ्य मंत्रालय

वहीं, 28 सितंबर को 60 लाख के पार, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख के पार और 19 दिसंबर को एक करोड़ के पार चले गए। 19 अप्रैल को भारत में संक्रमण के मामले 1.50 करोड़ के पार चले गए। आईसीएमआर के मुताबिक, 23 अप्रैल तक 27,61,99,222 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई जिनमें से 17,53,569 नमूनों की जांच शुक्रवार को की गई। देश में एक दिन में 2,624 संक्रमितों की मौत हुई है जिनमें से 773 महाराष्ट्र से थे। इसके बाद दिल्ली में 348, छत्तीसगढ़ में 219 , उत्तर प्रदेश में 196, गुजरात में 142, कर्नाटक में 190, तमिलनाडु में 78 की और पंजाब में 75 लोगों की मौत हुई। देश में अब तक 1,89,544 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हुई जिनमें से सबसे ज्यादा 63,252 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई हैं। 14,075 लोगों की मौत कर्नाटक में हुयी जबकि तमिलनाडु में 13,395, दिल्ली में 13,541, पश्चिम बंगाल में 10,825, उत्तर प्रदेश में 10,737, पंजाब में 8,264 और आंध्र प्रदेश में 7,579 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 70 प्रतिशत से अधिक लोगों की मौत अन्य गंभीर बीमारियों के चलते हुई हैं।

‘एक राष्ट्र’ के रूप में काम करेंगे तो संसाधनों का कोई अभाव नहीं होगा: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्यों को पूरे सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि यदि हम ‘‘एक राष्ट्र’’ के रूप में काम करेंगे तो संसाधनों का कोई अभाव नहीं होगा। कोविड-19 की ताजा लहर में सबसे अधिक प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा कर महामारी की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान संयुक्त प्रयासों और संयुक्त रणनीति से भारत ने संक्रमण से सफलता पाई थी और इसी सिद्धांत पर काम करते हुए ताजा लहर से भी मुकाबला किया जा सकता है। बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने कहा कि वायरस इस बार कई राज्यों के साथ ही टीयर-2 और टीयर-3 शहरों को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने इस महामारी से लड़ाई के लिए साथ मिलकर काम करने और सामूहिक शक्ति से मुकाबला करने का आह्वान किया। बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने राज्यों को इस लड़ाई में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया और कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी राज्यों से लगातार संपर्क बनाए हुए है और वस्तुस्थिति की लगातार निगरानी कर रहा है तथा साथ ही समय-समय पर उन्हें आवश्यक सलाह भी दे रहा है। 

ऑक्सीजन की आपूर्ति के बारे में राज्यों की ओर से उठाए गए मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी आपूर्ति बढ़ाए जाने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग और मंत्रालय इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इस्तेमाल में आने वाले ऑक्सीजन का भी चिकित्सीय ऑक्सीजन की जरूरतों के लिए उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑक्सीजन टैंकरों को भेजने और फिर उनकी वापसी में लगने वाले समय को कम करने के लिये रेलवे, वायुसेना की मदद ली जा रही है प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से साथ मिलकर काम करने और दवाइयों तथा ऑक्सीजन संबंधित जरूरतों को को पूरा करने के लिए एक-दूसरे से सहयोग करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने राज्यों से ऑक्सीजन की जमाखोरी और कालाबाजारी पर नकेल कसने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम एक राष्ट्र के तौर पर काम करेंगे तो संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी।’’ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश में कोरोना महामारी लगातार भयावह रूप लेती जा रही है और कई राज्यों में बिस्तरों से लेकर ऑक्सीजन तक की कमी के मामले सामने आ रहे हैं। बैठक में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दिल्ली सहित कुछ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्रियों से संवाद करने से पहले प्रधानमंत्री ने सुबह नौ बजे एक आंतरिक बैठक की जिसमें केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया और महामारी की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। 

इसे भी पढ़ें: कोरोना अस्पतालों में रिक्त बेड का विवरण दिन में दो बार सार्वजनिक करें: योगी आदित्यनाथ

ऑक्सीजन संयंत्रों की सूची तैयार की जाए, बंद इकाइयां फिर चालू की जाएं: गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा

केंद्र ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले संयंत्रों की सूची तैयार करें और बंद हो चुकी इकाइयों को आपूर्ति बढ़ाने के लिए फिर से चालू करें ताकि कोविड-19 संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के कारण बढ़ी मांग को पूरा किया जा सके। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा कि ऑक्सीजन ले जाने वाले वाहनों को रोके जानेकी घटनाएं अब भी सामने आ रही हैं। उसने राज्यों को निर्देश दिया कि स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति और आवागमन सुनिश्चित किया जाए। चिकित्सकीय ऑक्सीजन के आवागमन के लिए अतिरिक्त टैंकर उपलब्ध कराने के मकसद से गृह मंत्रालय भारतीय वायुसेना के विमानों के जरिए सिंगापुर एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समेत विदेशों से उच्च क्षमता वाले टैंकर लाने के लिए समन्वय स्थापित कर रहा है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश में कोरोनो वायरस संबंधी हालात की शुक्रवार को समीक्षा की और चिकित्सकीय कार्यों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सुझाव दिए। बयान में कहा गया है कि गृह मंत्रालय विशेषज्ञ समूह उपचाराधीन संक्रमित मरीजों को ध्यान में रखते हुए और चिकित्सीय ऑक्सीजन के पहुंचने का समय कम करने के लिए विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन का आवंटन तर्कसंगत तरीके से कर रहा है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने भी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में कहा कि देश के कई जिलों में ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले संयंत्र हैं और सभी का उत्पादन चिकित्सीय मकसद से नहीं होता। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों का इस्तेमाल स्थानीय अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में किया जा सकता है। भल्ला ने कहा कि कुछ संयंत्र बंद हो चुके हैं, उनकी सूची बनाई जानी चाहिए और उन्हें फिर से चालू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 बीमारी में काम आने वाली प्रमुख दवाई रेमडेसिविर का उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं तथा अगले महीने की शुरुआत तक इसकी आपूर्ति 38.80 लाख यूनिट प्रति माह से बढ़कर 74 लाख यूनिट हो जाएगी। इसके साथ ही मंत्रालय ने राज्यों से इसकी निर्बाध आपूर्ति और परिवहन सुनिश्चित करने को कहा। देश में अभी इस दवाई की कमी महसूस की जा रही है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में यह भी कहा कि21 अप्रैल से 30 अप्रैल तक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जीवन रक्षक दवाई का अंतरिम आवंटन और आपूर्ति होगी। 

निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में रोड शो, वाहन रैलियों पर प्रतिबंध लगाया

 पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान कोविड बचाव नियमों के उल्लंघन का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने राज्य में तत्काल प्रभाव से पदयात्रा, रोड शो और वाहन रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि किसी भी जनसभा में 500 से अधिक लोगों को अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी। आदेश में कहा गया कि आयोग ने पाया है कि कई राजनीतिक दल एवं उम्मीदवार अभी भी जनसभा के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। यह आदेश बृहस्पतिवार शाम सात बजे से लागू रहेगा। अपनी संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करते हुए निर्वाचन आयोग ने राज्य में भौतिक रूप से प्रचार पर ताजा प्रतिबंध लगा दिए हैं। पश्चिम बंगाल में अभी 26 और 29 अप्रैल को मतदान होना है। आदेश के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 22 अप्रैल शाम सात बजे से किसी भी रोड शो, पदयात्रा, साइकिल, मोटरसाइकिल, अन्य वाहन रैलियों की अनुमति नहीं रहेगी। किसी भी जनसभा में 500 से अधिक लोगों के शामिल होने की अनुमति नहीं रहेगी। ऐसी जनसभा में भी सामाजिक दूरी के नियमों समेत अन्य कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी वाहन रैली या रोड शो की अनुमति पूर्व में प्रदान की गई है तो उसे भी रद्द माना जाएगा।

इसे भी पढ़ें: कोरोना की सुनामी के बीच महेश बाबू ने लोगों से की प्लाज्मा दान करने की अपील

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोविड रोधी नियमों के क्रियान्वयन पर निर्वाचन आयोग से नाराजगी जताई

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चल रही विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोविड-19 रोधी नियमों के क्रियान्वयन को लेकर निर्वाचन आयोग से नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश टी बी एन राधाकृष्णन के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने चुनाव के दौरान कोविड रोधी प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन का आग्रह करने वाली तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोविड सुरक्षा पर परिपत्र जारी करना और बैठकें करना पर्याप्त नहीं है तथा नियमों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों संबंध में शुक्रवार तक शपथपत्र दायर किया जाना चाहिए। जनहित याचिकाओं में इस बात पर चिंता जताई गई कि जारी चुनाव प्रचार में लोग कोविड रोधी नियमों का पालन नहीं कर रहे। याचिकाओं में आशंका जताई गई कि इसका परिणाम पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में गंभीर वृद्धि के रूप में निकल सकता है जो फिलहाल महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। अदालत ने कहा, ‘‘हम रिकॉर्ड में रखी गई इस सामग्री से संतुष्ट नहीं हैं कि पश्चिम बंगाल में भारत निर्वाचन आयोग और इसके अधिकारियों ने अपने परिपत्र जारी किए हैं।’’ पीठ ने जनहित याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की। इसने कहा कि कोविड सुरक्षा पर परिपत्र जारी करना और बैठकें करना पर्याप्त नहीं है तथा नियमों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में शुक्रवार तक शपथपत्र दायर किया जाना चाहिए।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़