किसान महापंचायत है या चुनावी कवायद ! आखिर कब खत्म होगी कांग्रेस की उलझन ?

Kisan Mahapanchayat
अंकित सिंह । Sep 4 2021 4:56PM

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि पार्टी के जी-23 नेताओं ने प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल किये जाने पर आपत्ति जतायी है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम 'चाय पर समीक्षा' में इस सप्ताह किसान महापंचायत, पंजाब में कांग्रेस के अंतर्विरोध और प्रशांत किशोर के कांग्रेस में प्रवेश की दिक्कतों संबंधी मुद्दों का विश्लेषण किया गया। गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों सहित किसानों से संबंधित मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में रविवार को ‘किसान महापंचायत’ आयोजित की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के मुताबिक किसान मोर्चा’ के बैनर तले ‘महापंचायत’ को सरकारी कॉलेज परिसर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों सहित देशभर के किसान हिस्सा लेंगे। इस आयोजन को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी है।

दूसरी ओर, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि पार्टी के जी-23 नेताओं ने प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल किये जाने पर आपत्ति जतायी है। दरअसल जी-23 नेताओं को लगता है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने से रणनीतिकार के तौर पर उनकी भूमिका कम हो सकती है। हमारे कार्यक्रम में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरीके से किसान आंदोलन को लेकर रणनीति बनाने के लिए महापंचायत करने जा रहे हैं उससे तो कोरोना महामारी को निमंत्रण दिया जा रहा है। इसके साथ-साथ अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे किया जा रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसान अपने मेहनत पर भरोसा करता है। अपने खेतों में काम करता है ना कि वह राजनीति के लिए सामने आता है। अगर किसान को दिक्कत है तो वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकता है परंतु पत्थरबाजी करने वाला किसान कभी नहीं हो सकता।

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पंजाब में मचे कांग्रेस के अंदर के घमासान पर नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि सिद्धू और अमरिंदर के बीच की तनातनी फिलहाल कम नहीं होने वाली है। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू ने एक ओर जहां आलाकमान के सामने कई चुनौतियां पेश कर दी हैं तो वही अमरिंदर भी अपनी शर्तो पर काम करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हरीश रावत भले ही पंजाब में झगड़े सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उससे उनका निजी नुकसान भी हो रहा है। वह उत्तराखंड से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के दावेदार की रेस में कमजोर साबित हो सकते हैं।

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प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की खबर और उसमें विलंब पर नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरह से जी-23 के नेता गांधी परिवार के लिए चुनौती बने हैं, वह कहीं ना कहीं प्रशांत किशोर के लिए भी चुनौती पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 के नेताओं ने गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान से साफ तौर पर कह दिया है कि एक रणनीतिकार के तौर पर आप प्रशांत किशोर की सेवाएं ले सकते हैं परंतु आप उन्हें पार्टी में शामिल कर उच्च पद पर नहीं बैठा सकते। नीरज दुबे ने यह भी माना कि अगर प्रशांत किशोर आते हैं तो जिस तरह हमने पश्चिम बंगाल में देखा गया वैसा ही कुछ कांग्रेस में भी हो सकता है। वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जाएगा और अपने हिसाब से रणनीति तय की जाएगी जो कि जमीनी नेताओं को पसंद नहीं आएगी। 

चुनाव मोड में न रहें, यह किसान विरोधी: एसकेएम

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत से पहले राजनीतिक पार्टियों से कहा कि वे चुनावी मोड में न आएं और वे चुनाव प्रचार करने से परहज़ करें। संगठन ने उनके प्रचार को ‘किसान विरोधी साजिश’ बताया। अलग-अलग किसान संघों के संगठन एसकेएम ने एक बयान कहा कि चुनाव प्रचार महीनों से किसानों द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण संघर्ष से ध्यान भटकाएगा। एसकेएम ने कहा कि आम तौर पर चुनाव से संबंधित प्रचार चुनाव की तारीखों से कुछ महीने पहले शुरू हो जाता है” लेकिन विभिन्न दल पहले ही चुनाव मोड में आ गए हैं और असामान्य गतिविधियां कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि हम केवल यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह एक किसान विरोधी साजिश है, जो किसानों द्वारा महीनों से किए जा रहे महत्वपूर्ण संघर्ष से ध्यान भटकाने के लिए है। हमने उनसे कहा है कि अगर वे किसानों के संघर्ष के सच्चे समर्थक हैं तो वे चुनाव प्रचार से परहेज़ करें।

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इसमें कहा गया है कि किसान भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ अपना विरोध तेज कर रहे हैं, और उन्होंने कुछ कार्यक्रमों के संबंध में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को अल्टीमेटम दिया है। एसकेएम ने कहा, “हरियाणा के रेवाड़ी के किसानों ने मुख्यमंत्री (मनोहर लाल खट्टर) को पांच सितंबर को रेवाड़ी में निर्धारित कार्यक्रम में आने को लेकर आगाह किया है और कहा है कि किसान निश्चित रूप से काले झंडे दिखाकर विरोध करेंगे। हिमाचल प्रदेश में, किसानों ने जब तक कि उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तबतक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को शिलाई में आगामी कार्यक्रम में भाग लेने के खिलाफ चेतावनी दी है।” बयान में कहा गया है कि एसकेएम पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन करेगा, जिसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। एसकेएम ने कहा, “पांच सितंबर को जीआईसी मैदान में किसान महापंचायत में लाखों किसानों के शामिल होने की उम्मीद है, जो संयुक्त किसान मोर्चे के उत्तर प्रदेश मिशन की शुरुआत करेगा। ” 

किसान संगठन ने कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कई जगहों पर लोगों को जुटाने के लिए बैठकें हो चुकी हैं। पंजाब के मोगा में बृहस्पतिवार को किसानों पर लाठीचार्ज और पानी की बौछारों के इस्तेमाल की निंदा करते हुए, एसकेएम ने किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेने और पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। एसकेएम ने यह भी कहा कि अगर आठ सितंबर तक किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं लिए गए, तो उस दिन किसान संघों की बैठक में बड़े प्रदर्शन की कार्य योजना तय की जाएगी।

रावत ने ‘पंज प्यारे’ टिप्पणी के लिए माफी मांगी

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव हरीश रावत ने पार्टी की पंजाब इकाई के नेतृत्व को ‘पंज प्यारे’ बताने के लिए बुधवार को माफी मांगी। उन्होंने कहा कि वह एक गुरुद्वारे में झाडू लगाकर अपनी टिप्पणी के लिए प्रायश्चित करेंगे। कांग्रेस की प्रदेश इकाई में चल रहे मनमुटाव के बीच रावत चंडीगढ़ आए थे और उन्होंने पंजाब कांग्रेस भवन में बैठक के बाद, राज्य के कांग्रेस प्रमुख एवं चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे’ शब्द का उपयोग किया था। सिख परंपरा में ‘पंज प्यारे’ संबोधन गुरु के पांच प्यारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह और उनके पांच अनुयायियों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। रावत ने बुधवार को अपने फेसबुक पृष्ठ पर ‘पंज प्यारे’ टिप्पणी के लिए अपनी ‘गलती’ स्वीकार की। रावत ने लिखा कि कभी कभी सम्मान जाहिर करने के लिए आप ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन पर आपत्ति उठ सकती है। मैंने भी अपने माननीय अध्यक्ष एवं चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे’ शब्द का इस्तेमाल कर गलती की है। 

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उन्होंने कहा कि वह देश के इतिहास के छात्र रहे हैं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मुझसे यह गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। रावत कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने राज्य उत्तराखंड में गुरुद्वारे में सफाई कर अपनी इस गलती का प्रायश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि सिख धर्म और इसकी महान परंपराओं के प्रति उनके मन में हमेशा समर्पण और सम्मान की भावना रही है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने रावत की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और इसके लिए माफी की मांग की थी। शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने रावत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की थी और मांग की थी कि लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए राज्य सरकार को उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।

प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने का निर्णय सोनिया गांधी लेंगी:सूत्र

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी और उन्होंने इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि इनमें से कुछ नेताओं ने पार्टी में उनके शामिल होने पर आपत्ति जतायी है, जबकि अन्य ने इसका समर्थन किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि वह पार्टी के लिए लाभकारी होंगे। सूत्रों ने कहा कि निर्णय गांधी को लेना है। सूत्रों ने कहा कि पिछले साल गांधी को पत्र लिखकर संगठन में बदलाव की मांग करने वाले पार्टी के 23 नेताओं के समूह के भी किशोर के कांग्रेस में शामिल होने पर आपत्ति जताये जाने की जानकारी है। सूत्रों ने बताया कि इन नेताओं के बीच इस मामले पर एक बैठक में चर्चा हुई थी। किशोर के कांग्रेस में शामिल होने और चुनाव प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका संभालने की चर्चा के बीच उन्होंने हाल ही में राहुल गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि, मामला लंबित है क्योंकि कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। किशोर ने शुरुआत में 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ काम किया था और उसके बाद जद (यू) में शामिल हो गए थे और पार्टी के उपाध्यक्ष थे। किशोर ने उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के साथ काम किया था। उन्होंने पंजाब में पार्टी की सहायता भी की और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के सलाहकार थे।

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