दो बैसाखी होने के बाद भी कांग्रेस क्यों नहीं कर रही बंगाल में प्रचार ?

Congress
अंकित सिंह । Apr 3 2021 2:57PM

पुडुचेरी में भी कांग्रेस का हाल पर बेहाल ही है। जबकि तमिलनाडु में डीएमके के साथ कांग्रेस का गठबंधन है। परंतु वहां मुख्य मुक़ाबला में डीएमके ही है और इसी वजह से कांग्रेस अस्तित्व में भी नजर आ रही है। केरल में यूडीएफ का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस फिलहाल एलडीएफ के सामने विवश नजर आ रही है।

देश में चुनावी माहौल है। एक केंद्र शासित प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे है। इनमें असम, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं। राज्यों में राजनीतिक दलों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है। असम और पश्चिम बंगाल में दो चरणों के लिए मतदान हो भी चुके है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस वर्तमान में कहां खड़ी है। असम को छोड़कर फिलहाल बाकी राज्यों में कांग्रेस का हाल बेहाल ही नजर आ रहा है। असम में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस की स्थिति कुछ ठीक-ठाक लग रही है। पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस ने लेफ्ट और आईएसएफ के साथ गठबंधन किया तो जरूर है परंतु बेहद कमजोर नजर आ रही है। कांग्रेस के सहयोगी पश्चिम बंगाल में यह कहने लगे है कि हमने लगता है देश की सबसे पुरानी पार्टी से गठबंधन कर कोई गलत फैसला लिया है। पुडुचेरी में भी कांग्रेस का हाल पर बेहाल ही है। जबकि तमिलनाडु में डीएमके के साथ कांग्रेस का गठबंधन है। परंतु वहां मुख्य मुक़ाबला में डीएमके ही है और इसी वजह से कांग्रेस अस्तित्व में भी नजर आ रही है। केरल में यूडीएफ का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस फिलहाल एलडीएफ के सामने विवश नजर आ रही है। सबसे खास बात यह है कि कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ही दौरा कर रहे हैं। दोनों नेताओं का सबसे ज्यादा फोकस असम और केरल है। पश्चिम बंगाल में पार्टी को राज्य इकाई के भरोसे ही छोड़ दिया गया है। जबकि तमिलनाडु में गठबंधन का नेतृत्व कर रहे एमके स्टालिन ही कांग्रेस की नैया पार करा रहे हैं। कुल मिलाकर कहे तो वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस पूरी तरह से कंफ्यूज नजर आ रही है।

प्रभासाक्षी ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समिक्षा में इसी बात पर चर्चा की थी कि कांग्रेस कहां खड़ी है। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि बैसाखियों का सहारा लेने के बावजूद कांग्रेस का अस्तित्व फिलहाल चुनावी राज्यों में कुछ खास नजर नहीं आता है। असम में ही वह ठीक-ठाक भूमिका में है। बाकी राज्यों में उसकी स्थिति बेहद ही कमजोर है। नीरज दुबे ने यह भी स्वीकार किया कि वर्तमान में कांग्रेस को चर्चा कर अपनी पार्टी के लिए एक सटीक रणनीति बनानी होगी जिसके सहारे वह आगे बढ़ सके। 

कांग्रेस मानसिक और वैचारिक रूप से दिवालिया हो गयी है: नड्डा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर ‘‘अवसरवाद की राजनीति’’ में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी सत्ता के लालच में मानसिक और वैचारिक रूप से दिवालिया हो गई है। तीन विधानसभा क्षेत्रों में जनसभा को संबोधित करते हुए नड्डा ने दावा किया कि कांग्रेस ने ‘ सांप्रदायिक’ शक्तियों के साथ गठबंधन किया है और वाम दलों के साथ उसके रिश्ते राज्यवार बदलते रहते हैं। बता दें कि असम की इन तीनों सीटों पर विधानसभा चुनाव के तीसरे एवं अंतिम चरण में मतदान होना है। नड्डा ने कहा, ‘‘ कांग्रेस मानसिक रूप से दिवालिया है। वह राजनीतिक अवसरवाद की नीति पर चलती है। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मैं यह बात पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं।’’ नड्डा ने कहा ‘‘कांग्रेस वैचारिक रूप से दिवालिया है। यह देश की सबसे पुरानी पार्टी है और सत्ता में आने के लिए बिना किसी झिझक के उसने कुछ सांप्रदायिक पार्टियों के साथ साझेदारी की है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आदत भाजपा पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाने की है लेकिन वह खुद केरल में मुस्लिम लीग, पश्चिम बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) और असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के साथ है। उल्लेखनीय है कि माकपा नीत वाम मोर्चे और कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में प्रभावशाली मुस्लिम उलेमा अब्बास सिद्दिकी द्वारा नवगठित आईएसएफ से हाथ मिलाया है। नड्डा ने कहा, ‘‘कांग्रेस ही सांप्रदायिक है। उसके नेता अब चुनाव के दौरान मंदिर जा रहे हैं लेकिन पिछले 50 साल में नहीं गए।’’ 

इसे भी पढ़ें: द्रमुक और कांग्रेस की भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति को खारिज करें: अमित शाह

ममता सरकार ‘तोलाबाजी, तानाशाही, तुष्टिकरण’ के थ्री टी मॉडल पर चलती है: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि वह नंदीग्राम सीट से चुनाव हार रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ‘तोलाबाजी’, ‘तानाशाही’ और ‘तुष्टिकरण’ के थ्री टी मॉडल पर चलती है। पूर्बी मेदिनीपुर जिले की इस सीट पर ममता का मुकाबला अपने पूर्व सहयोगी एवं भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी से है। इस सीट पर दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान हुआ था। सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को उत्तर बंगाल क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने वादा किया कि अगर राज्य में भाजपा सत्ता में आती है तो वह पड़ोसी बांग्लादेश से घुसपैठ को पूरी तरह रोकेगी। शाह उत्तर से दक्षिण बंगाल तक राज्य के एक व्यापक दौरे पर हैं। शाह ने दो रैलियों को संबोधित किया और दो रोड शो में भाग लिया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा इस चुनाव में अब तक हुए दो चरणों में जिन 60 सीटों पर मतदान हुआ, उनमें से 50 सीटें जीतेगी। उत्तर बंगाल के दो प्रमुख समुदायों से संपर्क साधते हुए शाह ने कहा कि नेपाली और राजबंशी भाषाओं को राज्य की सहायक बनाया जाएगा। शाह ने दावा किया कि उत्तर बंगाल क्षेत्र के साथ तृणमूल सरकार ने अन्याय किया है। उन्होंने यह भी वादा किया कि उत्तर बंगाल के विकास के लिए भाजपा हर साल 2,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी और क्षेत्र में लोगों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एम्स की स्थापना करेगी। भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित कूचबिहार जिले के सीतलकुची में चुनावी रैली में शाह ने कहा, “सीमा-पार से होने वाली घुसपैठ उत्तर बंगाल की सबसे बड़ी समस्या है। टीएमसी सरकार इसे कभी नहीं रोकेगी, केवल हम इसे रोक सकते हैं।”

एलडीएफ और यूडीएफ कुशासन, भ्रष्टाचार में एक समान हैं: मोदी

केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ)और कांग्रेस नीत विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों ही मोर्चे कुशासन, भ्रष्टाचार और राजनीतिक हिंसा के मामले में एक समान हैं। केरल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, यूडीएफ और एलडीएफ जुड़वा हैं। वे कुशासन, भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा, सांप्रदायिकता, जातिवाद और भाई-भतीजावाद आदि मामलों में एक समान हैं। पश्चिम बंगाल में वाम दलों और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तस्वीर सभी के लिए एकदम साफ है। हर चुनाव के बाद कांग्रेस और वाम दल करीब आ रहे हैं। इस नजदीकी के बाद तथ्यात्मक कदम कांग्रेस और वाम का पूर्ण विलय है। वे इस नए दल को सीसीपी- कामरेड कांग्रेस पार्टी- कह सकते हैं। मोदी ने कहा, क्योंकि वे जुड़वा हैं इसलिए यूडीएफ में एलडीएफ को परास्त करने का सामर्थ्य एवं इच्छाशक्ति नहीं है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि राजग के समर्थन में इजाफा हुआ है। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने पथनमथिट्टा जिले के कोनी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए भी दोनों मोर्चों पर प्रहार किए थे।

इसे भी पढ़ें: RSS का सामना मिलकर करेंगे, तीनों कृषि कानून कानून वापस कराके दम लेंगे: राहुल गांधी

द्रमुक और कांग्रेस के नेता महिलाओं का अपमान करते रहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्रमुक और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनके नेता ‘‘महिलाओं का अपमान करते रहते हैं। ’’ साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि राजग की योजनाओं का लक्ष्य महिलाओं का सशक्तिकरण है। यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने लोगों से छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव में सहयोगी पार्टी अन्नाद्रमुक समेत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि दिवगंत मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन का, समावेशी विकास एवं समृद्ध समाज का दृष्टिकोण ‘‘हमें प्रेरित करता है।’’ द्रमुक और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि उनके पास बोलने के लिए कोई एजेंडा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि साथ चुनाव लड़ रहीं दोनो पार्टियां लोगों की सुरक्षा और मान-सम्मान तक की गारंटी नहीं देंगी और उनके शासन में कानून व्यवस्था ‘‘बिगड़’’ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी समझ है कि द्रमुक और कांग्रेस के पास बोलने के लिए असली एजेंडा नहीं है लेकिन उन्हें अपने झूठ को नियंत्रित रखना चाहिए क्योंकि जनता मूर्ख नहीं है।’’ मोदी ने स्थानीय देवी मीनाक्षी अम्मन और उनके लोकप्रिय नामों कन्नगी अम्मन, रानी मंगम्मल और वेलु नाचियार का उल्लेख करते हुए कहा कि मदुरै ‘नारी शक्ति’ के सशक्तिकरण की सीख देता है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना सहित राजग की कई योजनाएं महिलाओं के सशक्तिकरण को लक्षित कर शुरू की गईं। मोदी ने कहा, ‘‘स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना और अन्य योजनाओं में हमारी कोशिश का उद्देश्य महिलाओं का सशक्तिकरण है, लेकिन यह दुख की बात है कि द्रमुक और कांग्रेस ने मदुरै के स्वभाव को नहीं समझा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि उनके नेता बार-बार महिलाओं का अपमान करते रहते हैं।’’ 

भारत में एक दिन में कोविड-19 के 89,129 नए मामले, 714 लोगों की मौत

भारत में 3 अप्रैल को कोविड-19 के 89,129 नए मामले दर्ज किए गए जो करीब साढ़े छह महीने में संक्रमण के एक दिन में आए सर्वाधिक मामले हैं। इसके साथ ही देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 1.23 करोड़ हो गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। एक दिन में इस महामारी से 714 लोगों की मृत्यु हो जाने से मृतकों की संख्या बढ़कर 1,64,110 हो गई है। कोविड-19 से एक दिन में मरने वाले लोगों की 21 अक्टूबर के बाद से यह सबसे अधिक संख्या है। पिछले साल 20 सितंबर के बाद से 3 अप्रैल को आए संक्रमण के नए मामले सबसे अधिक हैं। तब 24 घंटे में 92,605 नए मामले आए थे। आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के साथ देश में इस बीमारी का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी लगातार 24वें दिन वृद्धि दर्ज की गई है। अब भी 6,58,909 लोग इस बीमारी का इलाज करा रहे है जो संक्रमण के कुल मामलों का 5.32 प्रतिशत है। स्वस्थ होने वाले लोगों की दर गिरकर 93.36 प्रतिशत हो गई है। देश में इलाज करा रहे संक्रमितों की सबसे कम संख्या 12 फरवरी को थी जब 1,35,926 लोग उपचाराधीन थे और यह संक्रमण के कुल मामलों का 1.25 प्रतिशत था। 

इसे भी पढ़ें: अशोक गहलोत की मांग, असम में ईवीएम मशीन को लेकर चल रहे विवाद की जांच हो

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,15,69,241 हो गई है जबकि मृत्यु दर गिरकर 1.32 प्रतिशत हो गई है। कोरोना वायरस के एक दिन में आने वाले सबसे अधिक मामले पिछले साल सितंबर में आए थे जब 17 सितंबर को संक्रमण के 97,894 मामले आए जिसके बाद भारत में संक्रमण के मामले धीरे-धीरे घटने लगे। भारत में कोविड-19 के मामले सात अगस्त को 20 लाख का आंकड़ा पार कर गए थे। इसके बाद संक्रमण के मामले 23 अगस्त को 30 लाख, पांच सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के पार चले गए थे। वैश्विक महामारी के मामले 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख और 19 दिसंबर को एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गए थे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक दो अप्रैल तक 24,69,59,192 नमूनों की जांच की जा चुकी है जिसमें से 10,46,605 नमूनों की जांच शु्क्रवार को की गई। बीते 24 घंटे में जिन 714 लोगों की मौत हुई है उनमें से 481 की महाराष्ट्र, 57 की पंजाब, 43 की छत्तीसगढ़, 16-16 लोगों की उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, 14-14 लोगों की केरल और दिल्ली, 12 लोगों की तमिलनाडु, 11 की गुजरात और 10 लोगों की मौत हरियाणा में हुई। देश में इस वैश्विक महामारी से अब तक 1,64,110 लोगों की मौत हुई है। इनमें से महाराष्ट्र में 55,379, तमिलनाडु में 12,750, कर्नाटक में 12,591, दिल्ली में 11,050, पश्चिम बंगाल में 10,335, उत्तर प्रदेश में 8,836, आंध्र प्रदेश में 7,225 और पंजाब में 6,983 लोगों की मौत हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से 70 प्रतिशत से अधिक लोगों को अन्य बीमारियां भी थीं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारे आंकड़ों का भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के आंकड़ों से मिलान किया जा रहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़