गोवर्धन पूजा पर्व को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली के अगले दिन मनाये जाने वाले इस त्योहार की विशेष छटा ब्रज में देखने को मिलती है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है।
ब्रह्मवैवर्तपुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने और श्रीराधा के अभेद का प्रतिपादन करते हुए कहा है कि श्रीराधा के कृपा कटाक्ष के बिना किसी को मेरे प्रेम की उपलब्धि ही नहीं हो सकती।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पर्व जन्माष्टमी की धूम सिर्फ भारत वर्ष के मंदिरों में ही नहीं बल्कि अब दुनिया भर में होने लगी है। एस्कॉन मंदिरों के माध्यम से जन्माष्टमी पर्व कई देशों में मनाया जाने लगा है।
इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है इसको लेकर संशय का माहौल छंटने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ पंडितों का कहना है कि इस बार जन्माष्टमी 2 सितम्बर को मनायी जायेगी वहीं कुछ पंडितों का कहना है कि जन्माष्टमी 3 सितम्बर को मनायी जायेगी।
अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण मध्यरात्रि के समय पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए इस दिन को दुनिया भर में कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।
इस जन्माष्टमी यदि आप भी भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना चाह रहे हैं तो आपको मधुराष्टकम का पाठ अवश्य करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं बस उनकी आराधना सच्चे मन से करनी चाहिए।
एक दिन नंदबाबा ने कार्तिक शुक्ला एकादशी का उपवास किया। उस दिन उन्होंने भगवान की पूजा की और रात में द्वादशी लगने पर स्नान करने के लिए यमुना जल में प्रवेश किया। नंद बाबा को यह मालूम नहीं था कि यह असुरों की बेला है।
जयंती संयोग से आशय यह है कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बन रहा है, जैसा उस वक्त बना था जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।
श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर्व इस वर्ष 2 और तीन सितम्बर को मनाया जायेगा। दरअसल इस बार अष्टमी तिथि 2 सितम्बर को रात 8.47 बजे शुरू हो रही है और 3 सितम्बर 2018 को 7.19 मिनट पर खत्म हो रही है इसलिए यह पर्व दो दिन का हो गया है।
माता यशोदा को पौराणिक ग्रंथों में नंद की पत्नी कहा गया है। भागवत पुराण में यह कहा गया है देवकी के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ।