नवरात्रि में इस दिशा में करेंगे माता की पूजा तो मिलेगा विशेष फल

Do Navratri worship In this direction
मिताली जैन । Mar 21 2018 4:49PM

वास्तुशास्त्र के अनुसार, हर देवी-देवता के लिए एक दिशा निर्धारित होती है। इसलिए जब आप किसी भी देवी-देवता का पूजन करें तो उस दिशा का खासतौर पर ख्याल रखें। माता दुर्गा के लिए पूर्व और दक्षिण अच्छी मानी जाती है।

मां अम्बे तो अपने भक्तों के हर दुख का हरण करती हैं। जो कोई भक्त उनका सच्चे मन से स्मरण करता है, वह अपनी परेशानियों से मुक्ति पा जाता है। खासतौर से, नवरात्रि के ये नौ दिन माता की पूजा के लिए ही माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस भी घर में माता की अखंड ज्योति और कलश की स्थापना होती है, वहां पर माता स्वयं नौ दिनों के लिए वास करती हैं और अपने भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। अगर आप भी नवरात्रों में माता की कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो आपको कुछ विशेष उपाय करने चाहिए। आईए जानते हैं इन्हीं उपायों के बारे में-

वास्तुशास्त्र के अनुसार, हर देवी-देवता के लिए एक दिशा निर्धारित होती है। इसलिए जब आप किसी भी देवी-देवता का पूजन करें तो उस दिशा का खासतौर पर ख्याल रखें। माता दुर्गा के लिए पूर्व और दक्षिण अच्छी मानी जाती है। इसमें भी पूर्व की दिशा सर्वोत्तम होती है। इस दिशा को ज्ञान, बुद्धि और विवेक की दिशा माना जाता है। इसलिए जब आप माता की स्थापना करें तो उनकी स्थापना पूर्व दिशा में ही करें। इससे आपको अपनी पूजा का पूरा लाभ मिलेगा।

इसके अतिरिक्त जोत के लिए गाय के देसी घी का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है। जब आप पूजा करते हैं तो आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। साथ ही आप माता की जोत की स्थापना कुछ इस तरह करें कि वह आपके राइट साइड पर हो। यह पूजा स्थान का अग्निकोण होता है। वहीं पूजा की अन्य सामग्री किसी भी दिशा में रखी जा सकती है। आमतौर पर वास्तुशास्त्र में यह नियम निर्धारित है कि अग्नि से संबंधित कोई भी सामग्री नार्थ-ईस्ट अर्थात ईशान कोण में नहीं रखनी चाहिए लेकिन माता की जोत के साथ यह नियम लागू नहीं होता क्योंकि माता की ज्योति की सकारात्मकता इतनी अधिक होती है कि अगर आप उसे ईशान कोण में रखते हैं तो उसकी सकारात्मकता न सिर्फ उस दिशा की बल्कि पूरे घर की नकारात्मकता को खत्म कर देती है। 

नवरात्रि के दिनों में अगर आपके पास कोई स्फटिक या पीतल का श्रीयंत्र है तो उसे पूजा स्थल में अवश्य रखें। इससे आपके लिए धन लाभ के योग बनते हैं। आप यह श्रीयंत्र नवरात्रि के किसी भी दिन स्थापित कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आजकल मार्केट में प्लास्टिक के श्रीयंत्र भी मिलते हैं, इन्हें भूलकर भी पूजाघर में न रखें। इससे आपको किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होगा। 

माता की चौकी के लिए लकड़ी या शुद्ध धातु जैसे चांदी या सोने का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए कभी भी प्लास्टिक की चौकी का इस्तेमाल न करें। इसके अतिरिक्त आप अपने पूजा स्थान में मंगलदायक कलर जैसे लाल और पीले रंग का ही इस्तेमाल करें। मसलन, माता की चौकी में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े, पूजा के फल और फूल आदि में लाल और पीले रंग को ही महत्ता प्रदान करें। इस उपाय से घर में सकारात्मकता आती है। पीला रंग जहां ज्ञान, बुद्धि और विवेक के देवता सूर्य का प्रतीक है, वहीं लाल रंग शक्ति और मंगल को दर्शाता है। 

आप जहां पर बैठकर पूजा कर रहे हैं उसके नीचे कभी भी लटका हुआ बीम नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो आप वहां से थोड़ा हटकर बैठें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता।

वहीं नवरात्रि बच्चों के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे शिक्षा की क्षेत्र में आगे बढ़ें तो इसके लिए आप अपनी किताबों के फटे हुए कवर को बदलें और अपनी सभी किताबों की केयर सही तरह से करें। इससे भी माता प्रसन्न होती हैं।

-मिताली जैन

फेंगशुई एक्सपर्ट व वास्तु विशेषज्ञ आनंद भारद्वाज से बातचीत पर आधारित

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