बैडमिंटन पर ढीली हो रही है चीन की पकड़
बैडमिंटन पावरहाउस माने जाने वाले चीन ने लंबे समय तक इस खेल में दबदबा बनाया लेकिन रियो ओलंपिक में देश को मिले सिर्फ दो स्वर्ण पदक दर्शाते हैं कि उसकी पकड़ कमजोर हो रही है।
रियो डि जिनेरियो। बैडमिंटन पावरहाउस माने जाने वाले चीन ने लंबे समय तक इस खेल में दबदबा बनाया लेकिन रियो ओलंपिक में देश को मिले सिर्फ दो स्वर्ण पदक दर्शाते हैं कि उसकी पकड़ कमजोर हो रही है। चीन ने लंदन 2012 में क्लीनस्वीप करते हुए पांचों स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे लेकिन ब्राजील में वे इस प्रदर्शन को दोहराने में नाकाम रहे जब महिला बैडमिंटन खिलाड़ी और सुपरस्टार लिन डैन खाली हाथ लौटे। बैडमिंटन में खराब प्रदर्शन के कारण ही संभवत: चीन पदक तालिका में ब्रिटेन के बाद तीसरे स्थान पर खिसक गया। सिडनी 2000 खेलों के बाद यह पहला मौका है जब चीन शीर्ष दो में जगह नहीं बना पाया। ली शुएरूई महिला एकल में लंदन में जीते अपने खिताब का बचाव करने में नाकाम रही और सेमीफाइनल में हार गई जिससे 20 साल पहले अटलांटा ओलंपिक के बाद दुनिया को पहला गैर चीनी चैम्पियन मिला। स्पेन की स्वर्ण पदक विजेता कैरोलिना मारिन के खिलाफ शिकस्त के बाद शुएरूई ने कहा था कि 1992 बार्सीलोना ओलंपिक से खेलों के महाकुंभ का हिस्सा बने बैडमिंटन में चीन के लिए दबदबा बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
रियो में चीन बार्सीलोना खेलों से ही पहली बार महिला युगल का स्वर्ण जीतने में नाकाम रहा जब यांग युआनटिंग और यू यांग को सेमीफाइनल में शिकस्त झेलनी पड़ी। जापान की मिसाकी मात्सुतोमो और आयाका ताकाहाशी ने महिला युगल का स्वर्ण पदक जीता। मिश्रित युगल में चीन भी दोनों जोड़ियों को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। इस वर्ग का खिताब इंडोनेशिया ने जीता। तीन स्वर्ण पदक से चूकने के बाद भी चीन को पहले पदक का इंतजार था और उसका यह इंतजार फू हाइफेंग और झांग नान की जोड़ी ने पुरूष युगल में स्वर्ण पदक के साथ खत्म किया। चेन लोंग ने पुरूष एकल फाइनल में मलेशिया के ली चोंग वेई को हराकर चीन को दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया लेकिन लिन डैन का खराब प्रदर्शन देश के दबदबे को सबसे बड़ा झटका है। दो बार के ओलंपिक और पांच बार के विश्व चैम्पियन लिन डैन सेमीफाइनल में चोंग वेई से हारने के बाद कांस्य पदक के मुकाबले में भी डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसेन से हार गए। लिन डैन ने कम से कम एक दशक तक खेल पर राज किया लेकिन 32 साल की उम्र में रियो खेल संभवत: उनका अंतिम ओलंपिक था और उनके शानदार ओलंपिक करियर का संभवत: वैसा अंत नहीं हुआ जैसा वह चाहते थे।
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