BCCI मीडिया अधिकार: सदस्यों को अंधेरे में रखा गया, CoA ने ई-नीलामी का किया फैसला
[email protected] । Feb 23 2018 9:23AM
प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अपनी नीलामी की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए फैसला किया कि आगामी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मैचों के लिये बीसीसीआई
नयी दिल्ली। प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अपनी नीलामी की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए फैसला किया कि आगामी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मैचों के लिये बीसीसीआई के मीडिया अधिकार ( प्रसारण और डिजिटल) ई-नीलामी के जरिये किये जायेंगे। पहले इनका निर्धारण सीलबंद टेंडर प्रक्रिया के तहत किया जाता था जो इस साल आईपीएल में इस्तेमाल की गयी थी।
ई-नीलामी के 27 मार्च को होने की उम्मीद है। इन अधिकारों कों तीन वर्गों में बांटा गया है- जो वैश्विक टीवी अधिकार और शेष विश्व डिजिटल अधिकार पैकेज, भारतीय-उपमहाद्वीप डिजिटल अधिकार पैकेज और वैश्विक संयुक्त अधिकार पैकेज हैं। हालांकि विनोद राय की अध्यक्षता वाली सीओए ने ज्यादातर नीतिगत फैसले अकेले ही ले लिये हैं और इसके लिये बीसीसीआई की आम सभा बैठक को भी नहीं बुलाया।
एक नाराज सीनियर अधिकारी ने आज पीटीआई से कहा, ‘हां, हमें एक नोट मिला है जिसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिये बीसीसीआई के मीडिया अधिकार ई-नीलामी प्रक्रिया के जरिये किये जायेंगे। अब इस नोट में इसका जिक्र नहीं किया गया है कि अचानक से यह फैसला क्यों किया गया जबकि बीसीसीआई ने पूर्व प्रक्रिया से आईपीएल अधिकारों के लिये स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से 16,347 करोड़ रूपये का बड़ा करार किया था। परंपरा के अनुसार उन्होंने आम सभा बैठक बुलाने की भी जहमत नहीं उठायी।’
पता चला है कि ई-कामर्स मेजर एमजंक्शन इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभालेगा जो विभिन्न स्पेक्ट्रम में ई-नीलामी आयोजित कराता है। गुस्साये अधिकारी ने आरोप लगाया, ‘अब ई-नीलामी के लिये एमजंक्शन को रखने की प्रक्रिया क्या थी, इसकी भी जानकारी नहीं है। वैसे भी सीओए को कुछ सवाल पूछना भी पसंद नहीं है।’ भारत के अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मैचों के लिये बीसीसीआई के प्रसारण अधिकार इस समय स्टार स्पोर्ट्स के पास हैं जो टेस्ट, वनडे और टी20 मैचों के लिये प्रत्येक मैच का 43–2 करोड़ रूपये का भुगतान करता है।
हालांकि स्टार ने लुभावनी आईपीएल के अधिकार हासिल कर लिये हैं तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किसी भी वर्ग में प्रवेश करने के लिये इच्छुक हैं या नहीं। दिलचस्प बात है कि बीसीसीआई के मौजूदा समय में सबसे ताकतवर अधिकारियों (सीओए के अलावा) में से एक ई-नीलामी के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के तौर पर अगर कंपनी ए जान जाती है कि कंपनी बी ई-नीलामी प्रक्रिया के दौरान 100 रूपये पर रूक जायेगी। तो कंपनी ए फिर 101 रूपये के लिये बोली लगायेगी। लेकिन अगर यह सीलबंद टेंडर होता तो अगर कंपनी ए 100 रूपये की बोली लगाती है तो कंपनी बी 500 रूपये की बोली लगा सकती है।’
इस अधिकारी ने कहा, ‘विवो और ओप्पो के बीच भारतीय टीम की शर्ट के प्रायोजन को लेकर ऐसा ही हुआ था। दोनों एक दूसरे की बोली की राशि नहीं जान सकीं।’ ओप्पो ने भारतीय टीम प्रायोजन करार 1079 करोड़ रूपये में हासिल किया था जबकि विवो ने 768 करोड़ रूपये की बोली लगायी थी।
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