‘Warmblood’ नस्ल के घोड़ों पर आयात शुल्क माफ करने से घुड़सवारी खेल के स्तर में सुधार होगा: EFI

Waiving off import duty on warmblood horses
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‘वॉर्मब्लड’ नस्ल के घोड़े मुख्यत: यूरोप में होते हैं और वे घुड़सवारी खेल में ड्रेसेज, शो जम्पिंग और इवेंटिंग स्पर्धा में अच्छा करने के लिये बेहद माकूल होते हैं जबकि भारतीय नस्ल ‘काठियावाड़ी’ उनकी तुलना में काफी कमतर होते हैं।

भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) के महासचिव कर्नल जयवीर सिंह का कहना है कि सरकार के ‘वॉर्मब्लड’ नस्ल के घोड़ों पर आयात शुल्क खत्म करने के फैसले से देश के एथलीट उचित मूल्य में बेहतर घोड़े खरीद सकेंगे जिससे इस खेल का स्तर सुधारने में मदद मिलेगी। ‘वॉर्मब्लड’ नस्ल के घोड़े मुख्यत: यूरोप में होते हैं और वे घुड़सवारी खेल में ड्रेसेज, शो जम्पिंग और इवेंटिंग स्पर्धा में अच्छा करने के लिये बेहद माकूल होते हैं जबकि भारतीय नस्ल ‘काठियावाड़ी’ उनकी तुलना में काफी कमतर होते हैं।

सिंह ने पीटीआई से कहा, ‘‘भारतीय नस्ल के घोड़ों को ‘काठियावाड़ी’ कहते हैं लेकिन उनकी कद काठी और मिजाज को देखते हुए वे घुड़सवारी खेल के लिये इतने अनुकूल नहीं हैं। ’’ घुड़सवारी में राइडर के लिये घोड़ा उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जैसे एक निशानेबाज के लिये राइफल और टेनिस खिलाड़ी के लिये रैकेट। ‘वॉर्मब्लड’ की कीमत 40 लाख रूपये से शुरू होती है और इसे आयात करने में आधार सीमा शुल्क 30 प्रतिशत है, एकीकृत सामान और सेवाकर 12 प्रतिशत और सामाजिक कल्याण अधिभार 10 प्रतिशत है।

इससे 40 लाख रूपये के घोड़े की कीमत वास्तव में 61 लाख रूपये पड़ेगी और अगर परिवहन लागत भी जोड़ दी जाये तो यह करीब एक करोड़ रूपये के करीब पड़ता है। सिंह के अनुसार इस छूट से घोड़े की कीमत अब 52 प्रतिशत कम हो जायेगी। ईएफआई 2020 से ‘वॉर्मब्ल्ड’ घोड़ों पर से आयात शुल्क हटाने की मांग कर रहा था और बुधवार को सरकार ने दो फरवरी 2023 से इसे माफ करने की घोषणा की। हालांकि यह छूट सालाना बजट में पांच साल के लिये मंजूर की गयी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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