विदेशी जमी पर भी दादा ने दिखाई थी 'दादागिरी', अपनी कप्तानी में बदला था क्रिकेट का रूप
टीम इंडिया के पूर्व सौरव गांगुली सबसे सफल कप्तानों की सूची में शुमार हैं। दादा ने अपने क्रिकेट कॅरियर के समय कुछ ऐसे रोमांचित फैसले लिए जिसने भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा दोनों की बदलकर रख दी।
सफल कप्तानों में शुमार दादा
टीम इंडिया के पूर्व सौरव गांगुली सबसे सफल कप्तानों की सूची में शुमार हैं। दादा ने अपने क्रिकेट कॅरियर के समय कुछ ऐसे रोमांचित फैसले लिए जिसने भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा दोनों की बदलकर रख दी। दादा ने अपनी कप्तानी में कई नामुमकिन मैचों को मुमकिन बनाया था।
इसे भी पढ़ें: BCCI चीफ गांगुली बोले, T20 बहुत महत्वपूर्ण, मैं खुद के खेल में इसके लिए बदलाव किया होता
- साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में मात दी।
- साल 2002 हुई नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को धूल चटाई।
- साल 2003 के वर्ल्ड कप में भारत ने फाइनल में जगह बनाई थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। जोहान्सबर्ग के वाडंर्स में यह मुकाबला खेला गया था।
- साल 2004 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज का ड्रॉ कराया।
- साल 2005 में पाकिस्तान जाकर उन्हीं ही जमीं पर उन्हें टेस्ट सीरीज हराया था।
कभी न भूलने वाला पल
साल 2002, जुलाई की 13 तारीख। इस दिन को भला क्रिकेट का दीवाने लोग कैसे भूल सकते हैं। इस दिन का शोर अलग तरह का सुकून देता है। 13 जुलाई के दिन नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में भारत ने इंग्लैंड को धूल चटाई थी और दादा ने अपनी टीशर्ट लहराकर जीत का जश्न मनाया था। इस दिन न सिर्फ भारत ने एक विशालकाय स्कोर (326 रनों का लक्ष्य) को हासिल किया था बल्कि इंग्लैंड को यह बता दिया था कि हम किसी से कम नहीं...
इसे भी पढ़ें: सौरव गांगुली के भाई स्नेहाशीष ने कोरोना पॉजिटिव की खबरों को बताया बेबुनियाद, कहा- रोज़ जाता हूं ऑफिस
जब दादा ने संभाली कप्तानी
साल 2000 में गॉड ऑफ क्रिकेट माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया। जिसके बाद चयनसमिति ने कप्तानी का जिम्मा सौरव गांगुली को सौंपा था। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने न सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी तिरंगे का कद ऊंचा किया था।
1983 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारत दूसरे वर्ल्ड कप की ख्वाहिश लिए खेलता रहा लेकिन हासिल नहीं कर पाया। फिर 2003 में खेले गए विश्व कप में दादा की कप्तानी में टीम ने फाइनल मुकाबला खेला मगर ऑस्ट्रेलिया से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2011 में खेले गए वर्ल्ड कप पर टीम इंडिया ने कब्जा कर लिया था।
इसे भी पढ़ें: सौरव गांगुली ने बताया भारत का तेज गेंदबाजी में मजबूत होने का कारण
दादा ने 49 टेस्ट और 147 एकदिवसीय मुकाबलों में भारत की कप्तानी की है और दादा का रिकॉर्ड भी शानदार रहा। सौरव ने अपनी कप्तानी में भारत को 21 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज कराई थी। वहीं एकदिवसीय मुकाबलों में दादा को 31 बार मैन ऑफ द मैच चुना गया है। दादा के नाम ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड दर्ज है जिन्हें एक जगह पर पिरोया नहीं जा सकता है।
युवा खिलाड़ियों पर जताया विश्वास
सौरव गांगुली ने हमेशा ही युवा खिलाड़ियों पर विश्वास जताया है और खिलाड़ियों ने भी कभी उन्हें निराश नहीं किया। दादा ने वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी जैसे खिलाड़ियों को तवज्जो दी और उन्हें काफी बैक किया था। धोनी को टीम में शामिल करने का बड़ा श्रेय भी दादा को ही जाता है।
On his birthday, relive Sourav Ganguly's stunning 141* against South Africa in the semi-final of the ICC KnockOut Trophy 2000 🎉 pic.twitter.com/BK53IPuXpJ
— ICC (@ICC) July 8, 2020
अन्य न्यूज़