टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के दिन ही वनडे चैंपियन बना था भारत
जार्डिन ने उस मैच में 79 और 85 रन की पारियां खेली थी और भारत 158 रन से हार गया था। दूसरी तरफ कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम पहली बार जब विश्व कप फाइनल खेलने के लिये उतरी थी तो किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह चैंपियन बन पाएगी।
भारतीय टीम जब 183 रन पर आउट हो गयी तो यह विश्वास और पक्का हो गया लेकिन भारत के मध्यम गति के गेंदबाजों के सामने वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर आउट हो गयी। अगर अपने पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम 189 और 187 रन पर आउट हो गयी थी तो अपने पहले वनडे विश्व कप फाइनल में भी 183 रन से आगे नहीं बढ़ पायी थी। कपिल ने वेस्टइंडीज की पारी शुरू होने से पहले अपने साथियों से कहा था, ‘‘मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि अगले तीन घंटों का पूरा आनंद लो। अगर हमने अगले तीन घंटों में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया तो ये यादें ताउम्र हमसे जुड़ी रहेंगी। ’’ और फिर ऐसा ही हुआ। जिस तरह से मोहम्मद निसार ने 51 साल पहले हरबर्ट सटक्लिफ को दो रन पर बोल्ड करके भारत को शानदार शुरुआत दिलायी उसी तरह से बलविंदर सिंह संधू ने गोर्डन ग्रीनिज (एक) की गिल्लियां बिखेरकर भारतीयों में जोश भर दिया था। सीके नायडू की टीम अनुभवहीन थी लेकिन कपिल की टीम में पूरा जोश भरा था।📅 #OnThisDay in 1983, 📍 Lord's - History created! #TeamIndia led by @therealkapildev won the World Cup after beating the mighty West Indies 🏆#TeamIndia 🇮🇳 pic.twitter.com/fKfhICVs5R
— BCCI (@BCCI) June 25, 2020
इसे भी पढ़ें: ICC बैन पर बोले शाकिब अल हसन, ‘बेवकूफाना गलती’ के कारण लगा प्रतिबंध
कपिल ने विवियन रिचर्ड्स का मुश्किल कैच लेकर इस जोश को दोगुना कर दिया था। रिचर्ड्स ने बाद में एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मैं पूरे यकीन के साथ यह कह सकता हूं कि कपिल देव को छोड़कर कोई भी अन्य उस कैच को नहीं लपक सकता था। वह बेहतरीन खिलाड़ी था जिसने भारतीय क्रिकेट को बदल दिया था। ’’ रिचर्डस ने तब 28 गेंदों पर सात चौकों की मदद से 33 रन बनाये थे और इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वह जीत को कितना आसान बनाने वाले थे। तभी रिचर्ड्स ने मदनलाल की गेंद मिडविकेट के ऊपर हवा में खेली। कपिल ने मिडऑन से पीछे की तरफ भागकर उसे कैच में बदल दिया और यहीं से मैच का रुख भी बदल गया। अगर सीके नायडू की टीम ने 25 जून 1932 को इंग्लैंड के शीर्ष क्रम (एक समय तीन विकेट पर 19 रन) को लड़खड़ाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जीवंत उपस्थिति दर्ज करायी थी तो कपिल देव के जांबाजों ने 1983 में भारत के विश्व क्रिकेट पर राज करने की नींव रखी थी।
अन्य न्यूज़