भारतीय टेंट पेगिंग टीम के राइडरों ने कहा, परिस्थितियों में अचानक बदलाव के कारण स्वर्ण से चूक गए

Tent Pegging World Cup
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कार्लेकर ने कहा, ‘‘हालात में बदलाव के कारण मेरा प्रदर्शन प्रभावित हुआ लेकिन कुल मिलाकर हम सभी के लिए यह अच्छा अनुभव रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले दिन मुझे बहुत छोटा घोड़ा मिला था लेकिन दूसरे दिन जब घोड़ा बदला गया तो मैंने काफी अंक जुटाए। सर्वश्रेष्ठ टीम के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करना और उन्हें कड़ी चुनौती देना शानदार रहा।

भारतीय राइडरों के लिए दक्षिण अफ्रीका में टेंट पेगिंग विश्व कप में पहली बार कांस्य पदक जीतना एतिहासिक उपलब्धि थी लेकिन पदक का जश्न मनाने की जगह भारतीय घुड़सवार अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे। भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता लेकिन वह स्वर्ण पदक जीतने की दौड़ में शामिल थी। भारतीय टीम में नौसेना के मोहित कुमार, असम राइफल्स के दिनेश कार्लेकर, एएससी के हवलदार गौतम अट्टा, 61वें कैवेलरी के दफादार मोहम्मद अबरार और आईटीबीपी के डॉ. अमित छेत्री शामिल थे। भारतीय टीम के पास अंतिम दिन स्वर्ण पदक जीतने का मौका था लेकिन कुछ देर की बारिश और तेज हवाओं ने परिस्थितियों को बदल दिया जिसका टीम को नुकसान हुआ।

भारतीय टीम अंतत: स्वर्ण पदक विजेता सऊदी अरब से 12 और रजत पदक विजेता पाकिस्तान से चार अंक पीछे रही। सऊदी अरब और पाकिस्तान की बारी जब आई तो बारिश और हवा दोनों रुक चुकी थी। भारतीय राइडरों ने प्रतियोगिता के दूसरे और तीसरे दिन दो कांस्य पदक भी जीते। भारतीय कोच सतिंदर सिंह सोलंकी ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए संतोषजनक प्रदर्शन है लेकिन टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक हमारा था। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि भारतीय टीम अंतिम तीन प्रयास में पेग से चूक गई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राइडरों की आंखों में आंसू थे। मुझे उन्हें सांत्वना देनी पड़ी। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि परिस्थितियों के कारण उनसे पदक छिन गया।’’

सोलंकी ने कहा, ‘‘आयोजक बारिश के कारण प्रतियोगिता को रोकना चाहते थे लेकिन हम चाहते थे कि स्वर्ण पदक के लिए चुनौती पेश करें इसलिए हम मैदान पर उतरे। यह भी काफी संतोषजनक है कि क्वालीफायर में 470 अंक बनाने के बाद हम फाइनल में 560 अंक बनाने में सफल रहे, लगभग 100 अंक का इजाफा छोटी उपलब्धि नहीं है।’’ पिछले दो विश्व कप में भारतीय टीम छठे और सातवें स्थान पर रही। सीनियर राइडर कार्लेकर प्रिटोरिया के जॉर्ज में हुए विश्व कप में चौथे सर्वश्रेष्ठ राइडर रहे। कार्लेकर अपने करियर में बमुश्किल तलवार से नींबू काटने (टेंट पेंगिंग स्पर्धा का एक हिस्सा) से चूके हैं लेकिन मुश्किल परिस्थितियों में वह ऐसा नहीं कर पाए जिससे टीम का प्रदर्शन प्रभावित हुआ।

कार्लेकर ने कहा, ‘‘हालात में बदलाव के कारण मेरा प्रदर्शन प्रभावित हुआ लेकिन कुल मिलाकर हम सभी के लिए यह अच्छा अनुभव रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले दिन मुझे बहुत छोटा घोड़ा मिला था लेकिन दूसरे दिन जब घोड़ा बदला गया तो मैंने काफी अंक जुटाए। सर्वश्रेष्ठ टीम के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करना और उन्हें कड़ी चुनौती देना शानदार रहा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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