जौहरी मामला: सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर चिंतित
कुंबले की जगह रवि शास्त्री ने ली जो कोहली की पसंद थे। गांगुली ने कहा, ‘‘समितियों में लिये गये फैसले अपमानजनक तरीके से पलट दिये जाते हैं। कोच चयन के मामले में मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा।
कोलकाता। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने मंगलवार को कहा कि बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले पर अपनाये गये ढीले रवैये और कुछ अन्य प्रमुख मसलों को देखते हुए वह भारतीय क्रिकेट प्रशासन के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अब बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष गांगुली ने कहा कि भारतीय क्रिकेट खतरे में हैं और वह नहीं जानते कि चीजें किस तरह आगे बढ़ रही हैं।
Former cricketer and Cricket Association of Bengal (CAB) President Sourav Ganguly writes to BCCI Acting President CK Khanna, Secretary Amitabh Chaudhary and Treasurer Anirudh Chaudhry over Committee of Administrators (CoA) and sexual harassment allegations against Rahul Johri. pic.twitter.com/iAh8o7ECXz
— ANI (@ANI) October 30, 2018
गांगुली ने बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी को संबोधित कड़े पत्र में लिखा है, ‘‘मैं नहीं जानता कि इनमें (जौहरी के खिलाफ लगे आरोपों) कितनी सच्चाई है लेकिन उत्पीड़न की हाल की रिपोर्टों से वास्तव में बीसीसीआई की छवि धूमिल हुई है, विशेषकर जिस तरह से इस मामले से निबटा गया।’’ उन्होंने लिखा है, ‘‘मैं आप सभी को यह पत्र इस गहरी चिंता के साथ लिख रहा हूं कि आखिर भारतीय क्रिकेट प्रशासन किधर जा रहा है।’’
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जौहरी पर क्या है आरोप
जौहरी पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये एक अज्ञात ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। उनके खिलाफ जांच के लिये प्रशासकों की समिति (सीओए) ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। दो सदस्यीय सीओए में चेयरमैन विनोद राय और डायना एडुल्जी शामिल हैं और इस मामले में वे एकमत नहीं हैं। एडुल्जी चाहती हैं कि जौहरी को जांच लंबित रहने तक बर्खास्त या निलंबित किया जाए जबकि राय पहले जांच रिपोर्ट चाहते हैं और उनकी बर्खास्तगी की राह में खड़े हैं।
भारतीय क्रिकेट अपनी साख गंवा रहा
भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गांगुली ने भी राय और एडुल्जी के बीच मतभेदों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट अपनी साख गंवा रहा है। गांगुली ने लिखा है, ‘‘मैं गहरी चिंता के साथ (मैंने चिंता शब्द का उपयोग किया है) यह कहना चाहता हूं कि पिछले दो वर्षों में जिस तरह से चीजें आगे बढ़ी है उससे विश्व में भारतीय क्रिकेट का दबदबा और लाखों प्रशसंकों का प्यार और विश्वास कम हुआ है।’’
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उन्होंने सत्र के बीच में खेल से संबंधी नियमों में बदलाव के संदर्भ में कहा, ‘‘सीओए की संख्या चार से घटकर दो रह गयी है और अब लगता है कि ये दो भी बंटे हुए हैं। सत्र के बीच में ही क्रिकेट से जुड़े नियम बदल दिये जाते हैं जैसा कि पहले कभी नहीं हुआ था। ’’ सीओए ने हाल में सरकारी कर्मचारियों की संतानों के लिये एक साल के नियम में नरमी बरती है ताकि उन्हें स्थानीय खिलाड़ी माना जा सके।
कुंबले-शास्त्री विवाद को भी किया याद
तकनीकी समिति के भी अध्यक्ष गांगुली ने राष्ट्रीय पुरुष टीम के लिये कोच चयन प्रक्रिया के अपने बुरे अनुभव को भी याद किया। गांगुली उस सलाहकार समिति का हिस्सा थे जिसने कोच पद के लिये अनिल कुंबले के नाम की सिफारिश की थी जिन्होंने कप्तान विराट कोहली से मतभेदों के कारण अपना पद छोड़ दिया था। कुंबले की जगह रवि शास्त्री ने ली जो कोहली की पसंद थे। गांगुली ने कहा, ‘‘समितियों में लिये गये फैसले अपमानजनक तरीके से पलट दिये जाते हैं। कोच चयन के मामले में मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा। (इस बारे में जितना कम कहा जाए, बेहतर है।)
उन्होंने कहा, ‘‘बोर्ड की गतिविधियों से जुड़े मामलों में शामिल रहे मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा कि उन्हें किसके पास जाना चाहिए। मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मुझे यह पूछना पड़ा कि किसी खास संघ से अंतरराष्ट्रीय मैच के लिये मुझे किसे आमंत्रित करना चाहिए क्योंकि मैं नहीं जानता था कि क्या चल रहा है।’’ गांगुली ने कहा कि भारतीय क्रिकेट को कुछ बेहतरीन प्रशासकों और महान क्रिकेटरों ने कड़ी मेहनत से खड़ा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में मुझे लगता है कि यह खतरे में है। उम्मीद है कि लोग सुन रहे होंगे।’’
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