चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के विरुद्ध भी देशों को एकजुट करें प्रधानमंत्री: संसदीय समिति

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[email protected] । Jan 25 2020 12:10PM

इंटेरनेट के ज़रिए अश्लीलता ख़ासकर, सोशल मीडिया पर ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी’ के व्यापक प्रसार की समस्या से निपटने के लिए राज्यसभा सदस्यों की एक समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की तर्ज़ पर बाल पोर्नोग्राफ़ी के खिलाफ भी विभिन्न देशों को एकजुट करने का अनुरोध किया है।

नयी दिल्ली। इंटेरनेट के ज़रिए अश्लीलता ख़ासकर, सोशल मीडिया पर ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी’ के व्यापक प्रसार की समस्या से निपटने के लिए राज्यसभा सदस्यों की एक समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की तर्ज़ पर बाल पोर्नोग्राफ़ी के खिलाफ भी विभिन्न देशों को एकजुट करने का अनुरोध किया है। राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्य जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली उच्च सदन की तदर्थ समिति ने शनिवार को सभापति एम वेंकैया नायडू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। 

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राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार समिति ने कहा कि प्रधानमंत्री को चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी की समस्या पर संज्ञान लेते हुए अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी इस विषय को शामिल कर यह बताना चाहिए कि इससे निपटने के लिए क्या क्या उपाय किए जा सकते हैं। समिति ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि जिस प्रकार से उन्होंने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक पहल करते हुए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का गठन किया है, ठीक वैसे ही चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के संकट से निपटने के लिए भी उन्हें ‘वैश्विक राजनीतिक गठजोड़’ बनाने के लिए पहल करनी चाहिए। 

समिति ने सुझाव दिया है कि प्रधानमंत्री इस दिशा में जी-20 या संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कारगर पहल कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के पिछले साल 250वें सत्र के दौरान उच्च सदन में अन्नाद्रमुक की सदस्य एस विजिला सत्यनाथन ने इंटेरनेट, ख़ासकर सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री की बच्चों तक आसान पहुँच का मुद्दा उठाया था। इस पर समूचे सदन ने एक स्वर से गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सभापति के माध्यम से सरकार से कारगर क़दम उठाने की माँग की थी। सभापति ने इस समस्या से निपटने के उपाय सुझाने के लिए रमेश की अगुवाई में 14 सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन कर एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा था। 

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समिति ने इस विषय पर तीन बैठकें कर विस्तार से चर्चा के बाद रिपोर्ट में सिफ़ारिश की है कि सरकार को यौन अपराधों से बच्चों को बचाने वाले पोक्सो क़ानून, सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून और भारतीय दंड संहिता में माक़ूल बदलाव करने की तत्काल पहल करना चाहिए। साथ ही राज्य सरकारों को भी सिफ़ारिश की है कि वे राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस समस्या से निपटने के लिए सजगता से कार्रवाई करने में सक्षम बनायें।

समिति ने ट्विटर और फ़ेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म तथा संबद्ध पक्षकारों से विचारविमर्श के बाद पोक्सो क़ानून में चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी की परिभाषा को व्यापक बनाने और इसकी आनलाइन निगरानी के तंत्र को मजबूत बनाने के तकनीकी सुझाव भी दिए हैं। इनमे भारत में उपलब्ध सभी संचार उपकरणों में ऐसे एप्लिकेशन को अनिवार्य बनाने को कहा है जिसकी मदद से बच्चों तक अश्लील सामग्री की पहुँच पर अभिभावक सतत निगरानी रख सकें। समिति ने आनलाइन फ़िल्म प्रसारण करने वाले नेटफ़्लिक्स और ट्विटर एवं फ़ेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म को वयस्कों के लिए प्रसारित होने वाली सामग्री का अलग स्थान सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया है ताकि बच्चों तक इसकी पहुंच न हो।

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