इस जीत ने मुझे बताया कि सपने देखना मत छोड़ो: रोहन बोपन्ना

[email protected] । Jun 14 2017 5:59PM

पहली ग्रैंड स्लैम खिताबी जीत दर्ज करने वाले रोहन बोपन्ना ने कहा कि फ्रेंच ओपन में उनकी मिश्रित युगल खिताबी जीत ने उनका यह भरोसा मजबूत कर दिया है कि किसी को सपने देखना नहीं छोड़ना चाहिए।

नयी दिल्ली। पहली ग्रैंड स्लैम खिताबी जीत दर्ज करने वाले रोहन बोपन्ना ने कहा कि फ्रेंच ओपन में उनकी मिश्रित युगल खिताबी जीत ने उनका यह भरोसा मजबूत कर दिया है कि किसी को सपने देखना नहीं छोड़ना चाहिए। बोपन्ना को पेशेवर बनने के बाद ग्रैंडस्लैम टाफी जीतने के लिए 14 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा, उन्होंने गैब्रिएला दाब्रोवस्की के साथ फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल अपने नाम किया। इस 37 वर्षीय ने कहा कि इंतजार करना अच्छा रहा।ऐसा नहीं है कि हार और मुश्किल दौर ही सीख देता है बल्कि कभी कभार कई जीतें भी कुछ चीजों का संकेत देती हैं।बोपन्ना ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी हैं, उन्होंने खेल मंत्री विजय गोयल से मुलाकात करने के बाद कहा, 'कभी सपने देखना मत छोड़ो। यही चीज है जो आपको आगे बढाती है।' इस 16 एटीपी खिताब जीतने वाले खिलाड़ी ने बोपन्ना ने भारत को डेविस कप में एकल में कुछ यादगार जीत दिलायी हैं। उन्होंने कहा, 'उम्र तो केवल एक नंबर है। आप उपलब्धियों के लिये समयसीमा निर्धारित नहीं कर सकते। जब तक आपका खुद पर भरोसा है और आप कड़ी मेहनत जारी रखते हो, तो कोई भी चीज आपको नहीं रोक सकती। मैंने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना जारी रखा, हर दिन, मैं खुश हूं कि मेरी टीम ने भी काफी प्रयास किये। टेनिस हालांकि व्यक्तिगत खेल है, लेकिन सभी ने इसमें योगदान दिया।'

मिश्रित युगल केवल ग्रैंडस्लैम में ही खेले जाते हैं और यहां तक कि इन्हें खास तवज्जों नहीं दी जाती। लेकिन बोपन्ना ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन माना कि एकल चैम्पियन बनने के लिये भारत में कई चीजें बदलने की जरूरत है। बोपन्ना ने कहा, 'एकल चैम्पियन बनाने के लिये हमें जमींनी स्तर पर चीजें सही करने की जरूरत है। हमारे पास महासंघ (आईटीए) से या कारपोरेट जगत से बहुत सीमित समर्थन मिलता है। हमें यूरोपीय मानकों के अनुरूप भाग लेने के लिए एक प्रणाली की जरूरत होती है। हमें अभी बहुत दूर जाना है।' इसलिये एकल नहीं, केवल युगल चैम्पियन बनाने की शिकायतें नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह शिकायत की बात नहीं है।हमें इसे सकारात्मक रूप में देखना चाहिए। एक खिलाड़ी की प्रगति में हर कोई महासंघ, माता पिता, कोच अपनी भूमिका निभाते हैं। खिलाड़ियों को जूनियर स्तर से समर्थन की जरूरत होती है, तभी आप चैम्पियन बना सकते हो।'

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