कोच गोपीचंद बोले- दूसरी श्रेणी के कोच हमें दूसरी श्रेणी का खिलाड़ी ही बनाएंगे, सर्वश्रेष्ठ नहीं

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पुलेला गोपीचंद ने कहा, दूसरी श्रेणी के कोच हमें दूसरी श्रेणी का खिलाड़ी ही बनाएंगे। उन्होंने कहा, विदेशी कोच हमारे विकास के लिये बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे पास विदेशी प्रशिक्षकों का अच्छा मि​श्रण रहे।

नयी दिल्ली। पुलेला गोपीचंद का मानना है कि विदेशी और भारतीय प्रशिक्षकों का अच्छा मि​श्रण देश में खेल व्यवस्था के विकास के लिये महत्वपूर्ण है लेकिन उनका मानना है कि दूसरी श्रेणी के विदेशी कोच केवल दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी तैयार करेंगे। राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच गोपीचंद ने कोच शिक्षा कार्यक्रम का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए भारतीय खेलों में प्रशिक्षकों के महत्व पर बात की। उन्होंने कहा, विदेशी कोच हमारे विकास के लिये बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे पास विदेशी प्रशिक्षकों का अच्छा मि​श्रण रहे।

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गोपीचंद ने कहा, खेलों में जब हमारे पास विशेषज्ञता नहीं होती है तब शुरू में कुछ समय के लिये पूर्णकालिक विदेशी सहयोगी टीम में रखना अच्छा है लेकिन यदि हम निरंतर उन्हें बनाये रखते हैं तो फिर हम अपनी व्यवस्था के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उनसे सीखें। हमें धीरे धीरे उनसे दूरी बढ़ानी होगी क्योंकि वे हमेशा दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी ही तैयार कर पाएंगे, सर्वश्रेष्ठ नहीं। द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता गोपीचंद का मानना है कि पूर्व खिलाड़ियों को कोच बनाने के लिये कोई कार्यक्रम होना चाहिए। उन्होंने कहा, हम कभी सर्वश्रेष्ठ विदेशी कोच की सेवाएं प्राप्त नहीं कर पाएंगे। हमें हमेशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ कोच ही मिलेगा तथा एक भारतीय कोच निश्चित तौर पर इसकी अधिक चाहत रखेगा कि भारत जीते बजाय उस कोच के जो अपना अगला अनुबंध चाहता है।

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गोपीचंद ने कहा, इसलिए जिन खेलों में हम लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और जिनमें हम अच्छे खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं, उनमें ऐसे कार्यक्रम का होना महत्वपूर्ण है जिसमें खिलाड़ियों को कोच बनाया जा सके। खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों की मानसिकता है कि उन्हें पदक जीतने के लिये विदेशी प्रशिक्षकों की जरूरत है। उन्होंने कहा, जब भी मैं खिलाड़ियों से मिलता हूं वे मुझसे कहते है।, हमें पदक जीतने के लिये विदेशी कोच की जरूरत है। इसका मतलब यह नहीं है कि वे भारतीय प्रशिक्षकों में विश्वास नहीं रखते, लेकिन उन्हें यह लगता है कि वे विदेशी कोच के होने से ही पदक जीत सकते हैं। खेल मंत्री ने देश में अपनायी जा रही अस्थायी कोचिंग प्रणाली को भी बदलने की अपील की। उन्होंने कहा, भारत में हमारा कोचिंग के प्रति पेशेवर नजरिया नहीं है। अभी तक तात्कालिक खेल प्रतियोगिताओं को देखते हुए अस्थायी व्यवस्था की जाती रही है। रीजीजू ने कहा, हम​ किसी नियत समय या किसी टूर्नामेंट के लिये कोच रखते हैं। हमारे पास ऐसी व्यवस्था नहीं है कि जिसमें हम कह सकें कि विदेशों के खिलाड़ी भी भारत में कोचिंग के ​लिये आ सकते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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