WBO चैम्पियन बनने के लिये विजेंदर को भूलने पड़े कुछ गुर
अपने अपराजेय सफर में विजेंदर सिंह को अपने अमैच्योर दिनों के कुछ गुर भुलाने पड़े जिसका खुलासा उसके ब्रिटिश ट्रेनर ली बीयर्ड ने किया जिन्होंने उससे जिम में काफी मेहनत कराई ताकि वह रिंग पर उस ऊर्जा का इस्तेमाल कर सके।
नयी दिल्ली। डब्ल्यूबीओ एशिया पेसीफिक खिताब तक के अपने अपराजेय सफर में विजेंदर सिंह को अपने अमैच्योर दिनों के कुछ गुर भुलाने पड़े जिसका खुलासा उसके ब्रिटिश ट्रेनर ली बीयर्ड ने किया जिन्होंने उससे जिम में काफी मेहनत कराई ताकि वह रिंग पर उस ऊर्जा का इस्तेमाल कर सके। बीयर्ड ने कहा, ''अमैच्योर दिनों का उसका अनुभव काफी काम आया क्योंकि वह विश्व चैम्पियनशिप और ओलंपिक में जीत चुका था। उसके पेशेवर बनने से पहले उसे दबाव झेलना आता था। मेरे पास आने से पहले वह काफी चतुर और दक्ष था। मैने उसकी मदद की और उसे अलग तरीके से सोचने के लिये प्रेरित किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैने उसे दमदार पंच लगाने का अभ्यास कराया। अमैच्योर दिनों में उसे रिंग में दौड़ने की आदत थी जिससे उसका फुटवर्क उसे धीमा कर देता था। उसे इस फुटवर्क को भुलाना पड़ा।’’ उन्होंने कहा कि विजेंदर के डिफेंस पर भी उन्होंने काफी मेहनत की। उन्होंने कहा, ''अब उसकी लय बेहतर हुई है और डिफेंस भी। अब रिंग में उसे चुनौती देना आसान नहीं है क्योंकि उसका डिफेंस काफी बेहतर है। वह अधिक संयमित हुआ है और मुकाबले पर उसका दबदबा भी बेहतर हुआ है।’’ बीयर्ड ने कहा, ''मैने उसे ऊर्जा के बारे में जानकारी दी क्योंकि ओलंपिक में सिर्फ तीन दौर होने से रफ्तार काफी तेज होती है। वहीं पेशेवर मुक्केबाजी में थोड़ा धीमा होना पड़ता है।''
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