विराट तकनीक से समझौता किये बिना खेलता है: तेंदुलकर

[email protected] । May 27 2016 6:03PM

सचिन तेंदुलकर को लगता है कि विराट कोहली की सफलता का राज सीधे बल्ले से खेलना और अपनी तकनीक से समझौता किये बिना तीनों प्रारूपों के लिये अपनी रणनीति तैयार करना है।

दुबई। महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को लगता है कि भारत के मौजूदा नंबर एक बल्लेबाज विराट कोहली की सफलता का राज सीधे बल्ले से खेलना और अपनी तकनीक से समझौता किये बिना तीनों प्रारूपों में के लिये अपनी रणनीति तैयार करना है। तेंदुलकर ने ‘गल्फ न्यूज’ को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘विराट सीधे बल्ले से खेलता है और कुछ अच्छे क्रिकेट शाट खेलकर रन बनाता है। वह एक विशिष्ट प्रतिभा का धनी है और वह अपने खेल पर काफी मेहनत करता है। उसका अनुशासन और प्रतिबद्धता अनुकरणीय है। वह अपनी तकनीक से समझौता किये बिना खेलता है। इसके साथ ही वह मानसिक रूप से बहुत मजबूत है और दबाव के हालात का अच्छी तरह सामना करता है।’’ तेंदुलकर ने इंडियन प्रीमियर लीग में क्रिकेट के स्तर की काफी तारीफ की और उनका मानना है कि हालिया समय में इसका स्तर ऊंचा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘आईपीएल में प्रतिस्पर्धा का स्तर लगातार बढ़ रहा है। हमने पिछले दो सत्र में देखा कि पूल के अंतिम मैच से अंतिम तालिका और नाकआउट चरण की टीमों का पता चला। यह अच्छा टूर्नामेंट है जिसमें शुरू से लेकर आखिर तक दिलचस्पी का स्तर बरकरार रहता है।’’ टी20 मनोरंजन का खेल है जिसमें दर्शक चौके और छक्के लगते देखना चाहते हैं और तेंदुलकर को लगता है कि टेस्ट क्रिकेट में गेंदबाजों के लिये भी कुछ होना चाहिए।

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि टेस्ट क्रिकेट का क्रिकेट में अपना विशिष्ट मुकाम है। मुझे यह भी लगता है कि इस प्रारूप को गेंदबाजों के मुफीद होना चाहिए। अन्य प्रारूप ज्यादातर बल्लेबाजों के लिये फायदेमंद होते जा रहे हैं इसलिये टेस्ट क्रिकेट को संतुलन बनाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें दिन-रात्रि टेस्ट क्रिकेट के विचार से कोई आपत्ति नहीं है और उन्हें लगता है कि इससे खेल के इस प्रारूप को दर्शकों के लिये आकषर्क बनाया जा सकता है। इस 43 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा, ‘‘टेस्ट क्रिकेट किसी भी क्रिकेटर के लिये चुनौती बना रहेगा। इसे टेस्ट बिलकुल उचित पुकारा जाता है क्योंकि इस प्रारूप में आपके कौशल, धर्य, क्षमता और सहनशक्ति की परीक्षा होती है। इसे दर्शकों के लिये रोमांचकारी बनाने के लिये बदलाव पर विचार किया जाना चाहिए।’’ एलिस्टर कुक 10,000 टेस्ट रन क्लब से जुड़ने के लिये तैयार हैं, जिसके तेंदुलकर सदस्य हैं। यह पूछने पर कि यह उपलब्धि को हासिल करने के लिये क्या चाहिए होता है तो तेंदुलकर ने कहा, ‘‘हर बार नये सिरे से शुरूआत करना और नये मैच के लिये तैयारी करते रहना महत्वपूर्ण है। आपने पिछले मैच में भले ही शतक जड़ा हो लेकिन यह बीती बात है। आपको अपनी कमजोरी पर काम करने की जरूरत होती है क्योंकि गेंदबाज, कोच और सहयोगी स्टाफ हमेशा आपकी बल्लेबाजी का आकलन करते रहते हैं। कड़ी मेहनत और अनुशासन का कोई और विकल्प नहीं है।'

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