मैरीकॉम के नाम रहा साल 2018, विश्व चैम्पियनशिप का खिताब किया था अपने नाम
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आईओसी) ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) के प्रशासकों की अलोचना की है जिससे इस खेल के ओलंपिक में बने रहने पर संदेह है।
नयी दिल्ली। पिछले दो दशक से भारतीय मुक्केबाजी का प्रयाय रही एम सी मेरीकोम के लिए यह वर्ष शानदार रहा जहां उन्होंने उम्र की बाधा को पार करते हुए इस साल विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपना नाम किया जिनके अलावा अमित पंघाल और गौरव सोलंकी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दमदार प्रदर्शन किया। तीन बच्चों की मां 36 बरस की मेरीकोम का यह विश्व चैम्पियनशिप में सातवां पदक था और वह टूर्नामेंट के दस सत्र के इतिहास में सबसे सफल मुक्केबाज बनी। उनका अगला लक्ष्य 2020 ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आईओसी) ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) के प्रशासकों की अलोचना की है जिससे इस खेल के ओलंपिक में बने रहने पर संदेह है। एआईबीए के अध्यक्ष गाफूर राखिमोव पर कथित रूप से आपराधिक मामले को लेकर आईओसी का रवैया काफी सख्त है। भारतीय मुक्केबाजी टीम के हाई परफोरमेंस निदेशक सांटियागो निएवा ने कहा, ‘मेरीकाम शानदार हैं। दूसरे शब्दों में उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती। उस स्तर पर प्रदर्शन करना, अपने से युवा खिलाड़ियों को हराना अद्भुत है।’ मेरीकोम के अलावा अमित (49 किग्रा) ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया जहां फाइनल में उन्होंने ओलंपिक चैम्पियन हसनबॉय दुस्मातोव को हराया।
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अमित ने इसके अलावा राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक अपने नाम किया। गौरव सोलंकी (52 किग्रा) इस खेल के नये सितारे के रूप में उभरे, उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर सबको चौंका दिया। उन्होंने जर्मनी में खेले गये कैमेस्ट्री कप में भी पीला तमगा हासिल किया। इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक के साथ साल की शुरूआत करने वाली मेरीकाम ने साल का समापन (विश्व चैम्पियनशिप) भी इसी रंग के पदक के साथ किया। इसके बीच में उन्होंने बुल्गारिया में हुए यूरोपीय टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल किया। उनके प्रदर्शन के अलावा महिला मुक्केबाजी में भारत के यह साल निराशाजनक रहा। मेरीकाम बड़े टूर्नामेंटों में स्वर्ण पदक जीतने वाली इकलौती खिलाड़ी रही। टीम उनके बिना एशियाई खेलों के लिए जकार्ता गयी लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा।
उनका सपना 2020 ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का है, जहां वह अपने पसंदीदा 48 किग्रा भारवर्ग की जगह 51 किग्रा भारवर्ग में खेलेंगी। लंदन ओलंपिक (2012) में इस भारवर्ग में कांस्य जीतने वाली मेरीकाम के लिए अगले साल होने वाले क्वालीफायर्स में यह देखना दिलचस्प होगा की वह खुद को इस चुनौती के लिए कैसे तैयार करती हैं। पुरूषों में भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में आठ पदक जीते। गौरव और विकास कृष्ण (75 किग्रा) का स्वर्ण अपने नाम किया। टीम हालांकि एशियाई खेलों में इस प्रदर्शन को दोहरा नहीं सकी और सिर्फ दो पदक ही जीत सकी। अमित के स्वर्ण के साथ विकास के कांस्य ने देश की लाज बचायी।
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इस साल टीम चयन के लिए नयी नीति की शुरूआत हुई जिसमें ट्रायल्स की जगह अंक प्रणाली को अपनाया गया। ट्रायल्स का आयोजन सिर्फ उन भार वर्गों में हुआ जिसमें अंकों का अंतर काफी कम था। पेशेवर सर्किट में विजेंदर सिंह ने महान बॉब अरुम से करार किया और वह अगले साल अमेरिका में पदार्पण करेंगे। लंबे समय से रिंग से दूर विजेंदर इससे पहले भारत और इंग्लैंड में एक भी मुकाबला नहीं हारे हैं।
With a total 66 medals (including 26 gold 🥇) #India secured third place at the #CWG2018 #GoldCoast #Australia. The games proved a big moral booster for the players as this was our best performance in these games since 2010, when India was a host nation of CWG.#GlorySports2018 pic.twitter.com/zVzTMe9rNe
— Dept of Sports MYAS (@IndiaSports) December 18, 2018
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