ड्रा नहीं बल्कि दबाव में जीतना मायने रखता है: गोपीचंद
बैडमिंटन कोच गोपीचंद ने कहा कि पांच अगस्त से शुरू होने वाले रियो ओलंपिक में पदक जीतने के लिये खिलाड़ियों को दबाव में लगातार दो मैच अपने नाम करने होंगे।
नयी दिल्ली। भारत के मुख्य बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि अगर शटलर सचमुच पदक जीतने पर नजर लगाये हैं तो ड्रा मायने नहीं रखता और उन्होंने कहा कि पांच अगस्त से शुरू होने वाले रियो ओलंपिक में पदक जीतने के लिये खिलाड़ियों को दबाव में लगातार दो मैच अपने नाम करने होंगे। कुल सात भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया है जिसमें लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी साइना नेहवाल भी शामिल हैं। इन खिलाड़ियों के प्रतिद्वंद्वी का फैसला 26 जुलाई को होने वाले ड्रा से तय होगा। गोपीचंद ने ग्रेटर नोएडा में अपनी अंतरराष्ट्रीय अकादमी लांच करने के मौके पर पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ड्रा मायने नहीं रखता, अगर आप सचमुच पदक पर निगाह लगाये हो। आपके भले ही शुरू में या फिर क्वार्टरफाइनल राउंड खराब जा सकते हैं। इसलिये मैं इस बारे में चिंतित नहीं हूं। मैं जानता हूं कि तैयारियां काफी अच्छी चल रही हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार हमारा काफी बड़ा दल है। हमारे पुरूष युगल शटलरों ने भी महिला युगल खिलाड़ियों के साथ क्वालीफाई किया है। हमारे पास साइना है जिसने लंदन में पदक जीता था जो काफी अनुभवी खिलाड़ी है। हमारे पास के श्रीकांत और पीवी सिंधू हैं जिनके पास भी मौका है। मेरा मानना है कि ओलंपिक में होने वाले दबाव में लगातार दो अच्छे मैच जीतकर ऐसा हो सकता है क्योंकि कुछ भी संभव है।’’ साइना और ज्वाला गुट्टा-अश्विनी पोनप्पा की महिला युगल जोड़ी लंदन ओलंपिक में खेल चुकी है लेकिन श्रीकांत, सिंधू और मनु अत्री-बी सुमित रेड्डी की पुरूष युगल जोड़ी के लिये यह पहला अनुभव होगा।
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