डिजिटल पेमेंट कर दी पर पहुँची नहीं? तब यह करें

बड़े-बड़े बैनर्स/ ब्रांड्स अपनी सोशल इमेज को लेकर ज्यादा सतर्क होते हैं तो ऐसे में आप कंपनी या बैंक के सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट कर तुरंत समाधान ले सकते हैं।

सरकार द्वारा नोटबंदी के बाद लोग डिजिटल भुगतान को अपनाने के लिए मजबूर हो गए हैं। लेकिन जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है वैसे-वैसे उनसे संबंधित परेशानियां भी बढ़ रहीं हैं। कई बार पेमेंट ट्रांज़ैक्शन फेल हो जाती है जैसे कि यूज़र ने मर्चेंट को पेमेंट की लेकिन उस तक पहुंची नहीं।

ऐसे ही ऑनलाइन खरीदारी करते समय एक कस्टमर पंकज शर्मा ने भुगतान के लिए एक ई-वॉलेट का इस्तेमाल किया। सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा मिले एक ई-मेल से पता लगा कि लेनदेन सफल रहा, लेकिन ऑनलाइन रिटेलर ने दावा किया कि यह पैसे उसे प्राप्त नहीं हुए हैं। इस घटना को करीब एक सप्ताह से अधिक हो गया, परंतु पंकज को कोई अंदाज़ा नहीं कि उनका वो पैसा कहां गायब हो गया है। ऐसे में व्यक्ति अपने आपको ठगा सा महसूस करता है।

वैसे भारतीय रिजर्व बैंक में एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) के लेन-देन को मैच करने के लिए एक तय समय-सीमा तो है, लेकिन नए भुगतान के तरीके जैसे ई-वॉलेट के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं हैं। आपको शायद ही ये पता होगा कि ग्राहक के असफल एटीएम लेनदेन की शिकायत करने पर बैंक को सात दिन के भीतर निपटाना होता है वरना, वहाँ देरी के प्रत्येक दिन 100 रुपये का जुर्माना होता है।

तो जब भी आप डिजिटल पेमेंट का सहारा लें और ट्रांज़ैक्शन फेल हो जाए तो घबराए नहीं क्योंकि हम आपको बताने जा रहें कि कैसे और कहां आप क्या सही कदम उठा सकते हैं- 

अपने फंड्स को क्लेम करें-

डीमोनेटाइज़ेशन के बाद मोबाइल वॉलेट यूज़र्स की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। हर कोई, विभिन्न मोबाइल ई-वॉलेट के इस्तेमाल से भुगतान कर रहा है। लेन-देन के आधार पर यदि आपको या विक्रेता को दो से सात दिन के भीतर पैसा नहीं मिला है, तो आपको वॉलेट सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए। यदि आपको पहले लेवल पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो, इस मुद्दे को आगे बढ़ाएं। अगर ग्राहक इसके बाद भी खुश नहीं है तो वह भारतीय रिजर्व बैंक के शिकायत सेल के पास जा सकता है। बड़े-बड़े बैनर्स/ ब्रांड्स अपनी सोशल इमेज को लेकर ज्यादा सतर्क होते हैं तो ऐसे में आप कंपनी या बैंक के सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट कर तुरंत समाधान ले सकते हैं। 

नेटबैंकिंग के माध्यम से ट्रांसफर

जब एक व्यक्ति नेट बैंकिंग के ज़रिये अपने बैंक अकाउंट से वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करता है, तो वो टू-वे प्रॉसेस होता है। दोनों के बीच एक ही पेमेंट गेटवे होता है, जो बैंक से पैसा लेकर वॉलेट में ट्रांसफर करता है। एक ट्रांज़ैक्शन तभी फेल होती है जब खराब कनेक्टिविटी, सर्वर समस्याओं आदि के कारण बैंक से पैसा तो जाता है परंतु पेमेंट गेटवे तक नहीं पहुंचता। पेमेंट गेटवे कंपनियां हर दिन बैंकों के साथ भुगतान करती हैं। पेमेंट फेल होने पर एक यूज़र को उसके पैसे दो व्यावसायिक दिनों के भीतर बैंक खाते या ई-वॉलेट में वापस मिलने चाहिए। यदि नहीं, तो उसे सर्विस प्रोवाइडर या बैंक से फॉलो-अप करना शुरू कर देना चाहिए।

कार्ड के माध्यम से ट्रांसफर

कार्ड से पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया नेट बैंकिंग के तरीके के जैसे ही है। वैसे तो यह पैसा वापस उपयोगकर्ता के बैंक खाते या कार्ड तक पहुँचने के लिए सात कार्य दिवस से ज्यादा दिन का समय ले सकता है। लेकिन यह बैंक की अपनी-अपनी प्रक्रिया पर भी निर्भर करता है। कुछ बैंकों के पास एक सेंट्रल पूल होता है जिसके ज़रिये ग्राहक के खाते में पैसा ट्रांसफर होता है। और कुछ के प्रत्येक शाखा के लिए व्यक्तिगत पूल खाते होते हैं। ऐसे मामलों में, एक व्यक्ति को उसका पैसा वापस पाने के लिए लंबे समय तक का इंतज़ार करना पड़ सकता है अगर उसकी पेमेंट असफल हो जाए तो।

मर्चेंट की पेमेंट फेल हो तो

अगर आप एक मर्चेंट को वॉलेट के ज़रिये भुगतान कर रहें हैं और आपका लेनदेन पूरा नहीं हो पाता है तो आपका पैसा आपके वॉलेट में तुरंत वापस होना चाहिए। एक मर्चेंट केवल तभी ही पैसा ले सकता है जब पेमेंट करने वाला और मर्चेंट, दोनों ही एक प्लैटफॉर्म पर हों। इस प्रॉसेस में कुछ ही सेकेंड्स लगते हैं क्योंकि इसमें कोई और थर्ड पार्टी शामिल नहीं होती है। यह तब भी लागू होता है जब आप एक बस, ट्रेन या उड़ान के लिए टिकट बुक करा के बाद में कैंसल करा दें। मर्चेंट एक बार रिफंड जारी कर दे तो यूज़र के वॉलेट में पेमेंट रिफ्लेक्ट करने में उसे ज्यादा टाइम नहीं लगना चाहिए। अगर कोई भी पेमेंट ट्रांज़ैक्शन फेल हो जाती है तो यूज़र अगले ही दिन वॉलेट से मदद ज़रूर ले।

शैव्या शुक्ला

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