विदेशियों पर भरोसा नहीं, भारत बनाएगा स्वदेशी व्हाट्सएप और जीमेल जैसी सेवा

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तेजी से आगे बढ़ते तकनीक के इस युग में व्हाट्सएप और जीमेल ने जिस तरह लोगों के रोजमर्रा के कार्यों को बेहद आसान और तीव्र बनाया है उसका लाभ सरकार इसलिए नहीं उठा पा रही क्योंकि उसे अपने डेटा की सुरक्षा की चिंता है।

भारत सरकार अपना एक खुद का व्हाट्सएप जैसा चैट एप्लिकेशन और जीमेल जैसी शक्तिशाली ईमेल सेवा बनाने की दिशा में काम शुरू करने जा रही है ताकि सरकारी एजेंसियों के बीच होने वाले संवाद को तीव्र और सुरक्षित बनाया जा सके। इस कदम को इस रूप में भी देखा जा रहा है कि सरकार अमेरिकी तकनीकी कंपनियों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है साथ ही चैट और ईमेल की स्वदेशी सेवाएं होने के चलते डेटा भारत में ही स्टोर रहेगा और उसकी सुरक्षा में सेंध की संभावना ना के बराबर रहेगी।

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वर्तमान स्थिति क्या है?

भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों की आधिकारिक वेबसाइटों का निर्माण, रखरखाव, अपडेशन, ईमेलों का संचालन आदि कार्य एनआईसी के द्वारा किया जाता है और इसके सर्वर पर ही सारा डेटा मौजूद होता है। भारत सरकार के कई अहम मंत्रालयों में निजी ईमेल सेवाओं के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक है। रक्षा मंत्रालय में तो अधिकतर कम्प्यूटरों में इंटरनेट और यूएसबी लगाने की सुविधा ही नहीं होती है। यह सब इसलिए होता है कि भारत सरकार के मंत्रालयों में होने वाले आधिकारिक और गोपनीय संवाद, गोपनीय ही बने रहें। 

सरकार तीव्र संवाद चाहती है

तेजी से आगे बढ़ते तकनीक के इस युग में व्हाट्सएप और जीमेल ने जिस तरह लोगों के रोजमर्रा के कार्यों को बेहद आसान और तीव्र बनाया है उसका लाभ सरकार इसलिए नहीं उठा पा रही क्योंकि उसे अपने डेटा की सुरक्षा की चिंता है। हाल ही में जब अमेरिकी सरकार ने चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी हुआवे को काली सूची में डाला और आशंका जताई कि यह कंपनी अमेरिकियों की अहम जानकारी चीन के साथ साझा कर रही है तब से भारत सरकार की चिंताएं और बढ़ गयीं। गत वर्ष फेसबुक पर भी आरोप लगे थे कि उसने अपने यूजर्स का डेटा किसी अन्य कंपनी को बेचा। जिनका डेटा बेचा गया उनमें भारतीय यूजर्स भी शामिल थे। यही नहीं जब-तब इस प्रकार की भी खबरें आती रहती हैं कि अमुक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म करने वाले यूजर्स का डेटा लीक हो गया। ऐसे में सरकार बेहद सावधानी पूर्वक आगे बढ़ना चाहती है।

आगे की तैयारी

यह ठीक है कि आज भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते प्रगाढ़ हैं लेकिन कल को यदि कोई मुश्किल समय आता है और अमेरिकी इशारे पर वहां की कंपनियां भारत में अपने नेटवर्क को स्लो कर दें तो यहां सारा काम ही ठप पड़ जायेगा। भारत सरकार ऐसी किसी स्थिति से भी निबटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहती है। संवाद के लिए अपने मोबाइल एप बनाने का कदम भारत ने पहली बार उठाया हो, ऐसा नहीं है। ऐसे बहुत से देश हैं जोकि विदेशी कंपनियों द्वारा डेवलप किये गये दूरसंचार एप्स पर कई तरह की रोक लगा कर रखते हैं।

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विदेशी सरकारों के उदाहरण

इस साल अप्रैल माह में फ्रांस ने सरकारी एजेंसियों के बीच संवाद के लिए सुरक्षित एप Tchap जारी किया था। यह एप open-source messaging client Riot पर आधारित है और Android, iOS तथा वेब के लिए उपलब्ध है। इस पर डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहता है और देश में ही स्टोर होता है। इसके अलावा चीन भी अपने यहाँ गूगल, फेसबुक और टि्वटर को संचालन की अनुमति नहीं देता और वहां की सरकार ने ऐसी सेवाओं के लिए अपने अलग एप डेवलप कर रखे हैं। उत्तर कोरिया भी ऐसा ही देश है जहां संवाद के लिए अपने अलग एप्लिकेशन हैं। कई अन्य देश भी विदेशी दूरसंचार और संवाद कंपनियों के प्रति काफी सतर्कता बरतते हैं।

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बहरहाल, फेसबुक.इंक के अंतर्गत आने वाला व्हाट्सएप भारत में जबरदस्त रूप से लोकप्रिय है और बड़ी संख्या में भारतीय इसका उपयोग संवाद के लिए करते हैं। हाल ही में व्हाट्सएप पर आये संदेशों के चलते कुछ अप्रिय घटनाएं घटीं तो भारत सरकार ने इसके डेटा तक अपनी पहुँच बनाने के कई प्रयास किये लेकिन वह सफल नहीं रहे। व्हाट्सएप ने सरकार को साफ कह दिया कि वह अपनी यूजर प्राइवेसी पॉलिसी के तहत सरकार को अधिक जानकारी नहीं दे सकती। व्हाट्सएप के डेटा तक सरकार की सीधी पहुँच नहीं होना और भारतीय यूजर्स के डेटा की सुरक्षा से खिलवाड़ की संभावना वह बड़े कारण हैं कि सरकार को स्वदेशी व्हाट्सएप और जीमेल जैसी सेवाएं विकसित करने की दिशा में कदम उठाना पड़ा है।

-नीरज कुमार दुबे

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