भारत के पास अपना देसी जीपीएस, NaVIC को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता

india-gets-its-homegrown-gps-navic-gets-internal-recognition
अभिनय आकाश । Sep 25 2019 5:58PM

नाविक पर आधारित कुछ एप पहले से काम कर रहे हैं, जबकि कुछ जल्द ही शुरू हो जाएंगे। जल्द ही नाविक आधारित और एप लॉन्च होंगे। ताकि, आम आदमी को इसका लाभ मिल सके।

अंतरराष्ट्रीय संस्था 3GPP (थर्ड जनरेशन पार्टनरशिप प्रोजेक्ट) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित नाविक (नेवीगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन)) यानी भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम को मान्यता दे दी है। मतलब कि अब अंतरराष्ट्रीय और देसी मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां नाविक का उपयोग कर पाएंगी। ऐसे निर्माता अब नाविक के साथ संगत नेविगेशन उपकरणों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकते हैं। कैलिफोर्निया में 16 से 20 सितंबर के बीच हुई एक बैठक के दौरान 3GPP ने नाविक को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खरा पाते हुए मान्यता दे दी है। अब भारत की टेलीकम्यूनिकेशन स्टैंडर्ड डेवलपमेंट सोसाइटी इन मानकों को राष्ट्रीय मानकों के साथ जोड़ेगी। इसके बाद आपके मोबाइल पर अमेरिकी जीपीएस के बजाय नाविक दिखने लगेगा। 

इसे भी पढ़ें: भारत दिसम्बर 2021 तक अंतरिक्ष में मानव को भेजेगा: के सिवन

इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवन ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा है कि 3GPP द्वारा नाविक को मान्यता दिए जाने से उन्हें बेहद खुशी है। साथ ही उन्होंने बताया कि नाविक पूरी तरह से काम कर रहा है। इसके लिए हमारे 8 सैटेलाइट्स भारत के ऊपर तैनात हैं। सात सैटेलाइट नेविगेशन के लिए हैं। एक सैटेलाइट मैसेजिंग के लिए है। नाविक पर आधारित कुछ एप पहले से काम कर रहे हैं, जबकि कुछ जल्द ही शुरू हो जाएंगे। जल्द ही हम नाविक आधारित और एप लॉन्च करेंगे। ताकि, आम आदमी को इसका लाभ मिल सके।

इसे भी पढ़ें: लैंडर से संपर्क खोने के बाद मिले समर्थन पर ISRO ने कहा, हमें प्रेरित करने के लिये शुक्रिया

IRNSS (इंडिपेंडेंट रिजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम) या नाविक की मदद से भारत सहित इसके चारों ओर करीब 1500 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र में नजर रखी जा सकेगी। इसका इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का जल्द से जल्द आकलन और सुदूर इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए भी किया जा सकेगा। इसके अलावा वाहनों की ट्रैकिंग और फ्लीट मैनेजमेंट में आसानी होगी।

इसे भी पढ़ें: चंद्रयान-2 पर बोले कुमारस्वामी, इसरो में मोदी की मौजूदगी विक्रम के लिए अशुभ साबित हुई

दुनिया के अन्य देशों के पोजिशनिंग सिस्टम

अमेरिकाः जीपीएस यानी ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम, इस सिस्टम में 24 सैटेलाइट हैं। 

रूसः ग्लोनास यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, इस सिस्टम में 24 सैटेलाइट हैं। 

यूरोपः गैलीलियो नाम का सिस्टम, इस सिस्टम में कुल 26 सैटेलाइट हैं।

चीनः बीडीएस यानी बीडोऊ नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, इस सिस्टम में 30 सैटेलाइट हैं।

 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़