सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट्स कम आने से युवाओं में बढ़ रहा है तनाव

less likes on social media and comments are increasing stress in youth

सोशल मीडिया के दौर से पहले हमारे द्वारा खींची हुईं तस्वीरें यादों समेत खामोशी से एल्बम में सिमट जाती थीं। जब कभी भी हम उन्हें दोबारा देखते थे तो कुछ पलों के लिए मीठी यादें और सुकून दे जाती थीं।

सोशल मीडिया के दौर से पहले हमारे द्वारा खींची हुईं तस्वीरें यादों समेत खामोशी से एल्बम में सिमट जाती थीं। जब कभी भी हम उन्हें दोबारा देखते थे तो कुछ पलों के लिए मीठी यादें और सुकून दे जाती थीं। ये उन दिनों की बात है जब कैमरा इंसान की खूबसूरती नहीं, उस पल की यादें सहजते थे और तस्वीरें खींचने वालों के दिमाग पर भी खूबसूरत और सबसे अलग दिखने का भूत नहीं चढ़ा होता था। 

आज के स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में कैमरा चेहरे को खूबसूरत दिखाने के फिल्टरेस से लैस है और लोगों के दिमाग में खुद को अलग दिखाने के प्रयास से तरह-तरह के सोशल मीडिया ऐप्स की टाइमलाइन पर सजी तस्वीरों में खुशियों से ज्यादा सनक दिखती है और हर इनमें सच से ज्यादा झूठ, खुद को अलग पेश करने की सोशल मीडिया ऐप्स की इस दौड़ में बिना गिरे बस जीतने की ख्वाहिश रखते हैं। इस चक्कर में वह बाहर से भले ही खुद को कितना अच्छा दिखा लें लेकिन उनका दिमाग इसके साइड इफेक्ट्स को झेल रहा है। रोज़ लाइक, डिस्लाइक की चिंता, कम कमेंटस के आने पर मूड खराब हो जाना इत्यादि। 

हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया ऐप्स मेंटल हेल्थ के लिए नुकसान दायक हैं। इनमें इंस्टाग्राम एप्प का नाम सबसे ऊपर है। इस वजह से लोगों में खासकर यंग जेनरेशन में बॉडी इमेज और बॉडी कॉनफिडेंस को लेकर डिप्रेशन देखा जा रहा है। 

बढ़ता है डिप्रेशन:-

आजकल सोशल मीडिया पर तस्वीरों के लेकर काफी टफ कंपटीशन हो गया है। लड़के-लड़कियां सभी सोशल साइट्स पर खुद को खूबसूरत दिखाना चाहते हैं। इंस्टाग्राम ने क्रेज़ीनेस को और बढ़ा दिया है। और लड़कियों जैसा ही आलम लड़कों का भी है। हालांकि लड़कियों के लिए एप्प में फिल्टर्स और एडिटिंग टूल्स के ऑप्शन ज्यादा होने की वज़ह से वो अपनी तस्वीर और भी बेहतर बना सकती हैं।   

कभी-कभी ये पागलपन हमारे लिए डिप्रेशन या कॉम्प्लेक्स जैसी परेशानियां भी लेकर आता है। हम ये भी कंपेयर करते हैं कि हमारी लेटेस्ट फोटो पर पिछली फोटो से कितने लाइक्स या कमेंट ज्यादा आए हैं। यह हमारी सोच पर असर डालता है। कई बार घटती पोप्यूलैरिटी देखकर लोग कुछ देर के लिए ही सही पर डिप्रेस ज़रूर फील करते हैं। 

बॉडी शेमिंग और इनसिक्योरिटी बढ़ी:-  

एक शोध में 20,000 लोगों पर रिसर्च की गई। इस रिसर्च में मौजूद लोगों से फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब, ट्वीटर और स्नैपचैट जैसी सोशल साइट्स पर 15 सवाल पूछे गए। इस रिसर्च पर ये बात सामने आई कि लोगों को इन एप्स को यूज़ करते रहने से बेचैनी, डिप्रेशन और अकेलेपन जैसी परेशानियां होती हैं।  

वैसे तो इन सभी एप्स के साथ लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पर सबसे ज्यादा इंस्टाग्राम का नाम सबसे ऊपर आया है इस रिसर्च में। इंस्टाग्राम की वजह से लड़कियों और महिलाओं में बॉडी शेमिंग और इनसेक्युरिटी की फीलिंग बड़ी है। लोग परफेक्ट दिखने के लिए फिल्टर और एडिटिंग टूल्स का सहारा लेने लगे हैं। ऐसे में लड़कियों और महिलाओं को लगता है कि उनकी बॉडी बाकी लोगों जितनी परफेक्ट नहीं है। इन वजह से उनमें बॉडी कॉनफिडेंस को लेकर डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।  

परेशान करती है खूबसूरत दिखने की चाहत:-

सोशल मीडिया एप्प इंस्टाग्राम या फिर फेसबुक को लेकर इस तरह की परेशानी सिर्फ युवाओं में ही नहीं बल्कि 35-45 साल के लोगों के बीच इसलिए देखने को मिल रही है क्योंकि वह अपनी बॉडी शेप और खूबसूरती को लेकर ज्यादा सजग रहती हैं। फेसबुक/इंस्टाग्राम पर फीमेल्स के लिए फिल्टर्स और एडिटिंग टूल्स के ऑप्शन मेल से ज्यादा होते हैं। इन टूल्स के ज़रिये फीमेल्स की फोटो सोशल साइट्स पर तो खूबसूरत नज़र आती है लेकिन वर्चुअल व रियल लाइफ में डिफरेंस धीरे-धीरे डिप्रेशन, बेचैनी और अकेलेपन की तरफ ले जाता है।

तो बेहतर होगा कि आप सोशल मीडिया के चक्कर में अपनी लाइफ खराब ना करके अपने आप में विश्वास पैदा करें। अपनी अंतरात्मा को खूबसूरत बनाएं ना कि बाहरी खूबसूरती पर ध्यान लगाएं। इसके लिए आप मेडिटेशन का सहारा भी ले सकते हैं जो डिप्रेशन को दूर भगाने में मदद करेगा। इसके साथ ही आप का आत्मविश्वास और मनोबल भी बढ़ाएगा।

- शैव्या शुक्ला

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़