Made in India से उड़ी चीन की नींद, इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं को भारत से दूर रहने की दी नसीहत
पिछले कुछ वर्षों में ड्रैगन की मैन्युफैक्चरिंग रफ्तार धीमी होई है। जबकि बारत ने इसी दौरान मैन्युफैक्चरिंग के मोर्चे पर जबरदस्त उछाल दर्ज की है। इससे चीन काफी सदमे में आ गया है। चीन से लगातार बड़ी टेक कंपनियां दूरी बना रही हैं।
आर्थिक मोर्चे पर चीन सुस्ती का सामना कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में ड्रैगन की मैन्युफैक्चरिंग रफ्तार धीमी होई है। जबकि बारत ने इसी दौरान मैन्युफैक्चरिंग के मोर्चे पर जबरदस्त उछाल दर्ज की है। इससे चीन काफी सदमे में आ गया है। चीन से लगातार बड़ी टेक कंपनियां दूरी बना रही हैं। ऐपल इसका सबसे सटीक उदाहरण है। यही कारण है कि चीन की कोशिश भारत को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से दूर बनाने की है।
चीन में भारत से डर का आलम ये है कि चीन के वाणिज्य मंत्रालय को इस साल जुलाई में एक मीटिंग करनी पड़ी है, जिसमें चीन ने अपने लोकल इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं को नसीसत दी है कि वो भारत में निवेश न करें। दरअसल, चीन को डर है कि अगर चीनी कंपनियां भारत में निवेश करती हैं, तो उन्हें लोकल स्तर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल और उसके पार्ट्स को बनाना होगा, जिससे टेक्नोलॉजी का ट्रॉसफर होगा। चीन का अपनी कंपनियों से कहना है कि भारत में डिमांड के बावजूद सिक्योरिटी लिहाज से ईवी टेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश न करें।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होने से डरा ड्रैगन
चीन को स्मार्टफोन के मामले में बड़ा झटका लगा है। जिससे वो पहले से ज्यादा सतर्क हो गया है। चीन का शुरुआत में मानना था कि भारत टेक्नोलॉजी के मामले में चीन को चक्कर नहीं दे सकता है। लेकिन उसका आंकलन गलत साबित हुआ। आज भारत स्मार्टफोन का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब है। भारत में न सिर्फ स्मार्टफोन को बनाया जा रहा है, बल्कि स्मार्टफोन के पार्ट्स का प्रोडक्शन शुरू हो गया है। वही पीएम मोदी की तरफ से सेमीकंडक्टर को घरेलू स्तर पर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसके बाद से चीन डरा हुआ है। भारत मौजूदा वक्त में स्मार्टफोन को एक्सपोर्ट कर रहा है। वही ऐपल और गूगल जैसे प्रीमियम स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत में शुरू हो चुकी है।
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