तहलका मचाने आ रहा है दुनिया का सबसे फास्ट कंप्यूटर
वैज्ञानिकों ने एक बड़े क्वॉन्टम कंप्यूटर को तैयार करने के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है, जो कि कंप्यूटिंग दुनिया में तहलका मचा सकता है।
अगर आप अपने डेस्कटॉप कंप्यूटर और लैपटॉप की स्लो पर्फोमेंस से परेशान हैं और अपने डेस्कटॉप और लैपटॉप की स्पीड बढ़ाने के लिए कई सॉफ्टवेयर्स और हार्डवेयर पर पैसा खर्च कर चुके हैं और तब भी समस्या बरकरार है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। दुनिया में जल्द ही डेस्कटॉप और लैपटॉप से भी लाख गुना फास्ट कंप्यूटर आने वाला है। जी हां, वैज्ञानिकों ने एक बड़े क्वॉन्टम कंप्यूटर को तैयार करने के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है, जो कि कंप्यूटिंग दुनिया में तहलका मचा सकता है। इस लार्ज स्केल क्वॉन्टम कंप्यूटर के मुकाबले अभी के क्वॉन्टम कंप्यूटर की क्षमता बेहद मामूली होगी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी पावरफुल मशीन तैयार करने में उन्हें जो दिक्कत आ रही थी, उसे दूर कर लिया गया है। इस तरह के डिवाइस इतने सूक्ष्म स्तर पर काम करते हैं, जहां पर एक ऐटम एक ही वक्त पर दो जगह मौजूद हो सकता है। अब एक फुल स्केल क्वॉन्टम कंप्यूटर का प्रोटोटाइप तैयार किया जा रहा है, जो इस मशीन को जल्द बनने में मदद करेगा। एक बार ये कंप्यूटर बन गया तो इसकी क्षमताओं का अंदाज़ा लगाना बेहद मुश्किल होगा क्योंकि यह संभावित विज्ञान के क्षेत्र में कई सवालों का जवाब दे सकेगा। यह नई जीवनरक्षक दवाएं बनाना, सबसे कठिन वैज्ञानिक समस्याओं का हल, गहरे अंतरिक्ष की पहुंच से दूर अज्ञात रहस्यों को जानना और भी कई समस्यों का सामाधान निकाल पाएगा।
इस नए ब्लूप्रिंट का निर्माण अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने किया है जिसमें ससेक्स विश्वविद्यालय (ब्रिटेन), गूगल (यूएसए), आरहूस विश्वविद्यालय (डेनमार्क), आरआईकेईएन (जापान) और बर्लिन विश्वविद्यालय (जर्मनी) शामिल हैं।
इस रिसर्च का नेतृत्व प्रफेसर विनफ्राइड हेनसिंगर ससेक्स कर रहे हैं और यह यूनिवर्सिटी के क्वॉन्टम टेक्नॉलजी ग्रुप के हेड भी हैं। उन्होंने बताया कि इस मशीन के आ जाने से ज़िंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। हम ऐसी चीज़ें कर सकेंगे, जिनके बारे में आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा। उन्होंने ये भी बताया कि पहले भी क्वॉन्टम कंप्यूटर्स तैयार किए गए हैं, लेकिन सिर्फ थिओरीज़ को टेस्ट करने के लिए। तो अब इस फास्ट क्वॉन्टम कंप्यूटर को भी यूज़र्स के लिए बनाया जा सकता है।
इस रिसर्च से जुड़े लोगों को सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि अभी के क्वॉन्टम कंप्यूटर्स को हर ऐटम पर लेज़र फोकस रखना पड़ता है। कंप्यूटर जितना बड़ा होगा, लेज़र्स की संख्या भी ज्यादा होगी और इससे गलतियां होने की गुंजाइश भी ज्यादा होगी। मगर हेनसिंगर और उनके साथियों ने ऐटम्स को मॉनिटर करने के लिए अलग तकनीक अपनाई है। उन्होंने इस तकनीक के अंदर एक माइक्रोवेव फील्ड और बिजली की मदद से काम करने वाला `ion-trap' डिवाइस बनाया है। इससे कंप्यूटिंग का स्केल बढ़ाया जा सकता है।
इस क्वॉन्टम कंप्यूटर्स का ब्लूप्रिंट सार्वजनिक इसलिए किया गया है ताकि दुनियाभर के वैज्ञानिक सहयोग से इस शानदार और अटूट टेकनॉलिजी को विकसित करने के साथ-साथ व्यवसायिक उपयोग को प्रोत्साहित कर सकें।
हेनसिंगर ने मीडिया से कहा है कि हम अगले दो साल के अंदर प्रोटोटाइप (शुरुआती वर्किंग मॉडल) तैयार कर लेंगे, जिसमें इस ब्लूप्रिंट की पूरी टेक्नॉलजी इस्तेमाल की गई होगी। पर ये बात ज़रूर है कि यह बहुत ही महंगी होगी और हमें इंडस्ट्री पार्टनर्स की जरूरत पड़ेगी क्योंकि इस फास्ट कंप्यूटर को बनाने के लिए हमें अरबों रुपयों की ज़रूरत पड़ेगी। इसके लिए हमें इंडस्ट्री पार्टनर्स से जुड़ना पड़ेगा।
'सायेंस एडवांसेज़' जर्नल में प्रिंट हुए रिसर्च पर अकैडमिक्स का ये मानना है कि इसे डिवेलप होने में अभी बहुत वक्त लगेगा। जैसे हेनसिंगर बता रहे हैं कि तकरीबन दो साल, पर हमारी रिसर्च के मुताबिक इसको बनाने में अभी दो साल से ज्यादा का समय लगेगा। डॉक्टर टॉबी क्यूबिट ने कहा है कि आयन ट्रैप को पहले भी सुझाया गया था। लोग अपने क्वॉन्टम कंप्यूटर्स पर स्प्रेडशीट बना सकें, अभी उसके लिए बहुत समय है।
तो इंतज़ार किजिए इस कंप्यूटर के बनने का क्योंकि सुनने और पढ़ने में तो ये एक ज़ोरदार डिवाइस लग रहा है। जो आने वाले वक्त में हम सभी के लिए बहुत काम आएगा और हमारा कीमती वक्त भी बचाएगा।
शैव्या शुक्ला
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