हज़ारों फीट नीचे गहरे समुद्र से आता है इंटरनेट!!

हम जो इंटरनेट कनेक्शन के लिए चारों और केबल और बॉक्सेस देखते हैं वह दुनिया को कनेक्ट करने का महज़ एक छोटा सा हिस्सा है। इंटरनेट कनेक्शन, स्पीड और डेटा ट्रांसफर का असली जाल तो गहरे समुद्र के नीचे बिछा हुआ है।

इस माह चेन्नई और उसके आस-पास इलाके में आए चक्रवात वरदा से वहां रहने वालों को काफी दिक्कत तो हुई ही इससे इंटरनेट की स्पीड पर भी काफी फर्क़ पड़ा है। कई दिनों तक देश के कई इलाकों में लोगों को धीमी इंटरनेट स्पीड का सामना करना पड़ा। खबरों के मुताबिक, ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज के टेरेस्ट्रियल नेटवर्क और रिलायंस कम्युनिकेशंस के समुद्र के अंदर मौजूद तार को वरदा चक्रवात ने नुकसान पहुंचाया है।

एयरटेल के ब्रॉडबैंड और इंटरनेट उपभोक्‍ताओं को इसी वजह से कुछ दिनों तक स्लो इंटरनेट स्‍पीड मिलने की शिकायत रही। कंपनी ने अपने यूज़र्स को सूचना दी थी कि वरदा चक्रवात की वजह से समुद्र के नीचे से जा रही इंटरनेट केबल में दिक्कतें आ गई हैं और उनकी टीम जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य करने में लगी हुई है। इसी बीच नेटवर्क बहाली तक के लिए कंपनियों ने इंटरनेट ट्रैफिक को दूसरी केबल्स पर मोड़ दिया था। 

दरअसल, हम जो इंटरनेट कनेक्शन के लिए चारों और केबल और बॉक्सेस देखते हैं वह दुनिया को कनेक्ट करने का महज़ एक छोटा सा हिस्सा है। इंटरनेट कनेक्शन, स्पीड और डेटा ट्रांसफर का असली जाल तो गहरे समुद्र के नीचे बिछा हुआ है। इस तरह का जाल पूरी दुनिया को जोड़ता है। चलिए जानते हैं कुछ बातें अंडरग्राउंड फैले इस जाल के बारे में-

सबसे पहले, 1854 में पहली बार समुद्र के नीचे केबल बिछाए गए थे। तब न्यूफाउंडलैंड और आयरलैंड के बीच एक टेलिग्राफ केबल बिछाया गया था।

99% दुनिया में कम्यूनिकेशन और डाटा ट्रांसफर समुद्र के नीचे बिछे केबल्स के ज़रिए होता है। इन केबल्स को सबमरीन कम्यूनिकेशन केबल कहते हैं।

इस तरह के 331 कम्यूनिकेशन केबल पूरी दुनिया में हैं। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियां इन्हें बिछाती हैं।

सैटेलाइट सिस्टम की तुलना में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल डाटा ट्रांसफर के लिए काफी सस्ते पड़ते हैं। इनका नेटवर्क भी ज्यादा फास्ट होता है।

आमतौर पर एक दिन में 100-200 किमी. केबल बिछाए जाते हैं। इन केबल की चौड़ाई 17 मिलीमीटर के आसपास होती है।

ये कम्यूनिकेशन केबल हजारों किलोमीटर लंबे होते हैं और लगभग एवरेस्ट जितनी गहराई में बिछे होते हैं। इन्हें एक खास नाव- ‘केबल लेयर्स’ के जरिए समुद्र की सतह पर बिछाया जाता है। 

हाई प्रेशर वाटर जेट तकनीक के जरिए इन केबल को समुद्र की सतह के अंदर गाड़ दिया जाता है ताकि कोई समुद्री जीव या सबमरीन इन्हें नुकसान ना पहुंचा सके।

कई बार समुद्री शार्कों ने इन केबल्स को चबाने की कोशिश की है। इसके बाद केबल्स के ऊपर शार्क-प्रूफ वायर रैपर लगाना शुरू किया गया।

कुछ शरारती तैराकों ने 2013 में अमेरिका और यूरोप से इजिप्ट पहुंचने वाले चार केबल्स को काट दिया था। इससे पूरे इजिप्ट की इंटरनेट स्पीड बहुत ही धीमी हो गई थी।

केबल कहां से कटा इसका पता लगाने के लिए रोबॉट्स को भेजा जाता है। एक केबल का जीवनकाल 25 साल होता है।

सिंगापुर को सबमरीन केबल्स का जंक्शन कहा जाता है क्योंकि यहां से लगभग 16 केबल गुजरते हैं।

शैव्या शुक्ला

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