मैकलॉडगंज जा रहे हैं तो यह बातें जान लें, छुट्टी का मजा चौगुना हो जायेगा

If you are going to McLeod Ganj, know this tourist spots
अनूप देव सिंह । Jan 25 2018 12:10PM

ट्रैवलिंग से बड़ा स्ट्रेस बूस्टर दुनिया में कोई और चीज नहीं। जब आप कुछ दिनों के लिए अपने घर-ऑफिस से बाहर अपने करीबियों के साथ निकलते हैं तो रोजमर्रा के सभी झंझट पीछे छूट जाते हैं और आप खूब इंजॉय कर पाते हैं।

ट्रैवलिंग से बड़ा स्ट्रेस बूस्टर दुनिया में कोई और चीज नहीं। जब आप कुछ दिनों के लिए अपने घर-ऑफिस से बाहर अपने करीबियों के साथ निकलते हैं तो रोजमर्रा के सभी झंझट पीछे छूट जाते हैं और आप खूब इंजॉय कर पाते हैं। दिल्ली से करीब 550 किमी. दूर एक जगह ऐसी है जहां आप अपने परिवार के साथ ऐसा समय बिता सकते हैं जिसे आप अपनी जिंदगी में नहीं भूलेंगे। इस जगह का नाम है मैकलॉडगंज। 

मैकलॉडगंज का परिचय

बर्फ से ढके पहाड़, रफ्तार से बहते झरने, देवदार के पेड़ों के जंगल, हवा में ऐसी ताजगी जो आपकी सांसों में घुल जाए तो मजा ही आ जाए। मैकलॉडगंज हिमाचल प्रदेश में बसा एक छोटा सा कस्बा है। जिसका नाम पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर डोनाल्ड फेरियल मैक्लॉड के नाम पर रखा गया था। मैकलॉडगंज समुद्रतल से 2082 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है। ये कस्बा धर्मशाला से करीब 10 किमी. दूर है। वैसे तो मैक्लॉडगंज भारत में ही है लेकिन इसे लिटिल ल्हासा भी कहा जाता है। दरअसल यहां तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को शरण मिली हुई है, यहां पर सैकड़ों तिब्बती शर्णार्थी रहते हैं इसी लिए इसे लिटिल लहासा (ल्हासा तिब्बत की राजधानी है) भी कहा जाता है। 

मैकलॉडगंज कैसे पहुंचे

वैसे तो मैकलॉडगंज ट्रेन, हवाई जहाज के जरिए पहुंचा जा सकता है, लेकिन अगर आप उत्तर भारत में रहते हैं तो यहां पहुंचने का सबसे अच्छा जरिया सड़क है। मैकलॉडगंज दिल्ली से 550 किमी. दूर जरूर है लेकिन यहां तक पहुंचने की सड़क बेहद ही शानदार है। ऐसे में आप यहां पहुंचने के लिए अपनी गाड़ी और हिमाचल रोडवेज टूरिस्ट कॉर्पोरेशन की बसों का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैकलॉडगंज जाने के लिए बसें आईएसबीटी कश्मीरी गेट से मिलती हैं। यहां से आप रोडवेज, डीलक्स और वोल्वो बसों के जरिए मैकलॉडगंज जा सकते हैं। वैसे तो मैकलॉडगंज जाने के लिए आपको बसें आराम से मिल जाएंगी लेकिन अगर आप पहले से बस की टिकट बुकिंग कर लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। ध्यान रहे ये बसें धर्मशाला तक जाती हैं जो कि मैकलॉडगंज से तकरीबन 10 किमी. दूर है। धर्मशाला बस स्टेशन से आप मैकलॉडगंज जाने के लिए बस, ऑटो और टैक्सी कर सकते हैं। बस से आपके 15 रु. लगेंगे, जबकि ऑटो से 150 और कार से आपको 200 रु. चुकाने पड़ेंगे। अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो मैकलॉडगंज से सबसे करीबी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो कि यहां से तकरीबन 85 किमी. दूर है। सबसे नजदीकी एयरपोर्ट गग्गल है जो मैकलॉडगंज से करीब 30 किमी. की दूरी पर है। 

मैकलॉडगंज में कहां ठहरें

मैकलॉडगंज में कई छोटे बड़े होटल, गेस्ट हाउस हैं। यहां आपको 500 से लेकर 5000 प्रति दिन की दर पर आसानी से ठहरने की जगह मिल सकती है। अगर आप परिवार के साथ जा रहे हैं तो दिल्ली से ही बुकिंग कराएं क्योंकि यहां पर वीकेंड पर चंडीगढ़ और नजदीकी जगह से लोग आते हैं तो ऐसे में आपको होटल के लिए थोड़ी सी दिक्कत हो सकती है, इसीलिए होटल की ऑनलाइन बुकिंग कराएं तो अच्छा है। वैसे मैकलॉडगंज में एक छोटा सा मार्केट हैं जहां कई होटल हैं लेकिन हमारी सलाह मानें तो मार्केट से थोड़ी सी दूर होटल लें, जहां शांति भी होगी और आपको अपने होटल से नजारे भी दिखेंगे। यही नहीं यहां आपको 1000 से 1500 रु. प्रति दिन का होटल मिल ही जाएगा। 

मैकलॉडगंज में कहां घूमें

1. मैकलॉडगंज में घूमने की कई जगह हैं, मगर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है त्रियुंड ट्रैक। जी हां मैकलॉडगंज से 9 किमी. की दूरी पर धौलाधर पर्वत श्रेणी के करीब एक छोटी सी जगह है त्रियुंड। यहां पहुंचने के लिए आपको अपने पैरों का इस्तेमाल करना होगा क्योंकि यहां कोई गाड़ी नहीं जाती। आपको ट्रैकिंग कर यहां जाना होगा। भले ही 9 किमी. की दूरी आपको कुछ ज्यादा लगे लेकिन यकीन मानिए जैसे ही आप त्रियुंड पहुंचेंगे तो आप अपनी पूरी थकान, टेंशन भूल जाएंगे। त्रियुंड गर्मियों में एक घास का छोटा सा मैदान रहता है और सर्दियों में यहां जबर्दस्त बर्फबारी होती है। त्रियुंड में आप कैंपिंग भी कर सकते हैं, जहां आपको 700 से 800 रु. में रहने के लिए टेंट मिल सकते हैं। यहां खाने-पीने का पूरा इंतजाम है। 

2. भगसुनाग झरना- मैकलॉडगंज से 3 किमी. की दूरी पर भगसुनाग मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर से तकरीबन 1 किमी. दूर बेहद ही खूबसूरत झरना भगसुनाग है। यहां आपको पैदल जाना होगा लेकिन चलने के लिए अच्छा रास्ता बने होने के कारण यहां पहुंचने में आपको जरा भी तकलीफ नहीं होगी। भगसुनाग झरने पर पहले लोग नहा सकते थे लेकिन अब इस पर रोक लग गई है। झरने के पास 4-5 छोटी-छोटी दुकानें हैं जहां चाय और जबर्दस्त मैगी मिलती है। इसी झरने के ऊपर एक छोटा सा रेस्तरां है जो शिवा कैफे के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर है। पहाड़ों के बीच और झरने के पास होने के कारण शिवा कैफे बहुत ही खूबसूरत लगता है। यहां आप अपने दोस्तों या परिवार के साथ बैठकर प्रकृति के बीच जबर्दस्त पकवानों का मजा उठा सकते हैं। 

3. नड्डी- नड्डी मैकलॉडगंज से 6 किमी. दूर एक छोटा सा गांव है। इस पूरे इलाके में अगर आपको बिना चले धौलाधर की बर्फ से ढकी चोटियों के दर्शन करने हैं तो नड्डी से बेहतर कोई और दूसरी जगह नहीं। नड्डी पहुंचने के लिए आपको मैकलॉडगंज से ऑटो या टैक्सी लेनी पड़ेगी। यहां पर आप शाम 4 बजे के आसपास जाएं तो बेहतर है क्योंकि यहां का सूर्यास्त खासा मशहूर है। बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच ढलते सूर्य को देखना एक गजब का अनुभव है। 

4. गुणा देवी मंदिर- अगर आप धार्मिक विचारधारा के हैं तो आप नड्डी से 6 किमी. दूर स्थित गुणा देवी मंदिर भी जा सकते हैं। ये मंदिर पर्वत की चोटियों पर बसा हुआ है। यहां पहुंच कर आपको एक अलग अनुभव होगा। यहां पहुंचने से पहले आपको एक छोटी सी नदी मिलेगी जहां बैठकर आप आराम कर चाय, मैगी का लुत्फ उठा सकते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको चलना ही होगा क्योंकि यहां कोई गाड़ी नहीं जाती। 

5. अन्य जगहें- मैकलॉडगंज में आपको दलाई लामा टेंपल, डल झील जैसी जगहें भी मिलेंगी। यहां भी आप अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं और तिब्बति संस्कृति को जान सकते हैं। 

इसके अलावा आप सेंट जॉन चर्च भी जा सकते हैं जिसका निर्माण 1852 में हुआ था। रात में आप मैकलॉडगंज के मार्केट में भी घूम सकते हैं। यहां पर तिब्बती, भारतीय, इजरायली और इटैलियन व्यंजन मिलते हैं जो कि खाने में बेहद ही लजीज होते हैं। मैकलॉडगंज में समय बिताने के लिए 3-4 दिन बहुत हैं। यहां की अद्भुत खूबसूरती, शांति और जबर्दस्त खाना आपको जरूर तरोताजा कर देंगे। 

-अनूप देव सिंह

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