प्राचीन नगरी उज्जैन में स्थित हैं भगवान महाकालेश्वर

One of the 12 Jyotirlingas in India, the lingam at the Mahakala is believed to be swayambhu
प्रीटी । Jul 25 2017 3:48PM

उज्जैन भारत का प्रसिद्ध और प्राचीन नगर है। यह क्षिप्रा नदी के सुरम्य तट के बायीं ओर बसा है। विक्रम संवत के प्रवर्तक राजा विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन को उज्जयिनी, अवंतिका, कुल स्थली, कनकश्रृंगा, प्रतिकल्पा, विशाला, अमरावती, पद्मावती, चूणामणि, कुमुदवती आदि अनेकों नाम से पुकारा जाता है।

उज्जैन का इतिहास गौरवमय और प्राचीन है। यहां पर खुदाई में तीन हजार वर्ष पुराने अवशेष मिले हैं। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह कितना प्राचीन नगर है। उज्जैन में स्थित भगवान महाकालेश्वर के लिंग की गणना भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में की जाती है। दक्षिणमुखी शिवलिंग होने के कारण यह तंत्र साधना के लिए विशेष महत्व रखता है।

उज्जैन में स्थित भगवान महाकालेश्वर का कलात्मक विशाल शिवलिंग है। यह शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है। ज्योतिर्लिंग के कक्ष में ज्योतिर्लिंगों के अलावा गणेश, कार्तिकेय और माता पार्वती की श्वेत मूर्तियां हैं। मुख्य मंदिर तीन खंडों में निर्मित है। सबसे नीचे के खंड में महाकालेश्वर आसीन हैं। उसके ऊपर के खंड में ओंकारेश्वर शिव का मंदिर है तथा तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर हैं। जिनके पट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु वर्ष में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन खोले जाते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर के पास ही गणेश जी की विशाल मूर्ति है। यह मूर्ति आधुनिक होते हुए भी आकर्षक और सुंदर है। मंदिर के बीच में पंचमुखी हनुमान जी की सप्त धातु से बनी मूर्ति है। मंदिर में अनेक देवी−देवताओं की मूर्तियां विद्यमान हैं। 

उज्जैन नगर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर क्षिप्रा नदी के किनारे भैरवगढ़ बस्ती है। यहां पर एक टीले पर काल भैरव का मंदिर है। भैरवाष्टमी को यहां विशाल मेला लगता है। भैरवगढ़ नाम इन्हीं भैरव के कारण पड़ा। काल भैरव की मूर्ति भव्य और विशाल है। इस मंदिर को राजा भद्रसेन ने बनवाया था।

उज्जैन रेलवे स्टेशन से लगभग आठ किलोमीटर दूर कालिया देह महल है। 16वीं शताब्दी में मालवा के सुलतान नासिरूद्दीन खिलजी ने सूर्य नारायण के मंदिर को तुड़वाकर उसके स्थान पर पठानी ढंग का यह महल बनवाया था। यहां सूर्यकुंड और ब्रह्मकुंड को तुड़वाकर छोटे−छोटे 52 कुंड बनवाये थे। जब अकबर बादशाह इस स्थान पर आया था उसी समय मुगलिया ढंग का एक दालान बनवाया गया था। वर्षों तक इस सुंदर महल और रमणीय स्थल की ओर किसी का ध्यान नहीं गया और यह स्थल उजड़ने लगा था बाद में सिंधिया परिवार ने इस महल का जीर्णोद्धार करवाया।

उज्जैन नगर भारतीय ज्योतिष का भी मुख्य केन्द्र रहा है। हजारों वर्ष पहले राजा जयसिंह ने यहां एक यंत्र महल बनवाया था जिसे वैधशाला और जंतर मंतर कहा जाता है। उज्जैन में संदीपनी आश्रम, श्री मंगलनाथ मंदिर, चिंतामन गणेष मंदिर, संतोषी माता मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर आदि भी दर्शनीय हैं।

उज्जैन मालवा के बीच में स्थित होने के कारण देश का नाभिस्थल कहलाता है। उज्जैन नगर पश्चिम रेलवे का प्रमुख स्टेशन है। यहां से भोपाल, रतलाम, इंदौर, नागदा आदि स्टेशनों को जाने वाली गाडि़यां मिलती हैं। उज्जैन सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है। बस या अपने निजी वाहन से यहां सुगमता से पहुंचा जा सकता है।

यहां यात्रियों के ठहरने के लिए सैंकड़ों होटल, लॉज और धर्मशालाएं हैं। मध्य प्रदेश राज्य परिवहन द्वारा बाहर से आने−जाने वाले यात्रियों के लिए उज्जैन दर्शन की प्रतिदिन व्यवस्था की गई है।

प्रीटी

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