कभी अंग्रेजों के हॉलीडे प्वॉइंट रहे डलहौजी जाकर आप भी होंगे खुश
अंग्रेजों ने 1854 में इसे बसाया और विकसित किया तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस जगह का नाम डलहौजी रखा गया। अंग्रेज सैनिक और नौकरशाह यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे।
डलहौजी धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित एक बहुत की खूबसूरत पर्यटक स्थल है। पांच पहाड़ों (कठलौंग, पोट्रेन, तेहरा, बकरोटा और बलुन) पर स्थित यह पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का हिस्सा है। अंग्रेजों ने 1854 में इसे बसाया और विकसित किया तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस जगह का नाम डलहौजी रखा गया। अंग्रेज सैनिक और नौकरशाह यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आते थे। मनमोहक वादियों और पहाड़ों के अलावा यहां के अन्य आकर्षण प्राचीन मंदिर, चंबा और पांगी घाटी हैं।
डलहौजी के पर्यटन आकर्षणों पर एक नजर
सेंट पैट्रिक चर्च
सेंट पैट्रिक चर्च डलहौजी का सबसे बड़ा चर्च है। इसका निर्माण 1909 में किया गया था। यह चर्च ब्रिटिश सेना के अफसरों के सहयोग से बनायी गयी थी। इस चर्च की देखरेख जालंधर के कैथोलिक डायोसिस द्वारा की जाती है। इस चर्च के चारों ओर प्रकृति का अनुपम सौंदर्य बिखरा हुआ है। यह उत्तर भारत की खूबसूरत चर्चों में से एक है। पत्थर से बनी हुई बिल्डिंग भी कुछ अलग तरह की है।
मणिमहेश यात्रा
समुद्र तल से 13500 फीट ऊपर स्थित यह झील मणि महेश कैलाश चोटी के नीचे स्थित है। झील के पास ही संगमरमर से बना एक शिवलिंग भी है जिसे चौमुख कहा जाता है। यहाँ अगस्त/सितंबर के महीने में चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर से मणिमहेश की प्रसिद्ध यात्रा शुरू होती है। इस दौरान छड़ी को पवित्र मणिमहेश झील तक ले जाते हैं।
लक्ष्मीनारायण मंदिर
150 साल पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु की बहुत सुंदर प्रतिमा है। इसी मंदिर से मणि महेश यात्रा की शुरुआत होती है। लक्ष्मीनारायण मंदिर सुभाष चौक से 200 मी. दूर सदर बाजार में है।
कालाटोप वन्यजीव अभयारण्य
एकदम घना यह जंगल समुद्र तल से 2440 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। जो पर्यटक यहां रात भर रुकना चाहते हैं उनके लिए एक रेस्ट हाउस भी है। इस रेस्ट हाउस में ठहरना चाहते हैं तो आपको डलहौजी में ही इसका आरक्षण कराना होगा।
पंचफुल्ला
स्वतंत्रता सेनानी और शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह की समाधि पंचफुल्ला में है। उनकी मृत्यु भारत की आजादी के दिन हुई थी। यहां एक प्राकृतिक कुंड और छोटे-छोटे पुल हैं जिनके नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है। पंचफुल्ला जाने के रास्ते में सतधारा है। यही से डलहौजी और बहलून को पानी की आपूर्ति होती है।
मौसम
डलहौजी की जलवायु साल भर सुखद रहती है। मार्च से जून के बीच यहां का मौसम पयर्टन के लिहाज से बहुत अच्छा रहता है। जून से सितम्बर के बीच वर्षा का मौसम रहता है। शीत ऋतु में यहां का तापमान 01 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों के दौरान यहां बहुत बर्फबारी होती है।
कैसे जाएँ
हवाई मार्ग- डलहौजी जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पठानकोट है, जो डलहौजी से 80 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
रेलमार्ग- रेल से आने वाले यात्री पठानकोट रेलवे स्टेशन तक आ सकते हैं।
सड़क मार्ग- बस से जाना चाहते हैं तो दिल्ली और चंडीगढ़, जम्मू जैसे शहरों से बसें मिल जाएंगी।
प्रीटी
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